दुनिया को अगर किसी भावना ने जोड़ कर रखा है तो वो है प्रेम. चाहे कितनी भी नफ़रतें फैली हों, प्रेम की कुछ बूंदें ही उन सभी नकारात्मक भावनाओं को दूर करने के लिए काफ़ी है. इंसानी प्रेम कहानियां तो आपने सुनी हैं लेकिन क्या आपको पता है कि जानवरों की प्रेम कहानियां भी होती हैं. ये कहानियां न सिर्फ़ प्रेरणादायक हैं बल्कि पहली बार सुनो तो सच्ची भी नहीं लगती हैं. ऐसी ही एक प्रेम कहानी ट्विटर पर मिली.
अद्भुत है हॉर्नबिल पक्षी की प्रेम कहानी
भारत के कई राज्यों (केरल, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश) और हिमालय के जंगलों में हॉर्नबिल पक्षी पाया जाता है. हॉर्नबिल केरल और अरुणाचल प्रदेश का राज्य पक्षी भी है. ये पक्षी IUCN Red List का हिस्सा है ये पक्षी और ये 50 साल तक जीवित रह सकता है. हॉर्नबिल पक्षी आमतौर पर ताउम्र एक ही साथी के साथ रहते हैं. इसी अत्यंत खूबसूरत पक्षी की प्रेम कहानी IFS परवीन कास्वान ने शेयर की है.
साथ मिलकर घर ढूंढता है हॉर्नबिल का जोड़ा
हॉर्नबिल को ‘जंगल का माली’ भी कहा जाता है. आमतौर पर एक हॉर्नबिल का जोड़ा ताउम्र साथ रहता है. ये साथ में ही सफ़र करते हैं. जब घोंसला या घर बसाने का वक्त आता है तो इसकी खोज भी वो साथ ही करते हैं. ये किसी पेड़ में बनी प्राकृतिक गुफ़ा हो सकती है. हॉर्नबिल का जोड़ा किसी दूसरे पक्षी के घोंसले को या अपने ही पुराने घोंसले को ही दोबारा घर बना सकता है.
मादा खुद को घोंसले में कैद कर लेती है
ठीक-ठाक घर मिलने के बाद मादा उसमें प्रवेश करती है. आस-पास मौजूद चीज़ों से ही वो घोंसले को बंद करती है. मादा हॉर्नबिल बच्चों को पालने के लिए खुद को 3-4 महीनों के लिए घोंसले में कैद कर लेती है. एक छोटा सा छेद खुला रहता है, खाने के लिए. क्योंकि मादा हॉर्निबल काफ़ी समय के लिए अंदर बंद रहती है इसी वजह से काफ़ी सोच-समझकर हॉर्नबिल का जोड़ा घर ढूंढता है.
नर अपनी चोंच से खाना खिलाता है, सुरक्षा करता है
इसके बाद सबकुछ वक्त के हाथों में होता है. जब तक मादा हॉर्नबिल घोंसले के अंदर कैद रहती है, नर हॉर्नबिल उसे अपनी चोंच से खाना खिलाता है. अंडों से बच्चे निकलने के बाद नर को और ज़्यादा खाना लाने की ज़रूरत पड़ती है. वो दिन में कई बार खाना ढूंढने जाता है.
पिता के न लौटने पर परिवार की मौत हो जाती है
नर हॉर्नबिल के ऊपर बहुत ज़्यादा ज़िम्मेदारी होती है. उसे न सिर्फ़ अपने लिए बल्कि पूरे परिवार के खाने की व्यवस्था करनी पड़ती है. नर हॉर्नबिल घोंसले से ज़्यादा दूर नहीं जा सकता क्योंकि घोंसले की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी भी उसी पर होती है. अगर किसी वजह से नर हॉर्नबिल घोंसले तक नहीं लौटता है तो पूरा परिवार खत्म हो जाता है. खाने के इंतज़ार में मादा हॉर्नबिल और बच्चे प्राण त्याग देते हैं.
क्यों कहा जाता है ‘जंगल का माली’?
हॉर्नबिल फलों को पूरा निगल लेते हैं. कई बार खाना लाने, मादा-बच्चों को खिलाने में फल नीचे गिर जाते हैं. इस वजह से कई तरह के फलों के बीज एक पेड़ के नीचे मिलते हैं. खासतौर पर वहां जहां हॉर्नबिल के घोंसले हों. इसी वजह से उन्हें ‘जंगल का माली’ या ‘जंगल का किसान’ कहा जाता है.
हॉर्नबिल जैसा परफ़ेक्ट कपल शायद ही कोई हो, आपका क्या ख्याल है?