अक्सर देखा गया है कि जब मतदाता किसी नेता को चुन कर लाते है और उसके बाद वह शक्तिशाली नेता बन जाता है | शक्ति आते ही वह उसका दुरुपयोग भी करने लग जाता है | जिसके चलते मतदाता भी अपने को ठगा सा महसूस करते हैं | इस अवस्था पर अंकुश लगाने के लिए प्रदेश सरकार चाहे तो राईट टू रिकॉल का अधिकार मतदाताओं को दे सकती है | जिस से वह अगर उनका नेता मनमानी कर रहा है उसे वापिस बुला सकती है | राईट टू रिकॉल अधिकार से नेता को सही मार्ग पर लाने का कार्य किया जा सकता है | यह अधिकार न केवल विदेश में मतदाताओं को दिया गया है बल्कि भारत के भी कई राज्यों में भी यह शक्ति मतदाताओं को दी गई है |
समाज सेवी विवेक शर्मा ने इस बारे में कहा कि चुनावों को तभी पारदर्शी बनाया जा सकता है जब मतदाताओं को राईट टू रिकॉल का अधिकार प्रदेश सरकार दे | उन्होंने कहा कि इस नियम से नेताओं की मनमानी पर अंकुश लग सकेगा | उन्होंने कहा कि प्रदेश में दो बड़ी पार्टियां भाजपा और कांग्रेस सरकार है उन्हें चाहिए कि विधान सभा में राईट टू रिकॉल अधिकार को लाकर उसे लागू करें | उन्होंने कहा कि यह अधिकार जब मध्य प्रदेश , छत्तीसगढ़ , बिहार,झांखण्ड और राज्यस्थान में लागू किया जा चुका है तो हिमाचल सरकार इसे लागू करने में क्यों पीछे है |