Himachal News: राजीव गांधी मॉडल डे बोर्डिंग स्कूलों का डिजाइन बनाने में फंसा ट्राई सिटी का पेच

उच्च शिक्षा निदेशालय ने शर्त लगाई है कि वे ही वास्तुकार आवेदन कर सकते हैं जिन्होंने बीते तीन वर्षों में 20 करोड़ का काम किया हो। वास्तुकार या उनकी कंपनी का कार्यालय ट्राई सिटी या हिमाचल में होना जरूरी है। ये शर्तें हिमाचल के वास्तुकारों के गले नहीं उतर रही हैं।

उच्च शिक्षा निदेशालय (फाइल फोटो)

हिमाचल प्रदेश के हर विधानसभा क्षेत्र में बनाए जाने वाले राजीव गांधी मॉडल डे बोर्डिंग स्कूलों का स्ट्रक्चरल डिजाइन तैयार करने में ट्राई सिटी (चंडीगढ़, पंचकूला और मोहाली) का पेच फंस गया है। सुक्खू सरकार की फ्लैगशिप योजना को लेकर हिमाचली मूल के वास्तुकारों ने मोर्चा खोल दिया है। स्कूलों का डिजाइन बनाने को उच्च शिक्षा निदेशालय के बनाए नियमों और शर्तों पर वास्तुकारों ने सवाल उठाए हैं।

मामले की शिकायत शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर से भी की गई है। शिक्षा मंत्री ने छह फरवरी को सचिवालय में इस बाबत बैठक बुलाई है। बैठक में वास्तुकारों और उच्च शिक्षा निदेशक को बुलाया गया है। राजीव गांधी मॉडल डे बोर्डिंग स्कूलों के निर्माण के लिए सरकार नामी वास्तुकारों से डिजाइन तैयार करवाने की तैयारी में है। बीते दिनों उच्च शिक्षा निदेशालय की ओर से इस बाबत निविदाएं आमंत्रित की गईं। निविदा करने के लिए रखीं शर्तें हिमाचल के वास्तुकारों के गले नहीं उतर रही हैं।

इसमें एक शर्त है कि वास्तुकार या उनकी कंपनी का कार्यालय ट्राई सिटी या हिमाचल में होना जरूरी है। सवाल उठाया गया है कि ट्राई सिटी को ही क्यों चुना गया। बेहतर होता कि देश में कहीं भी कार्यालय होने की बात लिखी जाती। शिक्षा मंत्री को वास्तुकार विदुर मेहता, सुभाष वर्मा और विपिन कौंडल ने कहा कि बीते तीन वर्षों से शिमला में एनजीटी ने निर्माण कार्यों पर रोक लगाई हुई है। ऐसे में 20 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट बनाया जाना संभव ही नहीं है।

निदेशालय ने शर्त लगाई है कि वे ही वास्तुकार आवेदन कर सकते हैं जिन्होंने बीते तीन वर्षों में 20 करोड़ का काम किया हो। उन्होंने कहा कि काउंसिल ऑफ आर्किटेक्चर के मुताबिक डिजाइन तैयार करने के लिए वास्तुकारों से अग्रिम राशि जमा नहीं करनी होती है। शिक्षा निदेशालय ने नियमों में 20 हजार रुपये अग्रिम राशि मांगी है। अगर हम अग्रिम राशि जमा करवाते हैं तो काउंसिल लाइसेंस भी रद्द कर सकती है। उन्होंने शिक्षा मंत्री से इन सभी बिंदुओं पर विचार करते हुए हिमाचली मूल के वास्तुकारों को राहत देने की मांग की है।

हर विधानसभा क्षेत्र में 25 से 30 बीघा भूमि पर होना है निर्माण
सूबे के हर विधानसभा क्षेत्र में डे बोर्डिंग स्कूलों का 25 से 30 बीघा जमीन पर निर्माण किया जाना है। इन स्कूलों में स्टाफ के रहने के लिए आवासीय सुविधा रहेगी। मेस की व्यवस्था भी होगी। खेलकूद के लिए बड़े मैदान तैयार किए जाएंगे। स्कूलों में छुट्टी होने के बाद भी विद्यार्थी शाम को माता-पिता के आने तक रह सकेंगे। इन स्कूलों में अंग्रेजी व हिंदी दोनों माध्यमों से पढ़ाई करवाई जाएगी। 1,500 से 2,000 विद्यार्थियों की संख्या के हिसाब से डे बोर्डिंग स्कूल बनाए जाने हैं। इन स्कूलों में नर्सरी से बारहवीं कक्षा तक एक साथ विद्यार्थी पढ़ सकेंगे। हर स्कूल में चार ब्लॉक बनाए जाने प्रस्तावित हैं।