सिस्टम के आगे कब तक बेबस दिल्ली? 30 मिनट की बारिश से राजधानी ‘पानी-पानी’

अब हम आपको ये बताएंगे कि भारत जैसा विशाल देश अपनी तमाम ताकत और सफलता के बावजूद अपनी ही राजधानी दिल्ली में कितना मजबूर और बेबस दिखाई देता है. सोमवार को दिल्ली में आधे घंटे की बारिश और तेज तूफान आया और उसने पूरी दिल्ली की कुछ घंटों के लिए सांसें रोक दीं. इस तूफान की वजह से दिल्ली में लगभग 300 पेड़ उखड़ गए. लेकिन ना तो हमारे प्रशासन के पास इन पेड़ों को हटाने की कोई व्यवस्था थी और ना ही हमारे मौसम विभाग ने इतने बड़े तूफान के बारे में कोई जानरकारी दी. भारत की राजधानी की सड़कें इतनी कमजोर निकलीं कि वो एक ही बारिश में Ice Cream की तरह पिघल गईं. भारत दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और इतने बड़े बड़े देशों में अकेला ऐसा देश है, जिसकी राजधानी में सड़कें और Drainage System इतनी बुरी हालत में है.

मौसम विभाग ने 20 मिनट पहले दी चेतावनी

आप सबको पता होगा कि सोमवार को DNA में मैं आपके साथ मौजूद नहीं था और इसके पीछे ये वजह नहीं थी कि मैं छुट्टी पर था या मैं किसी और वजह से DNA नहीं करना चाहता था. बल्कि इस तूफान की वजह से मुझे कल का DNA मिस करना पड़ा और ये शायद आपके साथ भी हुआ होगा. क्योंकि इस तूफान की वजह से कल दिल्ली में सबकुछ रुक सा गया था. इस तूफान के दौरान कई इलाकों में 100 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से हवाएं चलीं और ज्यादातर इलाकों में तेज बारिश भी हुई. लेकिन मौसम विभाग ने इस तूफान की चेतावनी इसके आने से सिर्फ 20 मिनट पहले जारी की और ये पहली बार नहीं है, जब मौसम विभाग से इस तरह की कोई चूक हुई है.

पिछले साल मॉनसून को लेकर भी मौसम विभाग के ज्यादातर अनुमान गलत साबित हुए थे. 13 जून 2021 को मौसम विभाग ने ये पूर्वानुमान लगाया था कि दक्षिणी पश्चिमी मॉनसून 15 जून तक दिल्ली, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ऊपर पहुंच जाएगा. लेकिन इस पूर्वानुमान को करीब एक महीना बीतने के बावजूद तब इन राज्यों में बारिश नहीं हुई थी.

मौसम का अनुमान लगाने में फेल

विशेषज्ञ इन अनुमानों में गड़बड़ी के लिए दो चीजों को जिम्मेदार मानते हैं. पहला ये कि जिन Models के जरिए मौसम का अनुमान लगाया जाता है, उन Models में कई खामियां हैं. मौजूदा Models 2 हफ्ते तक की तो ठीक-ठाक गणना कर सकते हैं, लेकिन अगले 4 हफ्तों का सही अनुमान लगाने में ये Models उतने सक्षम नहीं हैं. दूसरी वजह है, पूर्व और पश्चिम से चलने वाली हवाओं का टकराना और इसका सही सही अनुमान ना लगाया जाना.

दुनिया के जो बड़े बड़े देश हैं, वहां मामूली बारिश को भी बहुत गम्भीरता से लिया जाता है और वहां सरकारों की ये जि‍म्मेदारी होती है कि लोगों को मौसम से संबंधित सही और सटीक जानकारी दी जाए. सबसे बड़ी बात, इन देशों में लोग घर से बाहर जाने से पहले अपने मोबाइल फोन पर Weather Updates जरूर चेक करते हैं. जबकि हमारे देश में ऐसा नहीं है. हमारे देश में मौसम विभाग तूफान आने से 20 मिनट पहले इसकी चेतावनी जारी करता है और लोगों को न्यूज चैनल्स और अखबारों से ये जानकारी मिलती है कि मौसम विभाग ने इसे लेकर कोई सूचना दी थी.

दिल्ली में 300 पेड़ों को नुकसान

इस तूफान और बारिश से दिल्ली में कल 300 पेड़ों को नुकसान पहुंचा और ये सारे पेड़ जड़ के साथ उखड़ कर सड़कों पर गिर गए. तूफान के दौरान पेड़ों को नुकसान पहुंचना कोई नई बात नहीं है. लेकिन आधे घंटे में अगर 300 पेड़ गिर जाएं तो कई सवाल खड़े होते हैं. दिल्ली में कल जितने भी पेड़ गिरे, उनकी जड़ों में मिट्टी होने के बजाय बड़े-बड़े पत्थर फंसे हुए थे.

असल में दिल्ली में फुटपाथ को सुन्दर बनाने के लिए क्रंकीट का इस्तेमाल किया जा रहा है और इसकी वजह से पेड़ों के आसपास मिट्टी खोद कर निकाल दी गई है और वहां पत्थर भर दिए गए हैं. इससे पेड़ों की जड़ों को ना तो पर्याप्त ऑक्सीजन मिल पा रहा है और ना ही इन जड़ों तक पानी पहुंचता है. आप ये भी कह सकते हैं कि दिल्ली, इन पेड़ों की जड़ों की तरह खोखली हो गई है. दूसरी बात, हमारे पास ऐसा कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे सड़कों पर गिरे पेड़ों को तुरंत हटाया जा सके और ट्रैफिक जाम को खोला जा सके. ये बात हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि 24 घंटे बाद अब भी दिल्ली के ज्यादातर इलाकों में टूटे हुए पेड़ों को सड़कों से हटाया नहीं गया है