हिमाचल चुनावः 19 विधायक ऐसे जिन पर अपराधिक मामले, भाजपा के बलबीर सबसे अमीर

हिमाचल इलेक्शन वॉच, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स यानि एडीआर ने अपनी रिपोर्ट पेश की है.

हिमाचल इलेक्शन वॉच, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स यानि एडीआर ने अपनी रिपोर्ट पेश की है.

शिमला. चुनावों पर नजर रखने वाली हिमाचल इलेक्शन वॉच, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स यानि एडीआर ने अपनी रिपोर्ट पेश की है. एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश में सड़कों की खस्ता हालत और सड़क न होना चुनावों का मुख्य मुद्दा है. इसके अलावा बिजली, पानी और बेरोजगारी प्रमुख मुद्दों में से एक है. हैरानी की बात है कि महंगाई प्रदेश की जनता के सामने 7वें नंबर का मुद्दा है.

संस्था के अनुसार, जो प्रदेश में मौजूदा 68 विधायक हैं, 2017 में उनकी ओर से चुनाव आयोग में दायर किए गए हल्फनामों के अनुसार 68 में से 28% यानि 19 विधायक ऐसे हैं, जिन पर आपराधिक मामले चल रहे हैं, और 8 विधायक ऐसे हैं जिन पर गंभीर आपराधिक मामले चल रहे हैं.

भाजपा के 17 विधायकों पर आपराधिक मामले चल रहे हैं और 6 के खिलाफ गंभीर मामले हैं जबकि कांग्रेस के 4 विधायक हैं जिनमें से 2 पर गंभीर आपराधिक मामले चल रहे हैं. संपत्ति का बात करें तो 68 में से 50 विधायक करोड़पति हैं, विधायकों की औसत संपत्ति 8.45 करोड़ रुपये है

चौपाल से विधायक बलवीर वर्मा 90 करोड़ की संपत्ति के मालिक हैं, जो सबसे अमीर विधायक हैं जबकि 58 लाख की संपत्ति की मालिक इंदौरा से भाजपा विधायक रीता धीमान के पास सबसे कम संपत्ति है.68 में से 50 विधायक ऐसे हैं, जो करोड़पति हैं.

संस्था के अनुसार हिमाचल ज्ञान विज्ञान समिति के साथ मिलकर चलाया जा रहा चुनावी साक्षरता अभियान 1500 ग्राम पंचायतों और शहरी क्षेत्रों में 50,000 से अधिक घरों तक पहुंचेगा. हिमाचल इलेक्शन वॉच और एडीआर ने 68 मौजूदा विधायकों की आपराधिक, शिक्षा, लिंग और वित्तीय पृष्ठभूमि की रिपोर्ट जारी की है.

1500 पंचायतों और शहरी इलाकों में 50 हजार घरों का सर्वे के बाद जो रिपोर्च सामने आई है.  उसके अनुसार 89 % लोग इमानदार नेता को वोट करना पसंद कर रहे हैं और केवल 11% केवल पार्टी को देखकर वोट करना पसंद कर रहे हैं. संस्था के अनुसार अभी 60% सर्वेक्षेण बाकी है.

संस्था के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों को ऐसे उम्मीदवारों के चयन के 72 घंटों के भीतर आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को नामित करने के लिए कारणों को अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म सहित अपनी वेबसाइट पर सूचीबद्ध करने का भी निर्देश दिया है. यह जानकारी : (ए) एक स्थानीय स्थानीय समाचार पत्र और एक राष्ट्रीय समाचार पत्र; (बी) फेसबुक, ट्विटर सहित राजनीतिक दल के आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी प्रकाशित की जाएगी.