हिमाचल की हिम्मती बेटी, क्लासरूम का वीडियो वायरल होने के बाद वैशाली की प्रेरणादायक दास्तां…

कुल्लू, 31 अगस्त : हिमाचल प्रदेश में एक वीडियो वायरल हुआ, इसमें एक प्रशिक्षु टीचर बच्चों को बेहद ही खूबसूरत व मनमोहक अंदाज में पढ़ाती नजर आ रही है। बच्चे भी प्रशिक्षु टीचर के मानोे दिवाने बने हुए हैं।

यकीन कीजिए, महज 20 साल की प्रशिक्षु वैशाली बिष्ट ने एक कविता के माध्यम से नन्हें बच्चों को ‘रामायण’ का सारांश समझा दिया। वीडियो वायरल होने के बाद हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जनपद के बजौरा की रहने वाली वैशाली से एमबीएम न्यूज नेटवर्क का संपर्क हुआ।  इस पर एक बहादुर बेटी की प्रेरणादायक स्टोरी सामने आ गई।

अक्सर ही जीवन में युवा असफलता या फिर हैल्थ इशू को लेकर अवसाद का शिकार हो जाते हैं। प्रशिक्षण के दौरान प्राइमरी स्कूल के बच्चों से एक भावनात्मक रिश्ता बनाने वाली वैशाली बिष्ट के जीवन में एक ऐसा दौर आया, जब वो हार मानकर ऐसा कदम उठा लेती, जिससे परिवार का दर्द कम होने की बजाय बढ़ जाता।

शमशी में जेबीटी की पढाई कर रही वैशाली बिष्ट हाल ही में उस वक्त वायरल हुई, जब वो बच्चों को रामायण की कहानी कविता के जरिए पढ़ा रही थी।

एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत के दौरान वैशाली ने अपने जीवन की कठिनाईयों को विस्तार से शेयर किया। दसवीं की कक्षा की पढ़ाई के दौरान दिन में 30 से 40 मर्तबा चक्कर खाकर गिर जाया करती थी। फिर वैशाली ने कविता लेखन को अपनी टेंशन को दूर भगाने का जरिया बनाया। लेखन भी करने लगी। ‘दर्द हर महीने का’ लेख को राष्ट्रीय स्तर पर पहला पुरस्कार भी हासिल हुआ।

हाल ही में एक पत्रिका ने वैशाली बिष्ट के जीवन से जुड़े लेख को राष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित किया है, क्योंकि वैशाली के जीवन का संघर्ष उन युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो जल्द ही चुनौतियों के आगे घुटने टेक देते हैं।

जीवन से जुड़ी खास बातें….
पांच बहनों में वैशाली सबसे बड़ी है। हालांकि, पिता सरनपत अग्निशमन विभाग में कार्यरत हैं, लेकिन वैशाली जानती है कि उसे पिता के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलना है। 26 अप्रैल 2016 को वैशाली की जिंदगी में  एक ऐसा दिन आया, जब उसके रहन-सहन का तरीका बदल गया। हर दिन की तरह वैशाली भी खुशी-खुशी स्कूल के लिए निकली थी। आधी छुट्टी के बाद करीब 3 बजे पीटी पीरियड था। सर अनुपस्थित थे।

इस दौरान वो सीढ़ियों के साथ कोने में दो सहेलियों के साथ खड़ी थी। अचानक ही पीछे से किसी ने धक्का दिया। गिरने से तो बचा लिया गया, लेकिन वो दहशत में आ चुकी थी। छाती में दर्द के साथ सांस फूलना शुरू हुई तो बेहोश होकर नीचे गिर गई। इसके बाद दिन में करीब 30 से 40 बार चक्कर आना आम बात हो गई। अस्पताल में दाखिल किया गया। चिकित्सक भी वैशाली की स्थिति को नहीं समझ पा रहे थे।

कुल्लू से पीजीआई रैफर किया गया। 2019 में काॅलेज में फर्स्ट ईयर की पढ़ाई कर रही थी। अचानक ही घुटनों से नीचे का हिस्सा सुन्न हो गया, चल-फिरने में असमर्थ थी, लेकिन वो जीवन से हिम्मत नहीं हारने वाली थी।

24 अक्तूबर 2000 को जन्मी वैशाली ने युवा अवस्था की पहली दहलीज पर दाखिल होते ही उपचार के दौरान ऐसे दर्द सहन किए, जो उसे नहीं मिलने चाहिए थे। खैर, हिम्मत के आगे मुसीबत भी आत्म समर्पण कर देती है। धीरे-धीरे स्वस्थ हुई तो काॅलेज में द्वितीय वर्ष की पढ़ाई के दौरान वैशाली का चयन शमशी में जेबीटी कोर्स के लिए हो गया।

परिवार भी देता है दाद…
कुल्लू के छोटे से गांव पिपसू में सरनपद बिष्ट व तारा देवी के घर जन्मी वैशाली के परिवार में कुल 9 सदस्य हैं। दादा-दादी के अलावा माता-पिता व चार बहनें हैं। सबसे छोटी बहन की उम्र महज 5 साल है। माता-पिता भी अपनी बेटी के हौंसले की दाद देते हंैं।

खास बातचीत…
फोन पर एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में वैशाली बिष्ट ने कहा कि जीवन की राह पर जब हिम्मत टूटने लगी थी तो उसने हौंसले को बरकरार रखने व खुद को दिलासा देने के लिए कविताएं लिखना शुरू कर दिया। मन में जो विचार आते, उसे वो कागज पर लिख देती। उसे  भी नहीं पता था कि वो क्या लिख रही है। वैशाली ने कहा कि ‘अभी हार न मान तू….ये संघर्ष है तेरा, अभी तो जीवन का पहिया चलना शुरू हुआ है, इस समय हार मान ली तो सारी जिंदगी रो-रो कर काटनी होगी’ लिखा था।

धार्मिक स्वभाव की वैशाली बिष्ट का कहना है कि वो आज जो भी है वो भद्रकाली मां की बदौलत है। उन्होंने बताया कि बमुश्किल उसका परिवार उसे महामाई मां भद्रकाली के दरबार में लेकर पहुंचा था। इसके बाद से वो स्वस्थ होना शुरू हो गई।

गौरतलब है कि 12वीं में वैशाली ने ट्रीटमेंट जारी होने के बावजूद 76 प्रतिशत अंक हासिल किए थे। बहरहाल, इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं है कि किशोर से युवा अवस्था में दाखिल होने वाली एक बच्ची ने जीवन की कठिन परिस्थितियों का सामना किया है।

एक बेहतरीन शिक्षिका….
अहम बात ये है कि एक समय था जब कविता लेखन से वैशाली ने खुद को अवसाद के गर्त में जाने से खुद को बचा लिया था। अब ये ही कविताएं हैं, जिनका इस्तेमाल वो नन्हें सरकारी स्कूल के बच्चों को बेहद ही सृजनात्मक तरीके से शिक्षा देने के लिए कर रही हैं। एमबीएम न्यूज नेटवर्क भी वैशाली बिष्ट के उज्जवल भविष्य की कामना की है।