शिमला: हिमाचल प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं और एक बार फिर से पहाड़ी राज्य ने हर पांच साल पर राज बदलने का रिवाज बरकरार रखा है. कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में 68 में से 40 सीटें जीत कर भाजपा को सत्ता से बाहर कर दिया. वहीं, भाजपा को महज 25 सीटें मिली हैं. चुनाव परिणाम घोषित होने के साथ ही राज्य में 1985 से चली आ रही परंपरा कायम रही है, जहां हर पांच साल में सत्तारूढ़ दल बदल जाता है. हालांकि, अगर कांग्रेस और भाजपा के बीच वोट प्रतिशत की तुलना की जाए तो यह एक फीसदी से भी कम है, मगर सीटों का अंतर 15 है.
कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश में 68 सदस्यीय विधानसभा में 40 सीट जीतकर 43.90 प्रतिशत वोट हासिल किया, जबकि 43 फीसदी वोट हासिल करने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी केवल 25 सीट जीतने में सफल रही. दोनों पार्टियों को प्राप्त हुए वोटों की तुलना की जाए तो बीजेपी को हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस से केवल 37,974 कम वोट मिले. यानी कांग्रेस और भाजपा के वोट फीसदी में महज 0.9 फीसदी का अंतर है, मगर सीट का अंतर बड़ा हो गया और इसी 0.9 फीसदी अंतर की वजह से भाजपा को कांग्रेस से 15 सीटें कम मिलीं. इसका मतलब है कि कई सीटों पर कम मतों के अंतर से जीत-हार तय हुई और नुकसान भाजपा का हो गया.
दरअसल, हिमाचल प्रदेश में 12 नवंबर को हुए विधानसभा चुनाव में तीन निर्दलीय उम्मीदवार भी विजयी हुए. हालांकि, पिछले विधानसभा चुनावों के मुकाबले कांग्रेस का वोट प्रतिशत बढ़ा है. भाजपा और कांग्रेस ने सभी 68 सीट पर चुनाव लड़ा था, जबकि आम आदमी पार्टी (आप) ने 67 सीट पर, बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने 53 और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने 11 सीट पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. आप अपना खाता खोलने में विफल रही, जबकि माकपा भी कोई सीट नहीं जीत पाई और ठियोग से उसके मौजूदा विधायक भी हार गए.
हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के बाद आम आदमी पार्टी को 1.10 फीसदी, माकपा को 0.66 फीसदी, बसपा को 0.35 फीसदी और निर्दलीय व अन्य को 10.39 फीसदी, जबकि ‘नोटा’ को 0.59 फीसदी वोट मिले. हिमाचल प्रदेश में 12 नवंबर को हुए विधानसभा चुनाव में 76.44 फीसदी मतदान दर्ज किया गया था. बहरहाल, आज कांग्रेस के विधायक दलों की बैठक होगी और इस बैठक में तय हो जाएगा कि कांग्रेस किसे हिमाचल प्रदेश का मुख्यमंत्री चुनती है.