इंसान को कैसे मिले थे चबाने वाले जबड़े, मछली के जीवाश्म ने दिया जवाब

जीवन के विकास क्रम में इंसान के हर अंग का अपना अलग इतिहास है. अरबों साल पहले एक कोशिकीय से बहुत कोशिकीय जीव महासागरों में जीव विकिसत हुए, फिर उभरचरों ने जानवरों को धरती पर लाने का काम किया जिसके बाद आज के मानव विकसित (Evolution of Humans) हो सके. वैज्ञानिकों ने मछलियों की चार प्रजातियों (Species of fishes) के जीवाश्म के अध्ययन के आधार पर पता लगाया कि जीवों में जबड़ों के विकास की शुरुआत कहां हुई से थी. इसी के जरिए उन्होंने पता किया कि मानव के जबड़ों (Crushing Jaws of Humans), जो कच्चा भोजन और कई कठोर वस्तुओं को कुचल सकते हैं, का विकास 40 करोड़ साल पहले होने शुरू हुआ था.

चार प्रजातियों की मछलियों के जीवाश्म
शोधकर्ताओं का कहना है कि जिन चार मछिलयों की प्रजातियों के जीवाश्म उन्हें मिले हैं,  वे मानव के उद्भव और विकासक्रम में जबड़े वाले पहले रीढदार जीव हो सकते हैं. उद्भव काल के इस प्रमुख काल के पहले प्रमाण हासिल करना बहुत मुश्किल काम था. वैज्ञानिकों को इस दौर के ज्यादा जीवाश्म नहीं मिले हैं. रीढ़दार जीवों के हड्डी के ढ़ांचे कठोर होते हैं और उनमें इंसान की तरह  एक अंदर की रीढ़ की हड्डी भी होती हैं.

दो समूह में 30 लाख साल का अंतर
जहां जीवाश्म की चार प्रजातियों में से एक 43.6 करोड़ साल पुरानी है, वहीं दो अन्य प्रजातियां 43.9 करोड़ साल पुरानी हैं. अध्ययनों की शृंखला में शोधकर्ताओं ने कई खोजों से नए खुलासे किये जिसमें पुरातन दांतों से कभी ना देखी गई कई प्रजातियां शामिल हैं. इन अध्ययनों की शृंखला ने दर्शाया है कि महासागरों से शुरू हुए जीवन में विकास में दांतों और जबड़ों का विकास सिल्यूरियन काल में हुआ था जो 44.3 करोड़ साल पहले से लेकर 41.9 करोड़ साल पहले तक चला था. यह काल पृथ्वी पर जीवन के लिहाज से बहुत ही महत्वपूर्ण काल माना जाता है.

शुरुआती जबड़ेदार जानवर
बीजिंग के चाइनीज एकेडमै ऑफ साइंसेस के रीढ़दार जीवाश्म मिन झू ने रायटर को बताया कि नए जीवाश्म ने सब कुछ बदल दिया है अब हम जानते हैं कि वे कितने बड़े हैं और कैसे दिखाई देते थे. अब तक शुरुआती जबड़ेधारी रीढदार जानवर 42.5 करोड़ साल पुरानी मछलियां थीं. इनमें से 20 से ज्यादा मछली 1.2 इंच लंबी थी जिन्हें जीयुशानोस्टेस मिराबिलिस कहा जाता है जो चोंगकिन नगरपालिका के इलाके में मिली थी.

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इस अध्ययन में प्लैकोडर्म (Placoderm) समूह की मछलियों के भी कुछ जीवाश्म शामिल थे.

अलग अलग तरह के मछली समूह
ये 20 जीवाश्म वाली मछिलायं प्लाकोडर्म मछली समूह के हैं जिसमें बादल कुछ विशाल मछलियां भी शामिल हो गई थीं. ये जीवाश्म एक चट्टान के अंदर मिले ते जो अध्ययन के लिए बहुत आदर्श स्थिति होती है. इनमे से एक अध्ययन के लेखक और स्वीडन की उपसाला यूनिवर्सिटी के पेर रिक अलबर्ग ने बताया कि इस समूह में सबसे सामान्य रूप से पाई जाने वाली प्रजाति बूमरैंग आकार की मछली जो अपने जबड़ों से कीड़ों को खाती होगी.

जानकारियों का खाली स्थान
वहीं एक अन्य जीवास्म शार्क मछली की तरह जैसा जीव था जिसका शरीर आगे से हड्डियों के ढांचे वाला था जो बहुत ही असमान्य संयोजन है. एक बहुत ही अच्छे से संरक्षित जबड़ा विहीन मछली इस ब त के बहुत सारे संकेत देती है कि कैसे पुरातन फिन भुजाओं और पैर में विकसित होते गए थे. चीन से मिले ये जीवाश्म इस तरह के छूटे खाली स्थानों को भरने का काम कर सकते हैं जिनका अब दुनिया भर के शोधकर्ता अध्ययन कर रहे हैं.

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जबड़े रहित मछलियों (Jawless Fishes) से भी वैज्ञानिकों को काफी कुछ जानकारी हासिल होने की उम्मीद होती है.
जरूरी है पिछले समय की पड़ताल

झू का कहना है कि हम सभी ने, इंसान सहित चिड़ियाघर, मछलीघर आदि जितने भी रीढ़ की हड्डी वाले जानवर देखे हैं या जानते हैं, वे जबड़े वाले रीढ़दार जानवर हैं. ऐसे जानवरों की आकृति उनके उत्पत्ति के बाद जल्दी ही निश्चित या तय हो गई थी. इसलिए हम इंसानी शरीर के सभी अंगों का  अनुरेखन पहली जबड़े वाली मछली तक कर सकते है. यही वजह है कि उत्पत्ति की जड़ों का पता लगाने के लिए पीछे की पड़ताल कितनी जरूरी है.

शोधकर्ताओ को टूथवोर्ल वाली हड्डियां भी मिली जिसमें बहुत सारे दांत एक साथ बढ़े तते. किसी भी अन्य प्रजाति में पाए गए सबसे पुराने दातों से भी ये 1.4 करोड़ साल पुराना जीवाश्म थे. और ये जबड़े के अब तक के सबसे पुराने ठोस प्रमाण हैं. पहली मछली 52 करोड़ साल पहले अस्तित्व में आई थी इमें जबड़े रहित मछली सहित आज के लैम्प्रेस और हैगफिश भी शामिल हैं. इस अध्ययन में मिली प्रजातियां जब अस्तित्व में आई थीं. तब सबसे बड़े शिकारी 2.5 मीटर लंबे थे.