कैसे करोड़पति बना सकती है स्पर्म व्हेल की उल्टी? तेजी से भारत में फैल रहा है कारोबार!

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अगर जल्द से जल्द करोड़पति बनना चाहते हैं तो समंदर में जाइए और स्पर्म व्हेल की तलाश कीजिए. इसके बाद उसे इतना खाना खिलाइए कि वो उल्टी कर दे. बस यही उल्टी आपको करोड़पति बना देगी. और हां… इसे मजाक समझने की गलती ना करें. क्योंकि इसी उल्टी ने कईयों को चोरी-छिपे करोड़पति बनाया है… और जो पकड़ में आ गए, वो जेल की हवा खा रहे हैं. आप सोच रहे होंगे कि भला उल्टी से करोड़पति कैसे बना जा सकता है?

तो जवाब ये है कि दुनिया का कोई भी जानवर या इंसान उल्टी में कुछ भी करे, वो इतना जरूरी नहीं जितना कि स्पर्म व्हेल की उल्टी है. हाल ही में स्पर्म व्हेल की उल्टी ने गुजरात के एक मछुवारे को लखपति बनाया है, क्योंकि उसे समंदर में व्हेल की उल्टी का बहुत थोड़ा सा हिस्सा मिला था.

इसके पहले साल 2019 में मुंबई में गिरफ्तार शख्स के पास से 1.3 किलो उल्टी बरामद हुई है. बाज़ार भाव में इसकी कीमत 1 करोड़ 70 लाख के करीब थी. गिरफ्तार शख्स पर वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट के तहत केस भी दर्ज कर लिया गया है. तो चलिए जानते हैं कि आखिर क्यों स्पर्म व्हेल से ज्यादा कीमत उसकी की गई उल्टी की है?

परफ्यूम से लेकर दवाओं तक फैला कारोबार

whaleReuters

स्पर्म व्हेल की उल्टी को विज्ञान की भाषा में एम्बेग्रेस कहा जाता है. चीन में एम्बरग्रिस का इस्तेमाल यौन क्षमता बढ़ाने वाली दवाइयां बनाने में होता है. इसके अलावा एम्बेग्रेस से अरब देश महंगे इत्र तैयार करते हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक़ शुरुआत में एम्बरग्रिस की गंध अच्छी नहीं होती, लेकिन जैसे—जैसे ये हवा से संपर्क में आता है, महकने लगता है.

एम्बरग्रिस परफ्यूम की सुगंध को हवा में उड़ने से रोकता है. एक तरह से यह स्टेबलाइज़र का काम करता है ताकि गंध हवा में उड़ कर विलीन न हो जाए. इसलिए लॉग लॉस्टिंग परफ्यूमस् बनाने वाली ब्रांडेड कंपनियां उल्टी के बदले मुंह मांगी कीमत अदा करती हैं. इंसान परफ्यूम के लिए तकरीबन 1000 साल से एम्बरग्रिस का इस्तेमाल कर रहा है.

खास बात ये है कि हर तरह की स्पर्म व्हेल एम्बरग्रिस नहीं बनाती हैं. ऐसे में अगर की व्हेल का एम्बरग्रिस समंदर की गहराई से निकलकर किनारे लग जाए तो सोचिए उसे देखने वाली की तो लॉटरी लग जाएगी. यही कारण है कि एम्बरग्रिस की कीमत नहीं आंकी जा सकती. एम्बरग्रिस कई रंगों का हो सकता है. इसमें से सफेद रंग का एम्बरग्रिस सबसे ज्यादा कीमत देता है.

लखनऊ स्थित इंटिग्रल यूनिवर्सिटी में औषधि विज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रोफ़ेसर बदरुद्दीन बताते हैं कि यूनानी दवाओं में एम्बेग्रेस का इस्तेमाल सदियों से हो रहा है. कई जड़ी-बूटियों के साथ मिलाकर इसका इस्तेमाल शारीरिक, मानसिक और स्नायु और यौन रोगों के इलाज में होता है. एम्बेग्रेस चीनी की चाशनी और दूसरी जड़ी-बूटियों के साथ मिलाकर इस्तेमाल किया जाता है.

इससे बनी दवा को ‘माजुन मुमसिक मुक्कावी’ कहा जाता है. यौन क्षमता घटने पर, इसका पेस्ट बना कर दवा के तौर पर दिया जाता है. हालांकि लोग नहीं जानते कि एम्बेग्रेस कैसा होता है, इसलिए इसके नाम पर ठगी भी होती है. कुछ लोग इसके नाम पर पैराफ़िन वैक्स या कोई तैलीय चीज़ बेच देते हैं. इसकी शिकायत भी नहीं हो पाती है क्योंकि यह कारोबार ग़ैर-क़ानूनी होता है.

बड़ी मुश्किल से तैयार होती है उल्टी

Humpback whale Representational Image/iStock

असल में जिस स्पर्म व्हेल की बात हो रही है वो 49 से 59 फीट लंबाई और 35 से 45 टन तक वज़न की हो सकती है. इसका दिमाग धरती पर पाए जाने वाले किसी भी जीव के दिमाग से कई गुना बड़ा होता है. स्पर्म व्हेल के फेफड़े इतने मजबूत होते हैं कि वो एक बार में 90 मिनिट तक गोते लगा सकती है. यानि अगर उसे खाने की तलाश है तो वो कुछ ही मिनटों में 1 किमी. अंदर तक समुद्र की गहाराई में जा सकती है.

स्पर्म व्हेल के लंबे बदन में 8 हाथ होते हैं और हर हाथ में चोंच होती है, जिससे वह खाना खा सके. यानि एक बार में स्पर्म व्हेल कई जीवों का एक साथ शिकार करने में सक्षम है. वैसे तो हर जीव उल्टी करता है और स्पर्म व्हेल भी उल्टी करती है पर उसकी हर उल्टी इतनी महंगी नहीं होती. असल में व्हेल स्क्विड और कटल फिश की चोंच और हड्डियां नहीं पचा पातीं. तो वो इन्हें उल्टी करके शरीर से बाहर निकाल देती हैं. लेकिन कई बार ये व्हेल की आंतों में रह जाते हैं.

आंत में हिलने डुलने से छोटे-छोटे टुकड़े मिलकर बड़े हो जाते हैं. इसके साथ ही व्हेल के लीवर से एक पाचक रस भी निकलता है, जिसे सही मायनों में एम्बरग्रिस कहते हैं. एम्बरग्रिस के चलते व्हेल की आंतें घावों से खुद को बचाए रखती हैं. हालांकि व्हेल की उल्टी बाहर कैसे आती है इस पर कई तरह की बातें कही जाती हैं. पहला तो ये कि व्हेल एम्बरग्रिस को बिना पचे भोजन के साथ उगलती हैं, जिसे व्हेल की उल्टी कहा जाता है. दूसरा ये कि शायद एम्बर​​ग्रिस व्हेल के पाखाने के साथ बाहर आता है. और तीसरा ये कि एम्बरग्रिस जाकर व्हेल के मलाशय में जमा होता जाता है और जब इसकी मात्रा ज्यादा होती है तो मलाशय फट जाता है और तभी एम्बर​​ग्रिस बाहर निकलता है.

तेजी से भारत में फैल रहा है कारोबार

sperm whale vomit so expensiveThe Sun

वैसे तो एम्बरग्रिस को जमा करने में कोई दिक्कत नहीं लेकिन ज्यादा एम्बरग्रिस पाने की लालच में स्पर्म व्हेल का शिकार होने की शिकायतें मिलने के बाद अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस जैसे देशों में इसके व्यापार पर रोक लगा दी गई है. फिर भी एम्बरग्रिस की सबसे ज्यादा मांग इन्ही देशों में है. बीते कुछ सालों में भारत के मुंबई, चेन्नई, ओडिशा और गुजरात के तटीय इलाकों से तस्करों को एम्बरग्रिस की तस्करी करते हुए हिरासत में लिया है.

जांच में भारतीय एजेंसियों ने पाया कि चूंकि बाकी देश इस मामले में अपनी छवि साफ रखना चाहते हैं ​इसलिए एम्बरग्रिस का व्यापार एशिया से किया जा रहा है. जिसमें भारत प्रमुख केन्द्र है. साल 2019 में अहमदाबाद से एम्बरग्रिस की तस्करी करने वाले 4 तस्करों को गिरफ्तार किया था.वन्यजीव संरक्षण क़ानून, 1972 की विभिन्न धाराओं के तहत मामले दर्ज किए गए. इनके पास से स्पर्म व्हेल की 5 किलो उल्टी बरामद हुई थी, जिसकी कीमत उस समय 7 करोड़ से ज्यादा आंकी गई. हालांकि, ऐसी गिरफ्तारियां अभी भी हो रही हैं, लेकिन उस मामले के बाद एम्बरग्रिस की तस्कारी और व्यापार के बारे में काफी जानकारियां हासिल हुईं थी.

सौराष्ट्र में समुद्री जीवों के संरक्षण से जुड़े लोगों के मुताबिक़ व्हेल के उल्टी करने के बाद उसके शरीर से निकले एम्बरग्रिस को समुद्र तट तक पहुंचने में महीनों लग जाते हैं. कुछ तस्कर तो बस इसी उल्टी की तलाश में समुद्र में उतरते हैं. समुद्र में आने वाला तूफान एम्बरग्रिस को तटों तक लाने में मददगार होते हैं. इसलिए जब भी तूफान आने की संभावना होती है, देश के तटों पर तस्कर मुस्तैद हो जाते हैं. कुत्ते एम्बरग्रिस की सुगंध की ओर आकर्षित होते हैं. इसलिए गुजरात के तटीय इलाकों में इसका कारोबार करने वाले लोग इस काम के लिए ख़ास तौर पर प्रशिक्षित कुत्तों को रखते हैं.

भारत में एम्बरग्रिस का व्यापार करने वाले इसे अहमदाबाद या मुंबई पहुंचाते हैं, जहां से ये खाड़ी देशों में पहुँचता है और फिर अंतरराष्ट्रीय बाजारों में इसकी बोली लगाई जाती है.