भारत में हिंदी (Hindi Language) जन जन की भाषा है. इसकी बहुत सारी बोलियां और स्वरूप (Dialects and forms) हैं और इसमें कई विविधताएं भी है जो क्षेत्रीय प्रभाव की वजह से आती हैं. हिंदी को इंडोयूरोपीय भाषा परिवार की इंडोईरानी शाखा के इंडो आर्यन समूह (Indo Aryan Group) की भाषा माना जाता है. यह भारत के बहुत सारे क्षेत्रों में आधिकारिक भाषा के तौर पर उपयोग में लाई जाती है. यहां करीब 42.5 करोड़ लोग हिंदी समझते हैं, जबकि 12 करोड़ लोगों से ज्यादा के लिए यह दूसरी भाषा है. भारत के अलावा दक्षिण अफ्रीका, मॉरिशस, बांग्लादेश, यमन, यूगांडा आदि कई देशों में हिंदी भाषा बोलने वाले लोग पाए जाते हैं. 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन इसे राजभाषा का दर्जा दिया गया था. हिंदी भाषा का इतिहास भी अपने आप में कम रोचक नहीं है.
पहले संस्कृत ही थी देश की भाषा
भारत के इतिहास में भाषा के विकास की बात की जाए तो सबसे प्राचीन भाषा संस्कृत है, जिसे आर्य भाषा या देवताओं की भाषा कहा जाता था. 1500 ईसा पूर्व से 1000 ईसापूर्व यह भाषा एक रूप में ही प्रचलित रही इसके बाद यह वैदिक और लौकिकभाषा में विभक्त हुई. लेकिन 500 ईसा पूर्व से पहली शताब्दी तक पाली प्रमुख भाषा रही जिसमें बौध ग्रंथों की रचनाएं हुई.
अपभ्रंश से हुआ था हिंदी का विकास
उस युग में पालि के बाद प्राकृत भाषा का विकास हुआ जो 500 ईस्वी तक कायम रही. इस भाषा में जैन साहित्य लिखा गया है. लेकिन यह लोक भाषा के रूप में ज्यादा पनपी. इस दौरान क्षेत्रीय बोलीयां बहुत ज्यादा संख्या में थीं. इसके बाद अपभ्रंश भाषा का विकास हुआ जो 500 ईस्वी से 1000 ईस्वी तक रही. इसी से सरल और देशी के भाषा के शब्दों को अवहट्ट कहा गया और उसी से हिंदी भाषा का उद्गम माना जाता है.
हिंदी का आदिकाल
हिंदी भाषा की लिपी देवनागरी लिपी थी जो बाएं से दाईं ओर लिखी जाती है. लेकिन कई दशकों तक हिंदी एक संगठित भाषा के रूप में विकसित नहीं हो सकी इसके स्थानीय स्वरूपों का बोलबाला लंबे समय तक रहा. 10वीं से 15वीं सदी तक के समय को हिंदी का आदिकाल कहा जाता है जिसमें धीर धीरे यह अपभ्रंश के प्रभाव से मुक्त होते हुए स्वतंत्र होती गई और 15वीं सदी तक इसमें साहित्य लिखा जाने लगा. उस दौर में दोहा., चौपाई आदि छंदों की रचनाएं होती थी. इसमें कबीर, चंदवरदाई, विद्यापति, गोरखनाथ आदि प्रमुख रचनाकार थे.
हिंदी का मध्यकाल
15वीं से 19वीं सदी तक का समय हिंदी भाषा का मध्यकाल कहा जाता है. इस दौरान मुगलों के कारण फारसी, तुर्की, अरबी, पुर्तगाली, स्पेनी, फ्रांसीसी,अंग्रेजी आदि भाषाओं के शब्द इसमें शामिल होने लगे क्योंकि पश्चिमी एशिया और यूरोप से व्यापार की वजह लोगों में ज्यादा संपर्क होने लगे थे. यह दौर हिंदी साहित्य का स्वर्णिम युग माना जाता है. इसी अवधि में रीतिकालीन रचनाएं भी की गई थीं.