चीन की कम्युनिस्ट सरकार हॉन्ग कॉन्ग के निवासियों के खिलाफ दमन की कार्रवाई कर रही है। हॉन्ग कॉन्ग के दो नागरिकों को कोर्ट में ताली बजाने और जज की आलोचना करने पर देशद्रोह की सजा सुनाई गई है। इन नागरिकों ने तियानमेन चौक नरसंहार की बरसी पर आयोजित विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया था।
हॉन्ग कॉन्ग: चीन राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के नाम पर हॉन्ग कॉन्ग के निवासियों के खिलाफ अत्याचार कर रहा है। गुरुवार को चीनी अदालत ने सुनवाई के दौरान ताली बजाने और न्यायधीश की आलोचना करने पर हॉन्ग कॉन्ग के दो निवासियों को देशद्रोह का दोषी करार दिया है। ये दोनों नागरिक तियानमेन चौक नरसंहार की बरसी मनाने पर रोक के बावजूद कार्यक्रम आयोजित करने के मामले में गिरफ्तार हुए थे। पादरी गैरी पांग मून युन और गृहणी चियू मेई यिंग को जनवरी में अदालत की सुनवाई को बाधित करने के मामले में अप्रैल में गिरफ्तार किया गया था। जनवरी की सुनवाई के दौरान तियानमेन चौक नरसंहार की बरसी मनाने वाले समूह के नेता को दूसरे लोगों को भड़काने के मामले में सुजा सुनाई गई थी।
राष्ट्रीय सुरक्षा कानून का हवाला देकर कर रहा कार्रवाई
उल्लेखनीय है कि वर्ष 1989 में बीजिंग के चर्चित तियानमेन चौक पर प्रदर्शन कर रहे लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों पर चीन की साम्यवादी सरकार ने टैंक की मदद से कार्रवाई की थी जिसमें कई लोग मारे गए थे। हॉन्ग कॉन्ग में वर्ष 2019 के दौरान बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन और वर्ष 2020 में विवादित राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू किए जाने के बाद राजनीतिक कार्रवाई का दौर चला है और लोकतंत्र समर्थक समूह के कई प्रमुख कार्यकर्ताओं को या तो गिरफ्तार किया जा रहा है या उन्हें जेल भेजा जा रहा है।
हॉन्ग कॉन्ग में विरोध की आवाज कुचल रहा चीन
राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के अलावा बड़े पैमाने पर (चीन की केंद्रीय सरकार से) असंतुष्टों पर उपनिवेश काल के देशद्रोह कानून के तहत भी कार्रवाई की जा रही है। इसी कड़ी में पांग और चियू के खिलाफ अदालत की अवमानना के बजाय देशद्रोह का मुकदमा चलाया गया। चीन इस कानून के जरिए हॉन्ग कॉन्ग के निवासियों के मानवाधिकारों को कुचलने का हर संभव प्रयास कर रहा है। घरों पर पीला झंडा दिखने पर भी मकान मालिक के खिलाफ देशद्रोह का केस चलाया जा रहा है। खुद राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पीपुल्स कांग्रेस में कहा था कि हॉन्ग कॉन्ग पर चीन का पूर्ण रूप से अधिकार हो चुका है।