करीब 75 साल की इस सराहनीय यात्रा में कला, शिक्षा, खेल और देश समाज सेवा के क्षेत्र में भी देवभूमि के लोग पीछे नहीं हैं। हिमाचल हित कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद भी हिमाचल ने बुलंदियों को छुआ है। शिमला से विपिन काला की रिपोर्ट…

भौगोलिक और आबादी की दृष्टि से छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल का डंका देश-दुनिया में बजता है। पहाड़ी प्रदेशों के लिए विकास का मॉडल बने हिमाचल की पहचान पर्यटन, धार्मिक व साहसिक पर्यटन, सैन्य भागीदारी और शहादत, बागवानी, विकास, ऊर्जा, सुशासन और साक्षरता के क्षेत्र में किसी से छिपी नहीं है। करीब 75 साल की इस सराहनीय यात्रा में कला, शिक्षा, खेल और देश समाज सेवा के क्षेत्र में भी देवभूमि के लोग पीछे नहीं हैं। हिमाचल हित कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद भी हिमाचल ने बुलंदियों को छुआ है। शिमला से विपिन काला की रिपोर्ट...
वर्ष 1964 से लेकर 2022 तक हिमाचल की शख्सियतों ने उत्कृष्ट कार्यों के दम पर खूब नाम कमाया और प्रदेश की झोली में 20 पद्मश्री और एक पद्म विभूषण लाकर दिया है। प्रदेश को अभी तक एकमात्र पद्म विभूषण जिला सोलन के कसौली के रहने वाले ब्रज कुमार नेहरू ने वर्ष 1999 में सिविल सेवा में दिलाया है। डॉ. क्षमा मैत्रेय, डॉ. बेट्टीना शारदा बाउमर और ललिता वकील पद्मश्री सम्मान पाकर प्रदेश की महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बनीं। हिमाचल के लिए शेष 17 पद्मश्री पुरुषों ने खेल, चिकित्सा, कला, संगीत, संस्कृत एवं अंग्रेजी साहित्य, सिविल सेवाएं समाज सेवा, शिक्षा और व्यापार एवं उद्योग क्षेत्र में सराहनीय योगदान के लिए प्राप्त किए हैं। पद्म विभूषण और पद्मश्री सम्मान की उपलब्धियों का यह सिलसिला लगातार आगे बढ़ रहा है।
पहला पद्म विभूषण ब्रज कुमार के नाम
प्रदेश का पहला पद्म विभूषण सम्मान ब्रज कुमार नेहरू के नाम दर्ज है। नेहरू का जन्म 4 सितंबर, 1909 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में हुआ था। उन्हें 1999 में पद्म विभूषण पुरस्कार मिला। वे कसौली में रहे और 92 साल की उम्र में कसौली में ही उनका देहांत हुआ था। नेहरू की शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हुई। इसके बाद लंदन के स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से शिक्षा ग्रहण की। पंजाब विश्वविद्यालय से डॉक्टर ऑफ लिटरेचर की उपाधि प्राप्त की। वर्ष 1934 में भारतीय सिविस सर्विस में आए। देश के सात राज्यों में वर्ष 1934 से 1935 तक राज्यपाल भी रहे। 1957 में नेहरू आर्थिक मामलों के सचिव बने। उन्हें 1958 में भारत के आर्थिक मामलों के आयुक्त (बाहरी वित्तीय संबंध) नियुक्त किया था। वह जम्मू-कश्मीर 1981-84, असम 1968-73, गुजरात 1984-86, नगालैंड 1968-73, मेघालय 1970.73, मणिपुर 1972-73 और त्रिपुरा 1972-73 तक राज्यपाल रहे। फारूख अब्दुल्ला सरकार को अस्थिर करने में इंदिरा गांधी की मदद करने से इनकार करने के बाद उन्हें जम्मू-कश्मीर से राज्यपाल के रूप में गुजरात स्थानांतरित कर दिया गया। इनके दादा पंडित नंद लाल नेहरू पंडित मोतीलाल नेहरू के बड़े भाई थे। ब्रज कुमार का विवाह शोभा नेहरू से हुआ। इनके तीन पुत्र अशोक नेहरू, आदित्य नेहरू और अनिल नेहरू हुए। भारतीय राजनायिक के रूप मे नेहरू की पहचान रही है।
पद्मश्री से सम्मानित हॉकी खिलाड़ी चरणजीत सिंह
प्रदेश के जिला ऊना की तहसील अंब के मेन खास गांव में 3 फरवरी, 1931 को जन्मे हाकी खिलाड़ी चरणजीत सिंह को वर्ष 1964 में पद्मश्री से नवाजा गया था। प्रदेश का पहला पद्मश्री दिलाने का श्रेय उनको जाता है। वर्ष 1964 में ग्रीष्मकालीन ओलंपिक हॉकी टीम के कप्तान रहे हैं। चरणजीत सिंह ने हिमाचल विश्वविद्यालय शिमला में शारीरिक शिक्षा विभाग में निदेशक पद पर भी सेवारत रहे थे। उनका अब निधन हो चुका है।चरणजीत सिंह की अगुआई मे 1964 के टोक्यो ओलंपिक में भारतीय टीम ने फाइनल में पाकिस्तान को हराकर ऐतिहासिक स्वर्ण पदक जीता था। रणजीत सिंह के परिवार में दो बेटे और एक बेटी है। ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता टीम की कप्तानी के साथ वह 1960 रोम ओलंपिक की रजत पदक विजेता टीम का भी हिस्सा रहे थे।
एचएएस अधिकारी सत्यदेव को पद्मश्री सम्मान
शिमला जिले की तहसील कुमारसैन के गांव कोटगढ़ के रहने वाले हिमाचल प्रशासनिक सेवा के अधिकारी सत्यदेव को 1976 में पद्मश्री से नवाजा गया। नागरिक सेवा के लिए उन्हें पद्मश्री सम्मान तत्कालीन राष्ट्रपति फखरूद्दीन अली अहमद ने प्रदान किया। हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक सेवा कैडर के अधिकारी के रूप सेवा देते हुए सत्यदेव शिमला से सेवानिवृत्त हुए। सत्यदेव कहते हैं कि वर्ष 1975 में प्रदेश के जनजातीय जिला किन्नौर के लीओ में भूकंप आया था। भूकंप से जानमाल का काफी नुकसान हुआ था। उनकी बतौर नायब तहसीलदार किन्नौर में तैनाती थी। सूचना मिलते ही वह लीओ के लिए रवाना हुए और भूकंप पीड़ितों की तत्काल मदद की जाने लगी।
कबड्डी खिलाड़ी अजय ठाकुर

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डॉ. क्षमा मैत्रेय ने समाज सेवा में कमाया नाम

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