कर्नाटक में असली लड़ाई कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही है और माना जा रहा है कि राहुल गांधी की यात्रा यहां बहुत ज्यादा माइलेज देकर जाएगी। पार्टी ने जिन दो राज्यों में अपना सबसे लंबा शिड्यूल रखा है, उनमें एक कर्नाटक भी है। यहां यात्रा 20 दिन चलेगी। कांग्रेस इस राज्य को ध्यान में रखते हुए खास रणनीति तैयार कर रही है।
नई दिल्ली : कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ इन दिनों कर्नाटक से गुजर रही है। कर्नाटक को लेकर कांग्रेस अपने लिए बेहतर उम्मीद देख रही है। यही वजह है कि इस पूरी यात्रा में पार्टी ने जिन दो राज्यों में अपना सबसे लंबा शिड्यूल रखा है, उनमें कर्नाटक भी है। यहां यात्रा 20 दिन गुजारेगी। हालांकि, पहले यात्रा 22 दिन रखने वाली थी। लेकिन यात्रा के रास्ते में पड़ने वाले जंगलों और पहाड़ों को देखते हुए इसके रूट में दो दिन का बदलाव किया गया है। राज्य में कांग्रेस की इस लंबी कवायद के पीछे वजह अगले साल की शुरुआत में होने वाला चुनाव माना जा रहा है। यहां से पार्टी अपने लिए किस तरह से उम्मीदें तलाश रही है, इसका एक अंदाजा उसके उस युद्धघोष से सामने आता है, जहां उसका दावा है कि ‘अबकी बार, कांग्रेस 150 पार’। कांग्रेस ने अगर बीजेपी की तर्ज पर यह नारा दिया है तो उसके पीछे वह कई अहम कारक देख रही है।
यात्रा का रूट और सियासी समीकरण राज्य में कांग्रेस की यात्रा दक्षिण कर्नाटक से होकर गुजरेगी। यात्रा सात जिलों की सात संसदीय सीटों चामराजनगर, मैसुरू, मांड्या, तुमकुर, चित्रदुर्ग, बेल्लारी और रायचूर से होकर गुजरेगी। रायचूर से यात्रा तेलंगाना में प्रवेश कर जाएगी। इन सात संसदीय इलाकों में कम से कम 21 विधानसभा सीटें आती हैं। 2018 के चुनाव में 224 सीटों वाली विधानसभा में कांग्रेस ने 80 सीटें, बीजेपी ने 104 सीटें, जेडीएस ने 30सीटें जीती थी। निर्दलीयों के पास 5 सीटें थीं। लेकिन इस बीच कांग्रेस के कई विधायकों के पार्टी छोड़ने के चलते हुए उपचुनावों के बाद आज संख्या बल के लिहाज से बीजेपी 120 तो कांग्रेस 69 पर पहुंच चुकी है। दक्षिणी कर्नाटक का यह पूरा हिस्सा वोक्कालिंगा समुदाय का गढ़ माना जाता है। जो मूल रूप से जेडीएस से जुड़ा है। ऐसे में जेडीएस का हिस्सा पाने के लिए कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही अपनी अपनी निगाहें लगाए बैठी हैं। खासकर मैसूर इलाके में पारंपरिक रूप से लड़ाई कांग्रेस और जेडीएस के बीच में है। हालांकि, यहां बीजेपी अपना पैर जमाने की कोशिश कर रही है, लेकिन वह ज्यादा सफल नहीं हो पा रही।
सोनिया और प्रियंका की मौजूदगी
यह यात्रा कांग्रेस के लिए कितनी अहम है कि पहली बार इसमें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी भी शामिल होने जा रही हैं। सूत्रों के मुताबिक, प्रियंका गांधी बेल्लारी जा सकती हैं तो सोनिया गांधी मेलकोट स्थित रामानुजाचार्य मठ में जाएंगी। यह मठ मूल रूप से आयंगार तबके से जुड़ा हुआ माना जाता है। यात्रा के अंतिम दौर में कांग्रेस 19 अक्टूबर को बेल्लारी में एक बड़ी रैली के आयोजन की योजना बना रहा है। बेल्लारी गांधी परिवार के लिए काफी अहम है, क्योंकि यहां से सोनिया गांधी ने बीजेपी नेता और पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के खिलाफ लोकसभा चुनाच लड़ा था। बीजेपी यहां लिंगायत तबके के भरोसे है, लेकिन येदियुरप्पा के पार्टी में हाशिए पर जाने से इस बार येदियुरप्पा बहुत ज्यादा उत्साही नजर नहीं आ रहे।
विरोधियों पर नजर
यहां से कांग्रेस की उम्मीदों के पीछे एक वजह विरोधी खेमों की स्थिति भी है। बीजेपी के खिलाफ एंटी इंनकंबेंसी और उस खेमे में मची आपसी खींचतान को कांग्रेस अपने लिए सकारात्मक मान रही है। हालांकि गुटबाजी से कांग्रेस भी अछूती नहीं है। प्रदेश में पूर्व सीएम येदियुरप्पा और मौजूदा सीएम बी.एस. बोम्मई के बीच जबरदस्त खींचतान है। दोनों ही लिंगायत समाज से आते हैं। कर्नाटक में लिंगायत समाज के लोग बोम्मई के बजाय येदियुरप्पा को ही अपना नेता मानते हैं। हालांकि बीजेपी ने इस तबके में बोम्मई को बहुत प्रमोट करने की कोशिश की, लेकिन नहीं हो पाया। कर्नाटक के ज्यादातर मठ येदियुरप्पा के साथ हैं। दूसरी ओर बीजेपी ने ध्रुवीकरण करने की कोशिश की, लेकिन उसकी यह नीति शहरी इलाके में नहीं चली। दूसरी ओर सरकार की ओर से कई बार यह कहा गया कि ध्रुवीकरण की कोशिश करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी, जिसे लेकर जमीन पर एक भ्रम की स्थिति भी है।
कांग्रेस इसका भी फायदा लेने की कोशिश करेगी। दूसरी ओर जेडीएस को लेकर भी लोगों में बहुत ज्यादा उम्मीदें नहीं हैं। कभी कांग्रेस तो कभी बीजेपी के साथ जाने के चलते लोग जेडीएस पर भरोसा नहीं कर पा रहे हैं। इसके अलावा, जेडीएस का प्रभाव पूरे प्रदेश में वैसा नहीं है। उसका प्रभाव मैसूर और उसके आसपास की कुछ सीटों पर ज्यादा है। वहां असली लड़ाई कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही है। माना जा रहा है कि राहुल गांधी की यात्रा कर्नाटक में बहुत ज्यादा माइलेज देकर जाएगी।
कर्नाटक के अहम मुद्दे
कांग्रेस अपनी यात्रा में बीजेपी सरकार के भ्रष्टाचार, 40 फ़ीसदी कमीशन, येदियुरप्पा के खिलाफ कोर्ट के मामले, महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दे काफी जोरशोर से उठा रही है। वहीं हाल ही में मैसूर में बारिश में भीगते हुए राहुल गांधी ने जिस तरह से अपनी रैली की, उसने भी लोगों को भावनात्मक तौर पर बहुत अपील किया है। कर्नाटक से आने वाले सीनियर नेता मल्लिकार्जुन खडगे को कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए उतारने का फैसला भी अहम माना जा रहा है। खडगे सिर्फ एक दलित चेहरा ही नहीं, बल्कि मराठी भाषी होने के नाते महाराष्ट्र से लगी कर्नाटक के सीमाई हिस्से के लिहाज से भी कांग्रेस के लिए अहम हैं।