हिमाचल की बेटी ने 12 साल की उम्र में खोया दाहिना हाथ…राष्ट्रीय स्तर पर बटोर लाई मैडल

12 साल की बच्ची के जीवन में अचानक ही कठोर लम्हा आ गया। मासूम बेटी को दाहिना हाथ खोना पड़ा। यकीन मानिए, 12 साल की आन्या ने हौसले व माता-पिता के आशीष से मुश्किल चुनौती को हरा डाला। मेंटल ट्रामा से उबर कर मौजूदा में बेटी माता-पिता के अलावा प्रदेश को भी गौरवान्वित कर रही है।

माउंट एवरेस्ट पर फतेह पाने वाली दिव्यांग अरुणिमा सिन्हा (Arunima Sinha) भी एक भयंकर हादसे की शिकार हुई थी। विश्व में माउंट एवरेस्ट पर चढ़नी वाली पहली विकलांग युवती ने ये भी कहा था कि जब आपको कुदरत भयंकर हादसे के बाद भी जीवन देती है तो ये समझ लेना चाहिए कि आपके लिए कुछ बड़ा करने का इशारा है।

धर्मपुर की आन्या ठाकुर को 2018 में अचानक ही घर पर करंट लगा। इसके बाद दाहिना हाथ खो दिया। हिम्मती बच्ची 16 साल की हो चुकी है। दो साल का वक्त वैश्विक महामारी में गुजर गया। इसके बाद से आन्या ठाकुर लगातार ही पैरालंपिक्स (paralympics) में झंडा गाड़ रही है। गुजरात के नडियाद (Nadiad) में आयोजित राष्ट्रीय सब जूनियर पैरालंपिक्स चैंपियनशिप में आन्या ठाकुर ने एक रजत व एक कांस्य पदक पर कब्जा किया है।

आन्या को ये पदक 400 व 100 मीटर दौड़ में प्राप्त हुए हैं। गौरतलब है कि इससे पूर्व आन्या  ठाकुर पैरालंपिक्स, स्कीइंग, विंटर स्पोर्टस में हिस्सा लेने साउथ कोरिया भी गई थी। चंडीगढ़ के 22 सैक्टर स्थित एसडी पब्लिक स्कूल में पढ़ाई कर रही है। राज्य स्तर पर आन्या ठाकुर ने तीन पदक जीत कर सोलन को गौरवान्वित किया था। ये प्रतियोगिता 25 से 27 दिसंबर तक धर्मशाला में आयोजित हुई थी।

आन्या के पिता जितेंद्र ठाकुर व माता शिवानी ठाकुर का कहना है कि छोटी उम्र में मुश्किल सामने आने के बावजूद भी आन्या ने खुद को एक अलग तरीके से स्थापित करने का लक्ष्य निर्धारित किया हुआ है। उन्होंने कहा कि जब वो छोटी थी तो कतई भी इस बात का इल्म नहीं था कि 16 साल की उम्र में पहुंचते-पहुंचते न केवल एक बड़ी चुनौती से गुजरेगी, बल्कि माता-पिता के लिए किशोर अवस्था में ही गौरव लाना शुरू कर देगी।

उन्होंने बताया कि आन्या को बचपन से ही खेलों का शौक रहा है। एमबीएम न्यूज नेटवर्क आन्या के उज्जवल भविष्य की कामना करता है।