पीस मील कर्मचारियों का कहना है कि जब तक सरकार उनकी मांगें नहीं मानेगी, तब तक धरना प्रदर्शन इसी तरह जारी रहेगा. इन कर्मचारियों का कहना है कि यह लंबे समय से एचआरटीसी के लिए सेवा दे रहे हैं, लेकिन निगम इनकी सुध नहीं ले रहा है.हिमाचल पथ परिवहन निगम पीस मील कर्मचारी मंच के अध्यक्ष खेमचंद का कहना है कि साल 2015 में बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की बैठक में पीस मील कर्मचारियों को अनुबंध नीति में लाने की बात कही गई थी. इसके बाद 450 कर्मचारियों को निगम की ओर से अनुबंध नीति में लाया गया लेकिन जुलाई, 2017 के बाद निगम ने पीस मील कर्मचारियों को नीति के तहत लेना बंद कर दिया.
मंच के अध्यक्ष खेमचंद ने कहा कि सरकार की ओर से अनुबंध नीति में शामिल न करने की वजह से करीब 950 पीस मील कर्मचारी परेशान हैं. उन्होंने कहा कि महंगाई के इस दौर में भी पीस मील कर्मचारियों को 3 हजार से 3500 रुपए का ही वेतन दिया जा रहा है. महंगाई के इस दौर में उनके लिए गुजर-बसर करना मुश्किल हो गया है. उन्होंने कहा कि इससे पहले सरकार ने पीस मील कर्मचारी के तौर पर 5 साल का कार्यकाल पूरा कर चुके आईटीआई होल्डर और 6 साल का कार्यकाल पूरा कर चुके गैर आईटीआई होल्डर को अनुबंध नीति के तहत लाया था मंच ने हिमाचल सरकार और पथ परिवहन निगम के अधिकारियों से मांग की है कि उनके लिए जल्द से जल्द अनुबंध नीति को बहाल किया जाए. जिस तरह पहले कर्मचारियों को नमन नीति के तहत लाया गया, ठीक उसी तरह इन 950 कर्मचारियों को अनुबंध नीति के तहत लाया जाए.
बता दें कि पीस मील कर्मचारी हिमाचल पथ परिवहन निगम की कार्यशाला में टेक्निकल काम करते हैं. इसमें बस के टायर बदलने, सीट कवर लगाने, पेंट, इलेक्ट्रीशियन आ का काम शामिल है. इस काम की बदले निगम की ओर से उन्हें प्रति काम के मुताबिक धन भुगतान किया जाता है. इन पीस मील कर्मचारियों को हर माह केवल तीन हजार से तीन हजार पांच सौ रुपये का ही भुगतान होता है.