Hiroshima Day : हे भगवान! ये हमने क्या कर दिया… हिरोशिमा पर बम गिराने वाले पायलट को भी नहीं था तबाही का अंदाजा

Disaster in Hiroshima : प्लेन के क्रू को पता था कि वे परमाणु बम गिराने जा रहे हैं लेकिन किसी को भी इससे होने वाली तबाही का अंदाजा नहीं था। कैप्टन लुईस जिस टीम का हिस्सा थे उसकी कमान प्रमुख पायलट पॉल टिबेट्स के हाथ में थी।

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टोक्यो : इतिहास के पन्नों में 6 अगस्त 1945 का दिन काली स्याही से दर्ज है। इसी दिन अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा शहर पर परमाणु बम गिराया था जिसमें लाखों लोगों की मौत हो गई थी। इस हमले में 1,30,000 जापानी पुरुषों, महिलाओं और बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई थी। उस बम का नाम ‘लिटिल बॉय’ था जिसे B-29 बॉम्बर (Enola Gay) के चालक दलों ने गिराया था। यह अमेरिका की तरफ से सफल परीक्षणों के बाद युद्ध में इस्तेमाल किया गया पहला परमाणु बम था। इसके तीन दिन बाद अमेरिका ने ‘फैट मैन’ नाम का एक और बम जापान के दूसरे शहर नागासाकी पर गिरा दिया। इसमें 40,000 लोगों की मौत हो गई और जापान को सरेंडर करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
कुछ दिनों पहले एक नीलामी में एक लॉगबुक 450,000 पाउंड (3.84 करोड़ रुपए) में बिकी जिसमें द्वितीय विश्व युद्ध के अंत में हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराए जाने का भयानक अनुभव दर्ज था। इस लॉग बुक को कैप्टन रॉबर्ट ए लुईस ने मिशन के दौरान लिखा था जो उस प्लेन के को-पायलट थे। बुक में कैप्टन ने बताया कि उस दिन हिरोशिमा में क्या हुआ था। उन्होंने बॉम्ब के गिराए जाने के दृश्य को ‘अब तक का सबसे भयानक धमाका’ करार दिया।

‘100 साल भी जिंदा रहा तो नहीं भूलूंगा’
कैप्टन ने लिखा, ‘हमने कितनों को मार दिया? ईमानदारी से कहूं तो मेरे पास इसे बयां करने के लिए शब्द नहीं है। हे भगवान! ये हमने क्या कर दिया। अगर मैं 100 साल भी जिंदा रहा तो भी मैं उन कुछ मिनटों को अपने दिमाग से कभी नहीं निकाल पाऊंगा।’ यह बुक पेन और पेंसिल दोनों से लिखी गई थी। कुछ दिनों पहले हैरिटेज ऑक्शन ने इसे करीब 4 करोड़ रुपए में बेचा। कैप्टन लुईस ने अपने रियल-टाइम एक्सपीरियंस को इस बुक में दर्ज किया था। यह लॉगबुक उस मिशन का एकमात्र रेकॉर्ड है जो अभी भी मौजूद है।

किसी को नहीं था तबाही का अंदाजा
हालांकि प्लेन के क्रू को पता था कि वे परमाणु बम गिराने जा रहे हैं लेकिन किसी को भी इससे होने वाली तबाही का अंदाजा नहीं था। कैप्टन लुईस जिस टीम का हिस्सा थे उसकी कमान प्रमुख पायलट पॉल टिबेट्स के हाथ में थी। अमेरिका ने मैनहट्टन प्रोजेक्ट के तहत दुनिया के पहले परमाणु बम विकसित किए थे। जब ये बनकर तैयार हो गए तो अमेरिका ने इन्हें जापान पर इस्तेमाल करने का फैसला किया क्योंकि एशियाई देश के नेताओं ने घुटने टेकने से इनकार कर दिया था।

लैंडिंग से पहले जापान के सरेंडर करने की उम्मीद
Enola Gay की क्रू ने 6 अगस्त को हिरोशिमा पर 1,750 फीट की ऊंचाई से बम गिराया था। इससे शहर की 70 फीसदी इमारतें नष्ट हो गई थीं और विस्फोट के बाद तत्काल 70,000 लोगों की मौत हो गई। इसके प्रभाव से आगे चलकर लाखों लोगों की मौत हुई। उन्होंने लिखा, ‘मुझे विश्वास है कि जापानी हमारे लैंड करने से पहले ही सरेंडर कर देंगे क्योंकि निश्चित तौर पर वे यह नहीं चाहेंगे कि हम इस तरह के परमाणु ऊर्जा वाले बम और गिराएं।’

तीन दिन बाद दूसरा परमाणु हमला
इसके बाद भी जापान के अधिकारियों ने सरेंडर नहीं किया जिसके बाद अमेरिका ने 9 अगस्त को जापान के दूसरे शहर नागासाकी पर दूसरा परमाणु बम गिराया। इस बम को B-29 बॉम्बर (Bockscar) से गिराया था जो इतिहास में दूसरा और अब तक का आखिरी परमाणु हमला था। आखिरकार जापान ने 15 अगस्त को सरेंडर कर दिया। कैप्टन लुईस का 1983 में 65 साल की उम्र में वर्जीनिया में उनके घर पर दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था।