2022-09-02
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इंजीनियर कैलाश चंद महाजन
साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में अहम योगदान पर मिला पद्मश्री
पत्रकार और लेखक बरजिंदर सिंह पंजाबी समाचार पत्र के प्रबंध संपादक और जालंधर से राज्यसभा सदस्य रहे हैं। वर्ष 1990 में साहित्य और शिक्षा क्षेत्र में सराहनीय योगदान के लिए पद्मश्री सम्मान प्रदान किया गया।
पारंपरिक वाद्य यंत्र बजाने के माहिर मुसाफिर राम भारद्वाज
चंबा जिले के संचुई, भरमौर में मुसाफिर राम भारद्वाज का जन्म में दीवाना राम के घर 1930 में हुआ। इनकी कोई व्यावहारिक शिक्षा नहीं हुई है। इन्होंने 13 साल की उम्र में पौण माता बजाना सीखा था। पौण माता एक पारंपरिक वाद्य यंत्र है, जो तांबे के यंत्र पर भेड़ की खाल से बनता है। पारंपरिक वाद्य यंत्र बजाने के माहिर हैं। मुसाफिर राम भारद्वाज और इनको वर्ष 2014 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
डॉ, बालचंद्र वनजी नेमाडे को साहित्य और शिक्षा में पद्मश्री
डॉ, बालचंद्र वनजी नेमाडे 1938 को जन्मे। डाॅ. नेमाडे मराठी भाषा के लेखक, कवि, आलोचक और भाषाविद् हैं। नेमाडे ने अपने पहले उपन्यास कोसल से शुरुआत करते हुए मराठी साहित्य में नए आयाम छुए। नेमाडे ने साहित्य अकादमी पुरस्कार के साथ-साथ ज्ञानपीठ पुरस्कार भी जीता। भारत का सर्वोच्च साहित्यिक पुरस्कार 2013 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। डाॅ. नेमाडे पद्मश्री सम्मान हासिल करते समय भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान शिमला में थे। उनको पद्मश्री सम्मान साहित्य और शिक्षा क्षेत्र में मिला।
मिनिएचर पेंटिग ने चित्रकार विजय शर्मा को दिलाया पद्मश्री
चित्रकार विजय शर्मा ने प्रभाकर करने के बाद इतिहास विषय में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की। इसके बाद विजय शर्मा फिर बनारस स्थित भारत कला भवन में मिनिएचर पेटिंग सीखने चले गए। बाद में इसी ने पद्मश्री दिलाया । हिमाचल पथ परिवहन निगम, शिक्षा और संस्कृति विभाग में कुछ समय तक नौकरी की, लेकिन बाद में भूरि सिंह संग्रहालय के साथ जुड़ गए। इन्होंने गैर सरकारी संगठन शिल्प परिषद का भी गठन किया। आज इनकी बनाई कलाकृतियां विशेष आकर्षण का केंद्र रहती हैं।
तिब्बती चिकित्सा पद्धति के चिकित्सक येशी ढोडेन
पारंपरिक तिब्बती चिकित्सा पद्यति के चिकित्सक येशी ढोडेन ने ल्हासा के चक्त्रस्पोरी संस्थान में तिब्बती मेडिसिन में दाखिला लिया था। इसके बाद 9 साल तक तिब्बती चिकित्सा का अध्ययन किया। 20 साल की उम्र में तिब्बती मेडिसिन के चापपोरी इंस्टीट्यूट में पढ़ाई करते हुए सर्वश्रेष्ठ मान्यता दी गई थी। चिकित्सक येशी ढोडेन दलाई लामा का मानद डाॅक्टर बनाया गया था। धर्मशाला में उन्होंने तिब्बती चिकित्सा और ज्योतिष संस्थान की स्थापना की।
प्रसिद्ध भारतीय दंत चिकित्सक डॉ. महेश वर्मा
प्रसिद्ध भारतीय दंत चिकित्सक डॉ. महेश वर्मा मौलाना आजाद इंस्टीट्यूट ऑफ डेंटल साइंसेज के निदेशक और प्रधानाचार्य हैं। वे गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय के कुलपति रहे हैं। भारत सरकार ने 2014 में उन्हें चिकित्सा के क्षेत्र में उनके अहम योगदान के लिए चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्मश्री से सम्मानित किया। डाॅ. वर्मा को डॉ. बीसी राय पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।
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