Hindi NewsStateOther StatesBangalore/Chennai26 Hours Flight, 1 Crore Spent Woman Reached India From America In Critical Condition For Treatment This Is The Reason 26 घंटे की फ्लाइट, 1 करोड़ खर्च… अमेरिकी डॉक्टरों पर नहीं था यकीन, बच्चों ने अच्छे इलाज के लिए मां को भेजा भारत

26 घंटे की फ्लाइट, 1 करोड़ रुपये से ज्‍यादा का खर्च, 3 डॉक्‍टर और दो पैरामेडिक की टीम.. इलाज कराने के लिए एक महिला को अमेरिका से भारत लाने में यह सबकुछ जुड़ा था। इसे हाल के दिनों में सबसे लंबा एरोमेडिकल इवैकुएशन बताया जा रहा है। मरीज को दिल की बीमारी है।

 
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बेंगलुरु: भारत बदल रहा है। यह हर सेक्‍टर में दिख रहा है। हेल्‍थ सेक्‍टर (Health Services in India) भी इससे अछूता नहीं है। पहले लोग किसी बड़ी बीमारी का इलाज कराने के लिए अमेरिका और यूरोप जाया करते थे। अब गंगा उलटी बहने लगी है। अमेरिका से लोग ट्रीटमेंट कराने के लिए भारत आ रहे हैं। बीते मंगलवार को भी ऐसा हुआ। बेंगलुरु की एक 67 साल की महिला अमेरिका के पोर्टलैंड से चेन्‍नई पहुंचीं। उन्‍हें दिल की गंभीर बीमारी है। एयर एंबुलेंस फ्लाइट (Air Ambulance Flight) में अमेरिका से भारत आने में उन्‍हें 26 घंटे का वक्‍त लगा। इसे हाल में सबसे लंबा एरोमेडिकल इवैकुएशन (Aeromedical Evacuation) बताया जा रहा है। महिला के बच्‍चे अमेरिकी इलाज से संतुष्‍ट नहीं थे। उन्‍होंने 1 करोड़ रुपये से ज्‍यादा खर्च कर मां को भारत भेजा।

यह ट्रेंड अपने में बिल्कुल अलग तरह की कहानी बयां करता है। कारण है कि जो महंगा इलाज कराने में समर्थ हैं, वे अक्‍सर भारत से अमेरिका और यूरोप जैसे देशों में जाते रहे हैं। ऐसा माना जाता है कि वहां चिकित्‍सा की ज्‍यादा बेहतर सुविधाएं हैं। हालांकि, धीरे-धीरे यह सोच खत्‍म हो रही है। अच्छे और किफायती इलाज के कारण हाल के दिनों में भारत मेडिकल टूरिज्‍म के हब के तौर पर उभरा है। बड़ी संख्‍या में लोग विदेश से भारत इलाज कराने आए हैं।

अमेरिका में बच्‍चों के साथ रहती थी महिला
ताजा मामले में महिला को भारत लाने में 1,33,000 डॉलर (एक करोड़ रुपये से कुछ ज्‍यादा) का खर्च आया। इसमें दो सुपर-मिडसाइज जेट भी शामिल थे। मरीज की हालत देखते हुए इनको शामिल किया गया। अब महिला की हार्ट सर्जरी की तैयारी चल रही है। मरीज इंदिरानगर की रहने वाली हैं। वह ओरेगॉन में पिछले कुछ सालों से बच्‍चों के साथ रह रही थीं। इस दौरान ही उन्‍हें दिल की बीमारी हो गई। इसके बाद उनका अमेरिका में ही इलाज कराया जाने लगा।

फ्लाइंग आईसीयू में रखा गया
एयर एंबुलेंस सर्विस फर्म आईसीएटीटी की सह-संस्‍थापक और डायरेक्‍टर डॉ शालिनी नलवाड़ ने बताया कि महिला के परिवार को महसूस हो रहा था कि अमेरिका में उपलब्‍ध हेल्‍थ सर्विसेज उनके लिए काफी नहीं हैं। इस बेहद लंबे एयरलिफ्ट की शुरुआत रविवार सुबह ओरेगॉन के पोर्टलैंड से हुई। उन्‍हें लीगेसी गुड समैरिटन मेडिकल सेंटर से पोर्टलैंड इंटरनेशनल एयरपोर्ट शिफ्ट किया गया। यहां मरीज को सुपर मिडसाइज प्राइवेट जेट चैलेंजर 605 में रखा गया। इसे फ्लाइंग इंटेंसिव केयर यूनिट (आईसीयू) बनाया गया।

3 डॉक्‍टर 2 पैरामेडिक स्‍टाफ की निगरानी
आईसीएटीटी के सह-संस्‍थापक डॉ राहुल सिंह ने बताया कि इस फ्लाइंग आईसीयू में तीन डॉक्‍टर और दो पैरामेडिक की टीम थी। ये लगातार मरीज की निगरानी कर रहे थे। साढ़े सात घंटों में उन्‍हें रेकजाविक एयरपोर्ट लाया गया। एयरक्राफ्ट में ईंधन भरवाने के लिए विमान को रोका गया था। आइसलैंड की राजधानी रेकजाविक से चैलेंजर उड़कर छह घंटों में तुर्की के इस्‍तानबुल पहुंचा। यहां मेडिकल और एविशन क्रू को रिप्‍लेस किया गया। इसमें सिर्फ बेंगलुरु के उन डॉक्‍टर को नहीं बदला गया जो मरीज की निगरानी के लिए अमेरिका गए थे।

मरीज अपोलो हॉस्पिटल में भर्ती
तुर्की में ही मरीज को एक अन्‍य चैलेंजर 605 में शिफ्ट किया गया। उन्‍हें चार घंटों में दियारबकिर एयरपोर्ट लाया गया। अंतिम पड़ाव में दियारबकिर एयरपोर्ट से मरीज को मंगलवार तड़के सुबह 2.10 चेन्‍नई पहुंचाया गया। इमीग्रेशन से जुड़ी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद महिला को तुरंत अपोलो हॉस्पिटल में भर्ती किया गया। डॉ शालिनी नलवाड़ ने बताया कि अमेरिका में ट्रीटमेंट पीरियड लंबा और खर्चीला था। भारत में महिला को लाने के मुकाबले इसमें ज्‍यादा खर्च आता। हालांकि, सूत्रों ने बताया कि मरीज को हेल्‍थ इंश्‍योरेंस के मोर्चे पर कुछ दिक्‍कतें आ रही थीं। कारण है कि वह भारतीय पासपोर्ट होल्‍डर हैं।