सिरमौर जिले के गिरी पार पहाड़ी क्षेत्रों में लोगों ने हथियार और औजार बनाने के प्राचीन तरीकों को आज भी संजोह कर रखा है
सिरमौर जिले के गिरी पार पहाड़ी क्षेत्रों में लोगों ने हथियार और औजार बनाने के प्राचीन तरीकों को आज ही संजोह कर रखा है। इस ।मशीनी युग में पहाड़ी क्षेत्रों में आज भी स्थानीय लोहार मशक यानी धौंकनी से शोले जगा कर, हथोड़े से लोहा पीट पीट के ओजार और दरांत, तलवार और परशु जैसे हथियार बनाते हैं।
यह पुरातन तकनीकी की एसी तस्वीरें हैं जिनके बारे में अब सिर्फ किताबों में ही जिक्र मिलता है। यह तस्वीरें लौहार की धौंकनी की हैं। इसे मशक या भस्त्रिका भी कहा जाता है। धौंकनी और इससे आग के शोले भड़का कर लोहा गर्म करने की तकनीकी की तसबीरें या तो किताबों में मिलती हैं या सिरमौर जिले के बेहद दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में मिलती हैं। इन क्षेत्रों में आज भी लोहे के औजार और हथियार बनाने के लिए इसी पुरानी तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। अत्याधुनिक मशीनों के इस दौर में पहाड़ी क्षेत्रों के लोग हथियार और औजार बनाने की प्राचीन तकनीक संजोकर रखे हुए हैं।