जमीन खरीद की मंजूरी मामले में चल रही थी विजिलेंस जांच
हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव पी मित्रा नहीं रहें। वे पिछले काफी समय से कैंसर से जूझ रहे थे और उनका उपचार चल रहा था । पी. मित्रा मूल रूप से दिल्ली के रहने वाले थे। धूमल सरकार में जब वह राजस्व सचिव थे, उस दौरान धारा-118 के तहत जमीन खरीद को लेकर मंजूरी देने में गड़बड़ी के आरोप उन पर लगे थे। बाद में वह वीरभद्र सरकार में मुख्य सूचना आयुक्त के पद पर भी रहे थे। अनिल खाची को राज्य चुनाव आयुक्त के पद पर नियुक्त करने से पहले वे इस पद पर तैनात थे। पी मित्रा मूल रूप से दिल्ली से थे। हिमाचल में ठियोग और अन्य जगहों पर भी उनकी संपत्तियां हैं।
1956 में जन्में पी मित्रा 1978 बैच के आईएएस अधिकारी थे। धारा 118 के तहत जमीन खरीद की मंजूरी मामले में उन पर विजिलेंस जांच चल रही थी। मित्रा पर आरोप था कि वर्ष 2010-11 में घूस लेकर गैर हिमाचलियों को जमीन दी गई। इसमें भ्रष्टाचार के तहत मामला दर्ज किया गया। उस समय धूमल की सरकार थी और पी मित्रा प्रमुख सचिव राजस्व थे। कांग्रेस की सरकार आने से मामला ठंडे बस्ते में चला गया। विजिलेंस की क्लोजर रिपोर्ट को सेशन कोर्ट ने स्वीकार नहीं किया था और फिर जयराम सरकार बनते ही नए सिरे से जांच की गई।