कुछ शहर बसा था कुछ बचा था जंगल: पहला फोटो देश की ग्रीष्मकालीन राजधानी शिमला का 1930 के दशक का है। अंग्रेजों के बसाए शहर में उस वक्त ज्यादातर मकान कच्चे थे। शहर के आसपास हरे-भरे पेड़ यहां की नैसर्गिक सुंदरता को चार चांद लगाते थे।
काट डाले पेड़, बना दिया कंकरीट का जंगल: दूसरा फोटो रिच माउंट से सितंबर 2022 में खींचा है। वर्ष 1930 में शहर की जनसंख्या लगभ्ाग 18,144 थी। वर्ष 2021 की जनगणना के अनुसार यहां की आबादी 1,69,578 हो गई। जनसंख्या का दबाव बढ़ने पर पेड़ काटकर यहां कंकरीट का शहर खड़ा कर दिया गया।
वर्ष 1948 में प्रदेश की साक्षरता दर मात्र सात फीसदी थी। यह आज बढ़कर 83.78 फीसदी हो गई है।
प्रदेश के कुल्लू शहर की तस्वीर पहले कुछ और थी, अब इसमें काफी बदलाव हो चुका है। कुल्लू को देवभूमि भी कहा जाता है।
प्रदेश के हमीरपुर जिले का गांधी चौक भी पहले के मुकाबले काफी बदला है।
प्रदेश का धर्मशाला शहरी पर्यटन व तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा की नगरी है। इस शहर के कोतवाली बाजार में पहले से कई बदलाव आए हैं।
चंबा जिला उपायुक्त कार्यालय में भी दर्शकों से कई बदलाव देखने को मिले हैं।