बुलडोजर का इतिहास: 1953 में बनी वो मशीन जिसने कभी स्टंट किए तो कभी खुदाई, पहले नीला था इसका रंग

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इंटरनेट पर खोज-खोज कर जेसीबी की खुदाई देखनी हो या फिर अवैध कब्जों पर बुलडोजर कार्रवाई की घटना, JCB और Bulldozer काफ]r समय से चर्चा में रहे हैं. आपने इनको लेकर चर्चा तो खूब सुनी होगी लेकिन आज इसका इतिहास भी जान लीजिए.

JCB मशीन का नाम नहीं

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आज आम तौर पर JCB पीले रंग में देखी जाती है लेकिन शुरुआत में इसका रंग पीला नहीं, नीला और लाल था. इसके साथ ही आपको ये भी बता दें कि इस मशीन का नाम जेसीबी नहीं है. JCB उस कंपनी का नाम है जो ये मशीन बनाती है. इस भारी-भरकम मशीन का सही नाम बैकहो लोडर है.

JCB कंपनी का इतिहास

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1945 में शुरू हुई JCB कंपनी ने 1953 में पहला बैकहो लोडर बनाया था. इसका रंग नीला और लाल था. इसके बाद इस मशीन में बहुत से बदलाव किये गए और  1964 में एक पीले रंग का बैकहो लोडर बनाया गया. यहीं से इन मशीनों का रंग पीला हो गया. जेसीबी ही नहीं, बल्कि ऐसी मशीनें बनाने वाली अन्य कंपनियां भी इन मशीनों का रंग पीला ही रखती हैं. बता दें कि शुरुआत में यह मशीन ट्रैक्टर के साथ जुड़ी होती थीं लेकिन समय के साथ इसके मॉडल में बदलाव किए गए.

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ब्रिटिश कंपनी JCB एक्सावेटर्स लिमिटेड का मुख्यालय रोसेस्टर स्टाफोर्डशायर में स्थित है. भारी उपकरण बनाने के लिए जानी जाने वाली इस कंपनी के मालिक और फाउंडर ब्रिटिश अरबपति जोसेफ सायरिल बम्फोर्ड थे. 2001 में जोसेफ की मौत हो गई और उनकी कंपनी का नाम उन्हीं के नाम पर रखा गया.

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भारत में भी होता है निर्माण

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भारत में भी JCB इंडिया की 5 फैक्ट्री और एक डिजाइन सेंटर है. वहीं JCB ग्रुप की छठी फैक्ट्री गुजरात के वडोदरा में बन रही है. कंपनी ने भारत में बनी मशीनों का निर्यात 110 से ज्यादा देशों में किया है. विश्व की तीसरी सबसे बड़ी निर्माण उपकरण बनाने वाली कंपनी JCB, बैकेहो लोडर के साथ 300 से ज्यादा तरह की बड़ी मशीनों का निर्माण भी करती है.

इनकी बड़ी मशीनों में निर्माण कार्य, खेती, भार उठाना या जमीन खोदना आदि कामों में उपयोग की जाने वाली मशीनें शामिल हैं. JCB के अलावा भारत में ACE, L&T, वोल्वो, महि्ंद्रा एण्ड महिंद्रा जैसी कई कंस्ट्रक्शन इक्यूपमेंट मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां हैं बैकहो लोडर का निर्माण करती हैं. बैकहो लोडर की कीमत 10 लाख रुपए से शुरू होती है जो 40-50 लाख रुपए तक जाती है.