हिमाचल पथ परिवहन निगम(एचआरटीसी) बसों की छत से कैरियर हटाने के फरमान से पुष्प उत्पादकों के हड़कंप मच गया है। सस्ते और बेहतर विकल्प के चलते मंडी समेत प्रदेश के अधिकांश पुष्प उत्पादक फूल की पैदावार दिल्ली तक सरकारी बसों की छतों पर ही भेजते हैं। रात को बसों में फूलों की लोडिंग और सुबह फूलों की बिक्री की जाती है। पुष्प उत्पादकों में नेकराम, मनोज कुमार, भूपेंद्र, कुशाल, इंद्र, शांता कुमार, तुलसी और अजय ने कहा कि ट्रांसपोर्ट मिनिस्ट्री के निर्देशों के बाद बसों की छत से कैरियर हटते हैं तो फूलों को दिल्ली तक पहुंचाना उत्पादकों के लिए घाटे का सौदा होगा। सूबे में करोड़ों का फूल कारोबार प्रभावित होगा। सैकड़ों परिवारों से रोजी-रोटी छिन सकती है। अकेले मंडी में 1,000 से अधिक परिवार पुष्प उत्पादन से जुड़े हैं
वे हर साल फूलों का 10 करोड़ का कारोबार करते हैं। बड़ी गाड़ी या जीप में फूल भेजें तो अधिक नमी होने के कारण फूल दिल्ली पहुंचते पहुंचते खराब हो जाते हैं। फूल को अगर कायदे से पैकिंग सामग्री में पैक करना हो तो लागत काफी अधिक होगी। पुष्प उत्पादकों के लिए यह व्यवस्था करना नामुमकिन है। केवल परवाणू में ही फूल मंडी है, जो इस साल शुरू हुई है। सूबे के हर पुष्प उत्पादक को वहां पहुंचना मुश्किल होगा। सोलन, कांगड़ा, चंबा, कुल्लू और मंडी के पुष्प उत्पादक एचआरटीसी की बसों की छत पर लगे कैरियर में फूल की पेटियां रखकर दिल्ली तक पहुंचाते हैं। प्रदेश में कारनेशन, जिप्सोफिला, लिलियम, लिमोनीयम, इष्टोमा और क्रिसेंथमा फूलों की पैदावार होती है।
केंद्र सरकार के परिवहन निगम की बसों से कैरियर हटाने के निर्णय को लेकर सराज फ्लोरीकल्चर एसोसिएशन जल्द मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से मिलेगी।
– भूपेंद्र पाल, अध्यक्ष सराज वैली फ्लोरीकल्चर एसोसिएशन
नई बसें आई हैं, उनमें कैरियर की सुविधा नहीं है। पुरानी बसों के कैरियर हटाने के आदेश मिलते ही उन्हें भी हटा दिया जाएगा।