प्रदेश सरकार के अधीन आते मंदिरों में चढ़ावे के रूप में मिले सोने और चांदी के उपयोग के संबंध में फैसला अब जिला उपायुक्त (मंदिर आयुक्त) ले सकेंगे। सरकार उपायुक्तों को पत्र भेजेगी जिसमें चढ़ाए गए सोना-चांदी के संबंध में फैसला लेने की शक्तियां प्रदान की जाएंगी।
अभी तक सरकार के अधीन आते मंदिरों में चढ़ने वाले सोना-चांदी का क्या उपयोग करना है इसकी कोई आधिकारिक व्यवस्था नहीं है। इस समय देवभूमि के अधिगृहित मंदिरों का चार क्विंटल से अधिक सोना और 1500 क्विंटल चांदी मंदिरों या सरकारी कोषागारों में सुरक्षित है। अब अगर बदलाव होगा तो इस सोना का कहीं न कहीं इस्तेमाल किया जा सकेगा।
सचिव भाषा कला एवं संस्कृति हिमाचल प्रदेश राकेश कंवर ने कहा कि मंदिर आयुक्त और जिला उपायुक्तों को पत्र लिखा जा रहा है कि मंदिरों को चढ़ावे के रूप में प्राप्त हुए सोना-चांदी का किस तरह से उपयोग करना है। इस संबंध में केंद्रीय एजेंसियों से तालमेल कर चाहें तो सोने के सिक्के बना सकते हैं। सोने के बिस्किट और अन्य तरह का उचित उपयोग सुनिश्चित कर सकते हैं। अभी ऐसा कोई प्रविधान नहीं था कि सोने-चांदी का मर्जी से उपयोग किया जा सके।