हाईकोर्ट ने 15 अक्तूबर तक सभी जजों से इस बाबत सुझाव मांगे हैं। अधीनस्थ न्यायालयों में इस समय कुल 4,74,011 मामले लंबित हैं। एक जज के लिए औसतन 3,361 मामले निपटाने का जिम्मा है।
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने अधीनस्थ अदालतों में लंबित मामलों को निपटाने के लिए प्रारूप तैयार किया है। इसके तहत निर्धारित मामले निपटाए जाने पर जजों के कार्य का मूल्यांकन किया जाएगा। जिला एवं सत्र न्यायाधीश के लिए एक महीने में कम से कम 10 मामले निपटाने के नियम बनाए गए हैं। इसी तरह ट्रायल को निपटाने के लिए 60 दिन का समय तय किया गया है। सिविल जज के लिए एक दिन में एक मामला निपटाने का नियम बनाया गया है।
हाईकोर्ट ने 15 अक्तूबर तक सभी जजों से इस बाबत सुझाव मांगे हैं। अधीनस्थ न्यायालयों में इस समय कुल 4,74,011 मामले लंबित हैं। एक जज के लिए औसतन 3,361 मामले निपटाने का जिम्मा है। इन मामलों को शीघ्रता से निपटाने के लिए हाईकोर्ट ने प्रारूप तैयार किया है। जजों के कार्य का मूल्यांकन अंकों के आधार पर किया जाएगा। एक महीने में जितने मामले निपटाए जाएंगे, उसके हिसाब से अंक दिए जाएंगे। 140 अंक से अधिक अंक लेने पर सर्वश्रेष्ठ कार्य गिना जाएगा। 121 से 140 अंक लेने पर बहुत अच्छा, 101 से 120 अंक लेने के लिए अच्छा, 89.50 से 100 अंक पर सामान्य और 89.50 अंक से नीचे अपर्याप्त माना जाएगा।
डिमोट भी किए जाएंगे जज
प्रारूप में स्पष्ट किया गया है कि यदि कोई जज निर्धारित मामलों को निपटाने में असफल रहता है तो उसे अयोग्य आंका जाएगा। लगातार दो मूल्यांकन अवधि में निर्धारित मामलों को निपटाने में असफल रहने पर संबंधित जज को डिमोट किया जाएगा। ऐसे जज को 50 वर्ष की आयु पूरी करने पर उपयोगिता की समीक्षा करते समय इस कारक को ध्यान में रखा जाएगा। सभी जजों के कार्य का मूल्यांकन वर्ष में चार बार किया जाएगा।