himachal: डा. लैहरू राम सांख्यान की आवाज के बिना अधूरा है लोक संगीत

समाज के लिए कुछ हटकर करने वालों को ‘दिव्य हिमाचल मीडिया ग्रुप’ हमेशा सलाम करता रहा है। हिमाचल, हिमाचलियों की सेवा और यहां की संस्कृति को सहेजने वालों को सम्मान हमारी प्राथमिकताओं में शुमार है। ‘दिव्य हिमाचल एक्सिलेंस अवार्ड’ ऐसा कि कर्मठ विभूतियों, संगठनों और संस्थाओं के ईमानदार प्रयासों को प्रणाम करने का संकल्प है। इस बार ‘दिव्य हिमाचल एक्सिलेंस अवार्ड’ की ‘सर्वश्रेष्ठ संगीत साधक’ श्रेणी में शामिल हैं मंडी के डैहर में रह रहे बिलासपुर के लोक गायक लैहरू राम सांख्यान …

 

हिमाचल प्रदेश के परंपरागत लोक गीत-संगीत और पौराणिक संस्कृति के अभिजनक कोई है, तो वह हैं डा. लैहरू राम सांख्यान। डा. सांख्यान प्रदेश के लोक संगीत और संस्कृति के ध्वज को विश्व पटल पर फहराने के लिए चार दशक से डटे हुए हैं। संस्कृति के संवद्र्धन के लिए जज्बा ऐसा कि अंतिम सांस तक समर्पित करने की सौगंध उठाई है। उनकी आयु आज 64 वर्ष है, लेकिन उनमें ऊर्जा 14 साल के किशोर के जैसी है। वह आज भी अपने सुरीले व मनमोहक अंदाज में प्रदेश के पौराणिक व परंपरागत गानों को युवा पीढ़ी तक पहुंचाने के कठिन काम को अपनी सेवा समझते हैं। डा. लेहरू राम सांख्यान ने ‘दिव्य हिमाचलÓ से अपने दिल की बात साझा करते हुए बताया कि पांच से छह वर्ष की आयु में उन्होंने गाना शुरू किया था। मूलत: जिला बिलापसुर के घुमारवीं तहसील के गांव गहरा डाकघर बल्ह चुरानी के रहने वाले डा. लैहरू राम सांख्यान पिछले दो दशकों से सुंदरनगर की डैहर उपतहसील में रहते हैं ।

आज डैहर का नाम बड़े गर्व से उनकी पहचान से लिया जाता है। स्वास्थ्य विभाग में बतौर चिकित्सक 18 साल सेवाएं देने के साथ 40 वर्षों से ज्यादा समय से वह प्रदेश की पौराणिक लोक गाथाओं और लोक संस्कृति को युवा पीढ़ी तक पहुुंचा रहे हंै। प्रदेश व साथ लगते पड़ोसी राज्यों का शायद ही ऐसा कोई मेला व त्योहार हो, जहां पर डा. लैहरू राम सांख्यान की स्वर लहरियां गंूजी न हों। अब तक डा. लैहरू राम सांख्यान एक दर्जन से ज्यादा एलबम के साथ उनमें अभिनय भी कर चुके हं। टी सीरीज कंपनी के साथ उन्होंने आधा दर्जन एलबम निकालीं। कुरुक्षेत्र महाविद्यालय से कव्वाली व लोक गायन में उन्हें प्रथम स्थान मिल चुका है। उन्हें रोहतक यूनिवर्सिटी से सर्वश्रेष्ठ अभिनेता व बेस्ट गायक के अवार्ड सहित दर्जनों सम्मान मिल चुके हं। डा. सांख्यान लोक संगीत, लोक संस्कृति और लोक गायन के साथ भक्ति गीत और युवा संगीत की प्रस्तुतियां देते हं। ‘दिव्य हिमाचल’ मीडिया समूह ऐसी हस्ती को हिमाचल एक्सिलेंस अवार्ड की श्रेणी में शुमार कर गौरवान्वित महसूस कर रहा है। (एचडीएम)

नाम डा. लैहरू राम सांख्यान
जन्म 14 अप्रैल, 1958
पिता स्व. लखू राम शर्मा
माता स्व. बोहरी देवी
शिक्षा कुरुक्षेत्र महाविद्यालय से मेडिकल में जीएमएस व
एमए म्यूजिक

क्या कहते हैं सांख्यान

डा. लैहरू राम संख्यान का कहना है कि जब तक उनकी सांसें चलती रहेंगी, वह प्रदेश के लोक गीत-संगीत और समृद्ध संस्कृति को संजोते हुए इसे निरंतर आगे बढ़ाते रहेंगे। लोकगायन को वह अपना परम कत्र्तव्य मानते हैं। वह युवाओं को लोक संस्कृति से रू-ब-रू करवाते रहेंगे।

उपलब्धियां

लगातार दो बार सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन नई दिल्ली के पैनल बोर्ड सदस्य

सांस्कृतिक मंत्रालय भारत सरकार के नॉर्थ जोन के गुरु-शिक्षा कार्यक्रम के तहत गुरु मनोनीत

ऑल इंडिया रेडियो व दूरदर्शन सहित भाषा एवं संस्कृति कला अकादमी हिमाचल के उच्च श्रेणी कलाकार के रूप में मनोनीत