हिमाचल प्रदेश में 2 निर्दलीय विधायकों के भाजपा में शामिल होने के मामले पर सियासी बवाल मचा हुआ है. कांग्रेस राज्य सरकार के साथ साथ निर्दलीय विधायकों पर हमलावर है. इस बीच कांग्रेस ने इस पूरे मामले को भाजपा की गुटबाजी का नतीजा बताया है. कांग्रेस का कहना है कि सीएम जय राम ठाकुर ने पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल की सियासी जमीन को कमजोर करने के लिए दांव खेला है जिसके लिए सीएम ने न केवल दलबदल कानून को ताक पर रखा बल्कि प्रेम कुमार धूमल और भाजपा के प्रमुख नेताओं को दरकिनार कर ये फैसला लिया.
इस पर भाजपा ने पलटवार किया है, कांग्रेस की बयानबाजी को बौखलाहट करार दिया है और फैसले का बचाव करते हुए कहा है कि पार्टी ने विचार-विमर्श करने के बाद ही दोनों निर्दलीय विधायकों को पार्टी में शामिल किया है. कांग्रेस की ओर से पूर्व सीएम के लिए उपयोग किए गए शब्दों पर भी आपत्ति जत्ताई है.
दरअसर, शुक्रवार को राजधानी शिमला में दोपहर 12 बजे प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष नरेश चौहान ने प्रेस वार्ता कर कहा कि मुख्यमंत्री ने जिस प्रकार देहरा से निर्दलीय विधायक होशियार सिंह और जोगिंद्रनगर से आजाद विधायक प्रकाश राणा की भाजपा में एंट्री करवाई वो सही नहीं है. सीएम ने कानून की उल्लंघना की है, न ही सीएम ने देश के कानून के प्रति सम्मान नहीं रखा और न ही निर्दलीय विधायकों ने कानून और अपने मतदाताओं का सम्मान किया. उन्होंने कहा कांग्रेस को इससे कोई आपत्ति नहीं है कि वो भाजपा में गए लेकिन सवाल नैतिकता और कानून का है.
इतना ही नहीं, भाजपा में गुटबाजी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जिस दिन विधायक भाजपा में शामिल हुए उस दिन सीएम ने दिन भर हमीरपुर में मंथन किया और शाम को शिमला में सीएम जय राम ठाकुर ने प्रेम कुमार धूमल को इंजेक्शन दे दिया. उन्होंने दावा किया कि धूमल को इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी, इतना ही नहीं न ही देहरा से धूमल के करीबी पूर्व मंत्री रविंद्र रवि और जोगिंद्रनगर में पूर्व मंत्री गुलाब सिंह ठाकुर के दिल पर क्या बीतेगी, इसका भी ख्याल नहीं रखा.
कांग्रेस के इस बयान पर शुक्रवार को ही दोपहर बाद 3 बजे भाजपा के मुख्य प्रवक्ता रणधीर शर्मा ने पलटवार किया. उन्होंने पूर्व सीएम धूमल के लिए इस्तेमाल किए शब्दों पर आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि विपक्ष को मर्यादित शब्दों का उपयोग करना चाहिए, साथ ही कहा कि केंद्र और राज्य सरकार की उपलब्धियों से कांग्रेस में बौखलाहट है और कांग्रेसी नेता इसी बौखलाहट में तथ्यहीन और निराधार बयानबाजी कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस आलाकमान ने कुछ ऐसे फैसले लिए हैं जिससे कांग्रेस कार्डर का मनोबल गिरा है. कांग्रेस पार्टी ने अपनी एकता को बचाने के लिए पद दिए लेकिन इस प्रक्रिया में उनके अच्छे नेताओं की अनदेखी की गई, कांग्रेस के नेता अपने विधानसभा क्षेत्र में खुद को मुख्यमंत्री घोषित कर रहे हैं, अगर वे ऐसा नहीं करेंगे तो वे अपने-अपने क्षेत्रों में नहीं जीतेंगे. उन्होंने कहा कि भाजपा ने जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं को सक्रिय किया है और कांगड़ा में त्रिदेव सम्मेलन इसका प्रमाण है.
निर्दलीय विधायकों के भाजपा में शामिल पर उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने पार्टी के संबंधित नेताओं से सलाह मशविरा करने के बाद उन्हें सदस्यता देने का फैसला किया है और ये पार्टी का फैसला है. निर्दलीय विधायकों के भाजपा में आने पर पार्टी के भीतर नाराजगी के सवाल के जबाव में उन्होंने कहा कि जब नई दुल्हन घर में आती है तो दुल्हन और परिवार के सदस्यों को एजस्ट होने में समय लगता है, अगर लव मैरिज हो तो एडजेस्टमेंट में ज्यादा समय लगता है.
विधायकों को बर्खास्त करने की कांग्रेस की मांग पर उन्होंने कहा कि इन नेताओं की विधानसभा सदस्यता पर निर्णय विधानसभा सचिवालय का विशेषाधिकार है और यह पहली बार नहीं है जब निर्वाचित नेता किसी राजनीतिक दल में शामिल हुए हैं