धर्मशाला. कभी स्कूल की फीस देने के लिए पैसे नहीं होते थे, लेकिन अब काकू किसी की पहचान का मोहताज नहीं है. अब उसे छोटा पैकेट-बड़ा धमाका कहा जाता है. दरअसल, यहां बात हो रही है हिमाचल प्रदेश के लोक गायक काकू ठाकुर की.
अपनी प्रतिभा के दम पर अब हिमाचल की एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में काकू ने काफी नाम कमाया है. वह हिमाचल से बाहर सबसे ज़्यादा लाइव शो करने वाली हस्तियों में शुमार हो चुके हैं. हालांकि, कोविडकाल के दौरान लॉकडाउन में कलाकारों की माली हालत खस्ता हुई थी. लेकिन काकू राम ठाकुर ने विपरीत परिस्थितियों में हौसला नहीं खोया और ऑनलाइन ही हिमाचल, पंजाब और जम्मू के कलाकारों को वर्चुअल माध्यम से जोड़कर लोगों का मनोरंजन करते रहे.
30 साल के काकू राम के बचपन के किस्से भी बड़े किस्से हैं. काकू राम ठाकुर जब चम्बा के एक सरकारी स्कूल में पढ़ते थे तो घर की माली हालत ठीक ना होने के कारण स्कूल फीस नहीं दे पाते थे. तब अध्यापक काकू से भजन और गाने सुनने की फरमाइश करते और फिर उनकी फ़ीस अदा कर देते, थे. ऐसा एक बार नहीं हुआ, मैट्रिक तक ये सिलसिला चलता रहा.
फिर वक़्त बदला, हालात बदले और काकू राम ठाकुर आगे की पढ़ाई तो जारी नहीं रख सके, मगर उनके गाने का शौक लगातार बदस्तूर जारी रहा. नतीजतन, काकू राम ठाकुर को मशहूर गीतकार शंकर साहनी के साथ भी एलबम बनाने का मौका मिला. पंजाब और बॉलीवुड के हरफनमौला सिंगर मास्टर सलीम के साथ भी काकू राम ठाकुर मंच साझा कर चुके हैं और ये सिलसिला आगे भी चलता ही रहा.
मार्केट में काकू राम ठाकुर की कई एलबम, सौ से ज़्यादा गाने और लाइव कंसर्ट की भरमार है. कई मर्तबा तो काकू एन्ड कम्पनी की मैनेजमेंट देख रहे उनके मैनेजर के सामने ये चुनोती हो जाती है कि किसे कन्सर्ट के लिये हां करें और किसे ना.
दुर्गम इलाके से आते हैं काकू
इतना ही नहीं, आज की तारीख में काकू राम ठाकुर न केवल एक कलाकार के तौर पर अपनी पहचान बना चुके हैं बल्कि कई प्रादेशिक कल्चर्ल रियलटी शोज़ में बतौर जज की भी भूमिका निभा रहे हैं. बेहद ग़रीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले और बचपन से महामाई की भेंटें गाकर अपने जीवन और करियर की शुरुआत करने वाले जिस काकू राम ठाकुर के पास कभी अपने साहो वैली स्थित अति दुर्गम गांव कीड़ी से चम्बा आवाजाही करने के लिए चन्द रुपये नहीं हुआ करते थे, आज उसी काकू राम ठाकुर का मानना है कि उनके सिर पर महामाईं की इतनी कृपा है कि वो अपने बलबूते कईयों का घर परिवार मेहनत के बलबूते चला रहे हैं.