चुनाव आयोग ने देश में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर तारीख का एलान कर दिया है. 18 जुलाई को देश के 15वें राष्ट्रपति के लिए मतदान होगा और 21 जुलाई को देश के नए राष्ट्रपति का पता चलेगा.
राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन की आखिरी तारीख 29 जून है. इस रिपोर्ट में जानिए कि भारत का राष्ट्रपति कैसे चुना जाता है?
1. राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया क्या होती है?
राष्ट्रपति का निर्वाचन इलेक्टोरल कॉलेज के द्वारा किया जाता है. इन इलेक्टोरल कॉलेज निर्वाचक मंडल के सदस्य होते हैं लोकसभा और राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य और इसके अलावा सभी विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य.
विधान परिषद् के सदस्य उसके सदस्य नहीं होते. लोकसभा और राज्यसभा के नामांकित सदस्य भी इसके सदस्य नहीं होते हैं.
लेकिन इन सभी के मतों का मूल्य अलग-अलग होता है. लोकसभा और राज्यसभा के मत का मूल्य एक होता है और विधानसभा के सदस्यों का अलग होता है. ये राज्य की जनसंख्या के आधार पर तय होता है.
इसमें मशीन का इस्तेमाल नहीं होता है.
2.क्या राष्ट्रपति चुनाव में टाई होता है और ऐसा होता है तो चुनाव कैसे किया जाता है?
टाई होने के बारे में संविधान बनाने वाले ने संकल्पना नहीं की थी. इसलिए इसके बारे में जिक्र नहीं है. राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर जो 1952 का कानून है उसमें भी इसका जिक्र नहीं है. ऐसी स्थिति आज तक आई भी नहीं है और आने की संभावना भी नहीं दिखती है.
3.राष्ट्रपति का कार्यकाल खत्म होने के बाद क्या उनका राजनीतिक जीवन खत्म हो जाता है. क्या वो उसके बाद चुनाव नहीं लड़ सकते.
संविधान में स्पष्ट प्रावधान है कि राष्ट्रपति कार्यकाल समाप्त होने के बाद दोबारा राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ा जा सकता है. राजनीतिक जीवन समाप्त होने का कोई सवाल नहीं उठता है. वो चाहे तो किसी भी तरह से राजनीतिक जीवन में रह सकते हैं. लेकिन देश के सर्वोच्च पद पर रहने के बाद स्वाभाविक है कि वो सांसद या विधायक या राज्यपाल बनना पसंद नहीं करेंगे. क्योंकि ये सब तो राष्ट्रपति के नीचे के पद हैं.
4.राष्ट्रपति पद का क्या महत्व है जब भारत में सारे अधिकार प्रधानमंत्री के पास होते हैं?
ऐसा नहीं है कि सारे अधिकार प्रधानमंत्री के पास रहते हैं. सबके अपने-अपने क्षेत्र हैं. पूरी कार्यपालिका की शक्तियां राष्ट्रपति के हाथ में होती है. राष्ट्रपति इनका प्रत्यक्ष तौर पर स्वयं या फिर अपने अधीनस्थ अधिकारियों के माध्यम से इस्तेमाल कर सकते हैं.
राष्ट्रपति का प्रमुख दायित्व प्रधानमंत्री को नियुक्त करना और संविधान का संरक्षण करना है. यह काम कई बार वो अपने विवेक से तय करते हैं. कोई भी अधिनियम उनकी मंजूरी के बिना पारित नहीं हो सकता. वो मनी बिल को छोड़कर किसी भी बिल को पुनर्विचार के लिए लौटा सकते हैं.
5.राष्ट्रपति का चुनाव कौन लड़ सकता है और उस व्यक्ति की योग्यता और उम्र क्या होनी चाहिए. राष्ट्रपति के कर्तव्य और अधिकार क्या हैं?
भारत का नागरिक होना चाहिए. आयु कम से कम 35 साल होनी चाहिए. लोकसभा का सदस्य होने की पात्रता होनी चाहिए. इलेक्टोरल कॉलेज के पचास प्रस्तावक और पचास समर्थन करने वाले होने चाहिए.
राष्ट्रपति का मूल कर्तव्य संघ की कार्यकारी शक्तियों का निर्वहन करना है. फौज के प्रमुखों की नियुक्ति भी वो करते हैं.
6.राष्ट्रपति को पद से कैसे हटाया जा सकता है?
राष्ट्रपति को उसके पद से महाभियोग के ज़रिये हटाया जा सकता है.
इसके लिए लोकसभा और राज्यसभा में सदस्य को चौदह दिन का नोटिस देना होता है. इस पर कम से कम एक चौथाई सदस्यों के दस्तख़त ज़रूरी होते हैं. फिर सदन उस पर विचार करता है. अगर दो-तिहाई सदस्य उसे मान लें तो फिर वो दूसरे सदन में जाएगा. दूसरा सदन उसकी जांच करेगा और उसके बाद दो-तिहाई समर्थन से वो भी पास कर देता है तो फिर राष्ट्रपति को पद से हटा हुआ माना जाएगा.
7.क्या दो ही उम्मीदवार खड़े होते हैं या ज़्यादा भी उम्मीदवार हो सकते हैं?
दो से ज्यादा भी उम्मीदवार हो सकते हैं बशर्ते कि पचास प्रस्तावक और पचास समर्थन करने वाले हो.
8.राष्ट्रपति क्षमादान के अधिकार का उपयोग अपने विवेक से करता है या मंत्रिपरिषद की सलाह पर?
क्षमादान के अधिकार का उपयोग राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद के सलाह पर ही करता है. लेकिन मंत्रिपरिषद ने राष्ट्रपति को क्या सलाह दी है, ये अदालत में भी नहीं पूछा जा सकता है.
9.सिंगल ट्रांसफरेबल वोटिंग क्या चीज़ है?
इसमें प्रावधान यह है कि राष्ट्रपति के चुनाव में आनुपातिक प्रतिनिधित्व सिंगल ट्रांसफरेबल वोट होगा. संविधान के निर्माण के समय ये बिना किसी मीटिंग के पास हो गया था. लेकिन सवाल उठता है कि एक से ज्यादा सीटों पर अगर चुनाव हो रहा है तो आनुपातिक प्रतिनिधित्व की बात होती है. एक पद के लिए नहीं.
10.क्या अब तक किसी राष्ट्रपति का चुनाव निर्विरोध हुआ है.
नीलम संजीव रेड्डी अकेले राष्ट्रपति हुए जो निर्विरोध चुने गए थे और डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद अकेले राष्ट्रपति थे जो दो बार चुने गए.
11. राम नाथ कोविंद के बारे में जानकारी
वो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय ख़बरें जो दिनभर सुर्खियां बनीं.
ड्रामा क्वीन
समाप्त
राम नाथ कोविंद ने 25 जुलाई, 2017 को भारत के 14वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण की. राम नाथ कोविंद उच्चतम न्यायालय में अधिवक्ता रहे हैं और देश का सर्वोच्च संवैधानिक पद ग्रहण करने से पूर्व वो बिहार के राज्यपाल थे.
उन्हें उच्चतम न्यायालय से लेकर संसद तक के विविध क्षेत्रों में काम करने का अनुभव है.
राम नाथ कोविंद का जन्म 01 अक्तूबर, 1945 को उत्तर प्रदेश में कानपुर जिले के परौंख गांव में हुआ था.
उनकी स्कूली शिक्षा और उच्चतर शिक्षा भी कानपुर में हुई. उन्होंने पहले कॉमर्स ग्रेजुएट की परीक्षा उत्तीर्ण की और फिर कानपुर विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री हासिल की.
वो 1977 से 1979 तक दिल्ली उच्च न्यायालय में केन्द्र सरकार के अधिवक्ता रहे. 1978 में वे भारत के उच्चतम न्यायालय में एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड बने. वो 1980 से 1993 तक उच्चतम न्यायालय में केन्द्र सरकार के स्थायी अधिवक्ता रहे.
राम नाथ कोविंद अप्रैल 1994 में, उत्तर प्रदेश से संसद के उच्चतर सदन, राज्यसभा के सदस्य निर्वाचित हुए. मार्च 2006 तक 6-6 वर्ष के लगातार दो कार्यकालों के लिए वे राज्यसभा के सदस्य रहे.
08 अगस्त, 2015 को उन्होंने बिहार के राज्यपाल का पदभार संभाला.
इसके बाद वो देश के 14वें राष्ट्रपति बने.
भारत में अबतक कितने राष्ट्रपति रहे हैं और उनके नाम क्या हैं?
राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद से पहले देश में 13 राष्ट्रपति रहे.
- डॉ. राजेंद्र प्रसाद (1884-1963)
- डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (1888-1975)
- डॉ. ज़ाकिर हुसैन (1897-1969)
- वराहगिरी वेंकट गिरी (1894-1980)
- डॉ. फ़ख़रुद्दीन अली अहमद (1905-1977)
- निलम संजीव रेड्डी (1913-1996)
- ज्ञानी जैल सिंह (1916-1994)
- आर वेंकटरमन (1910-2009)
- डॉ. शंकर दयाल शर्मा (1918-1999)
- के आर नारायनन (1920 – 2005)
- डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम (1931-2015)
- प्रतिभादेवी सिंह पाटिल (1934-)
- प्रणब मुखर्जी (1935-2020)
- रामनाथ कोविंद (1945-)