कोरोना के खिलाफ लड़ाई में कितनी कारगर होगी नाक से दी जाने वाली वैक्सीन? जानें कीमत, डोज, गैप से लेकर सबकुछ

Bharat Biotech COVID-19 Nasal Vaccine भारत के पहले इंट्रानैसल कोविड वैक्सीन को इमरजेंसी की स्थिति में प्रतिबंधित उपयोग को मंजूरी मिल गई है। यह वैक्सीन 18 साल से अधिक के लोगों को लगाई जा सकेगी। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने मंगलवार को इसे मंजूरी दी है। इस वैक्सीन को भारत बायोटेक बनाएगी।

नई दिल्ली : देश में कोरोना के खिलाफ लड़ाई में एक और मजबूत हथियार मिल गया है। भारत की पहली नेजल वैक्सीन यानी नाक से दी जाने वाली वैक्सीन के इमरजेंसी यूज को मंजूरी दी गई है। इस वैक्सीन को हैदराबाद की कंपनी भारत बायोटेक ने तैयार किया है। भारत बायोटेक ने इस वैक्सीन के लिए वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी से करार किया था। सीएचएडी36-सार्स-सीओवी-एस कोविड-19 (चिंपांजी एडेनोवायरस वेक्टरेड) रीकॉम्बिनेंट नेजल वैक्सीन को एटदरेट सीडीएससीओ इंडिया की तरफ से अनुमोदित किया गया है। यह इमरजेंसी की स्थिति में प्रतिबंधित उपयोग के लिए 18 प्लस आयु वर्ग में कोविड-19 के खिलाफ प्राथमिक टीकाकरण के लिए है। खास बात है कि इस वैक्सीन को वैक्सीन को डिलीवर करना और बनाना मस्कुलर वैक्सीन की तुलना में ज्यादा आसान है। नेजल वैक्सीन को 2 से 8 डिग्री सेल्सियस के तापमान में स्टोर करके रखा जा सकता है। माना जा रहा है कि यह वैक्सीन गेमचेंजर साबित हो सकती है। इसकी वजह है कि देश में वैक्सीनेशन की रफ्तार को बढ़ाना है। नाक से दी जाने वाली वैक्सीन से इस चुनौती से पार पाने में मदद मिलेगी। इसके अलावा इसमें सीरिंज का यूज नहीं होने से मेडिकल कचरे से भी राहत मिलेगी। जानते हैं इस वैक्सीन के बारे में कुछ जरूरी बातें…

सवाल : कोरोना के खिलाफ कितनी कारगर है नेजल वैक्सीन?
जवाब :वाशिंगटन स्कूल ऑफ मेडिसिन के रिसर्च के अनुसार नेजल वैक्सीन को सामान्य वैक्सीन से बेहतर वैक्सीन बताया गया है। यूनिवर्सिटी की रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार अगर कोरोना की वैक्सीन नाक के जरिए दी जाती है तो इम्यून रिस्पॉन्स बेहतर होता है। एक्सपर्ट का मानना है कि नाक के जरिए कोरोना वायरस शरीर में प्रवेश करता और स्थितियां बिगड़नी शुरू हो जाती है। इसलिए नेजल स्प्रे असरदार साबित हो सकती है।

भारत की कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई को बड़ा प्रोत्साहन मिला है। भारत बायोटेक के सीएचएडी36- सार्स-कोव-एसकोविड-19 (चिम्पैंजी एडिनोवायरस वेक्टर्ड) नेजल टीके को इमरजेंसी में 18 साल से अधिक उम्र के लोगों के प्राथमिक टीकाकरण में इस्तेमाल की मंजूरी भारत के केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन ने दी है। इस कदम से महामारी के खिलाफ हमारी ‘सामूहिक लड़ाई’ को और मजबूती मिलेगी।
मनसुख मांडविया, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री

सवाल : सामान्य कोरोना वैक्सीन से अलग कैसे हैं?
जवाब : नेजल वैक्सीन को लगाने के लिए सुई का इस्तेमाल नहीं होता है। इसे नाक के जरिये दिया जाएगा। सबसे पहले इससे इंजेक्शन का डर खत्म हो जाएगा। इसके अलावा इंजेक्शन लेने वाली जगह पर दर्द, चुभन आदि वाले एडवर्स इफेक्ट्स का खतरा भी कम हो जाएगा।
सवाल : किस उम्र के लोगों को लगेगी वैक्सीन?
जवाब : नेजल वैक्सीन को फिलहाल 18 साल से अधिक उम्र वाले लोगों को दिया जाएगा। देश में बच्चों के लिए भी नेजल वैक्सीन पर काम हो रहा है। बच्चों के लिए वैक्सीन आने पर उन्हें देने में आसानी हो जाएगी।

सवाल : नेजल वैक्सीन की कितनी डोज दी जाएगी?
जवाब : भारत बायोटेक के फाउंडर डॉ. कृष्णा एल्ला का कहना है कि नेजल वैक्सीन को एक बार देना होगा। इला का कहना है कि दोनों नॉस्ट्रिल्‍स में एक-एक बूंद टीका ही पर्याप्त होगा।

सवाल : नेजल वैक्सीन की कीमत कितनी होगी?
जवाब : नेजल वैक्सीन की कीमत को लेकर अभी कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। अब तक इस नेजल वैक्सीन को लेकर जितनी भी रिपोर्ट आई है उसमें कहा गया है कि यह वैक्सीन काफी किफायती कीमत पर उपलब्ध होगी। ऐसे में माना जा सकता है कि इस वैक्सीन की कीमत भी मौजूदा वैक्सीन की कीमत के आसपास ही होगी।

सवाल : कितने लोगों पर किया गया ट्रायल?
जवाब : भारत बायोटेक ने इस नेजल वैक्सीन का ट्रायल दो तरह से किया था। पहला ट्रायल 3,100 लोगों पर किया गया था। ये ट्रायल देशभर में 14 जगहों पर हुए थे। इसमें वालिंटियर्स को वैक्सीन की दो डोज दी गई थी। पिछले महीने ही वैक्सीन का फेज 3 का ट्रायल पूरा हुआ था। कंपनी का दावा है कि यह वैक्सीन पूरी तरह से असरदार साबित हुई है।

सवाल : नेजल वैक्सीन का कोई साइड इफेक्ट होता है?
जवाब : भारत बायोटेक के अनुसार ट्रायल में 18 से 60 साल के लोगों को शामिल किया गया था। नेजल वैक्सीन वॉलेंटियर पर असरदार साबित हुई और कोई गंभीर साइड इफेक्ट्स नहीं हुआ।

सवाल : नेजल वैक्सीन का क्या फायदा होगा?
जवाब : वायरस से पैदा होने वाली अधिकांश बीमारियां या तो मुंह या फिर नाक के लिए शरीर में प्रवेश करती हैं। ऐसे में जहां से वायरस की एंट्री होती है, वहीं से इसके खिलाफ एंटीबॉडी बनाने या इसे रोकने के लिए नेजल वैक्सीन बेहतर साबित होगी। नेजल वाली वैक्सीन नाक के अंदरुनी हिस्सों में प्रतिरोधक क्षमता को तैयार करेगी।

सवाल :वैक्सीन कैसे काम करती है?
जवाब : फिलहाल देश में कोरोना की इंट्रा मस्कुलर वैक्सीन की डोज दी जा रही है। इन वैक्सीन को मांसपेशियों में दिया जाता है। वहां से दवा ब्लड में जाती है और फिर एंटीबॉडी बनाती है। इससे कोरोना के वायरस से लड़ने की ताकत मिलती है।

सवाल : नेजल वैक्सीन से और क्या फायदा होगा?
जवाब : फिलहाल देश में कोरोना वैक्सीन की दो डोज दी जा रही है। सामान्य इंजेक्शन के जरिये मांसपेशियों में लगाए जाने वाले टीके की दो खुराक की जरूरत होती है। ऐसे में भारत जैसे बड़े देश को 2.6 अरब सिरिंज की जरूरत पड़ेगी। इससे मेडिकल पॉल्‍यूशन बढ़ेगा। इस स्थिति में नाक के रास्ते दिया जाने वाला टीका न केवल लगाने में आसान है बल्कि इससे सूई, सीरिंज आदि की भी जरूरत नहीं होगी।