पीली हल्दी की तरह काली हल्दी को भी हेल्थ के लिए फायदेमंद माना जाता है. ये बुखार, निमोनिया, ल्यूकोडर्मा, खांसी, माइग्रेन, और अस्थमा के खिलाफ दवा का काम करती है. काली हल्दी से ना सिर्फ दवाएं बनती हैं, बल्कि इसका प्रयोग कई सारे ब्यूटी प्रोडक्ट को बनाने भी किया जाता है. आइए जानते हैं कि इतने सारे गुण रखने वाली काली हल्दी की खेती कैसे की जाती है और ये कैसे किसानों को मालामाल कर सकती है.
पहले समझिए काली हल्दी आखिर है क्या?
काली हल्दी, पीली हल्दी की तरह हल्दी का रूप है. इसका पौधा बहुत अधिक बड़ा नहीं होता. इसकी ऊंचाई लगभग 30 से 60 से.मी. तक रहती है. वैसे तो इस पौधे की पैदावार भारत के हर हिस्से में होती है. लेकिन मुख्य रूप से इसे मध्य भारत और दक्षिण भारत में उगाया जाता है. इसका वानस्पतिक नाम कुरकुमा, केसिया है. इसे ब्लेक अंग्रेजी में जे डोरी कहते हैं. भारत में काली हल्दी को इसके लाभकारी गुणों के कारण नरकचूर नाम से भी जाना जाता है.
काली हल्दी को कैसे तैयार किया जाता है?
काली हल्दी एक कठिन प्रक्रिया से गुज़र कर बाजार तक पहुंचती है. सबसे पहले सामान्य उपजाऊ वाली भूमि में काली हल्दी को कंद या फिर पौधों के रूप में रोपा जाता है. इसके बाद समय-समय पर इसकी निराई और गुड़ाई की जाती है. एक अनुमान के मुताबिक काली हल्दी के पौधे कंदो की रोपाई के करीब 250 दिन बाद पैदावार देने के लिए तैयार हो जाते हैं. फसल तैयार होने के बाद कंदो की खुदाई और सफाई काम होता है. सफाई के बाद काली हल्दी की गांठों को धूप में अच्छे से सुखाया जाता है. इसके बाद ही इन्हें बाजार में बेचने के लिए भेजा जाता है.
काली हल्दी कैसे बढ़ाती है किसानों की कमाई?
काली हल्दी की बाजार में खूब मांग रहती है. इसके दो बड़े कारण हैं. पहला इसकी खेती कम लोग करते हैं. दूसरा इसके औषधीय गुण. काली हल्दी का स्वाद पसंद नहीं करने वाले लोग भी लाभ के कारण इसका जमकर इस्तेमाल करते हैं. ऐसे में अगर किसान इसकी खेती करते हैं तो वो मालामाल हो सकते हैं. एक अनुमान के मुताबिक अगर फसल अच्छी होती है तो एक एकड़ खेत से करीब 12-15 क्विंटल तक सूखी काली हल्दी मिल जाती है. वहीं बाजार में इसकी कीमत की बात करें तो ये 500 रुपए किलो तक के हिसाब से बिक जाती है. ऐसे में मुनाफे का अनुमान लगाया जा सकता है. किसान एक एकड़ से लाखों रुपए तक की कमाई कर सकता है.
काली हल्दी की खेती के लिए क्या जरूरी है?
काली हल्दी की खेती बहुत कुछ नहीं मांगती है. बस इसकी खेती करते वक्त ध्यान रखना चाहिए कि खेत में किसी भी कारण से पानी ना रुके. इसे अधिक पानी की जरूरत नहीं होती है, इसलिए सिंचाई भी जरूरत के हिसाब से ही करें. एक बात और चूंकि काली हल्दी का प्रयोग दवा के रूप में भी होता है इसलिए इसकी खेती में कीटनाशक इस्तेमाल न करें तो बढ़िया होगा. वैसे भी इसमें कीट नहीं लगते हैं. इसकी खेती के लिए जून का महीने बेस्ट माना जाता है.