बीजेपी के दो प्रवक्ताओं की पैग़ंबर मोहम्मद पर की गई विवादित टिप्पणी को लेकर दक्षिण एशिया के इस्लामिक देशों में काफ़ी हलचल है.
जिन देशों के भारत से अच्छे संबंध हैं, वे भी इस मामले को लेकर असहज महसूस कर रहे हैं. मालदीव भी उन्हीं देशों में से एक है. मालदीव की वर्तमान इब्राहिम मोहम्मद सोलिह सरकार को भारत समर्थक माना जाता है लेकिन उसने भी पैग़ंबर मोहम्मद पर की गई विवादित टिप्पणी को लेकर बयान जारी कर कहा कि यह बेहद चिंताजनक है. सोलिह सरकार ने बीजेपी से दोनों प्रवक्ताओं को निकाले जाने का स्वागत भी किया है.
अंग्रेज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस ने पहले पन्ने पर मालदीव की यह रिपोर्ट लगाई है कि कैसे पैग़ंबर पर विवादित बयान से भारत समर्थक देश भी ख़ुद को असहज पा रहे हैं. आज की प्रेस रिव्यू की लीड में इसी ख़बर को पढ़िए.
छह जून को इब्राहिम सोलिह की अगुआई वाली मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) सरकार ने भारतीय जनता पार्टी के दो प्रवक्ताओं की विवादित टिप्पणी की निंदा में जो बयान जारी किया, उसे पता चलता है कि भारत की घरेलू राजनीति का असर पड़ोसी देशों पर किस हद तक पड़ा है.
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भारत की घरेलू राजनीति से असहज भारत के सहयोगी देश
भारत के सहयोगी देश भी अपनी घरेलू राजनीति में ख़ुद को असहज पा रहे हैं. मालदीव एक इस्लामिक देश है. सोलिह के नेतृत्व में हिन्द महासागर के इस छोटे लेकिन अहम देश ने आधिकारिक रूप से अपनी विदेश नीति में ‘इंडिया फर्स्ट’ का रुख़ रखा है जबकि वहाँ का विपक्ष ‘इंडिया आउट’ कैंपेन चला रहा है.
इंडिया आउट कैंपेन मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन चला रहे हैं. यामीन जब राष्ट्रपति थे तो उनका झुकाव चीन की ओर था. इसी साल अप्रैल में सोलिह सरकार ने सरकारी आदेश के ज़रिए विपक्ष के ‘इंडिया आउट’ कैंपेन पर प्रतिबंध लगा दिया था.
2020 में मालदीव और यूएई ने पाकिस्तान की उस कोशिश को नाकाम कर दिया था, जिसमें वह इस्लामोफ़ोबिया पर इस्लामिक देशों के संगठन ओआईसी के सदस्य देशों के राजनयिकों का अनौपचारिक कॉन्टैक्ट ग्रुप बनाना चाहता था. यह कोशिश भारत को टारगेट करने के लिए था. तब ओआईसी में मालदीव की स्थायी प्रतिनिधि थिलमीज़ा हुसैन ने कहा था कि यह ग़लत है कि इस्लामोफ़ोबिया के मामले में हम भारत को अलग से टारगेट करें. उन्होंने यह भी कहा था कि इस्लाम के ख़िलाफ़ सोशल मीडिया पर कैंपेन एक अरब 30 करोड़ भारतीयों की भावना को व्यक्त नहीं करता है.
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इसी साल कर्नाटक में हिजाब को लेकर जारी गतिरोध का मुद्दा भी मालदीव पहुँचा और सोशल मीडिया पर इसे लेकर चर्चा गर्म रही. मालदीव में हिजाब कोई अनिवार्य लिबास का हिस्सा नहीं है लेकिन कर्नाटक में हिजाब और बुर्क़े में प्रदर्शन करती महिलाओं का वीडियो वायरल हो गया. इस मुद्दे पर मालदीव में काफ़ी बातें हुईं.
ओआईसी, कुवैत, बहरीन, पाकिस्तान और अमेरिका ने हिबाज पर प्रतिबंध की आलोचना की और कहा कि यह धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला है. लेकिन मालदीव की सरकार ने इस मुद्दे पर कुछ नहीं कहा. इस बार भी पैग़ंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी के मामले में मालदीव की सरकार ने चीज़ों को संभालने की कोशिश की. दूसरी तरफ़ कई इस्लामिक देशों से बीजेपी प्रवक्ताओं की विवादित टिप्पणी को लेकर तीखी प्रतिक्रिया आनी शुरू हो गई थी. मालदीव तब भी ख़ामोश रहा.
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मालदीव की संसद में प्रस्ताव
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ड्रामा क्वीन
समाप्त
छह जून को वहाँ के विपक्ष ने पीपल्स मजलिस में एक आपातकालीन प्रस्ताव लाया. यह प्रस्ताव पीपल्स नेशनल कांग्रेस के सांसद अदम शरीफ़ उमर ने रखा. प्रस्ताव में कहा गया कि सरकार भारत की निंदा करे. प्रस्ताव पेश करते हुए शरीफ़ ने कहा कि यह बहुत दुखद है कि इस्लामिक देश होते हुए भी मालदीव ने भारत में पैग़ंबर मोहम्मद को लेकर अपमानजनक टिप्पणी पर एक शब्द नहीं कहा. दूसरी तरफ़ भारतीय मुसलमान और बाक़ी के इस्लामिक देश इसका विरोध कर रहे हैं और भारत के राजदूतों को समन भेज रहे हैं.
मालदीव की संसद में कुल 87 सदस्य हैं और इस प्रस्ताव के वक़्त 43 सांसद मौजूद थे. सत्ताधारी एमडीपी के 65 सांसद हैं. जिन 33 सांसदों ने इस प्रस्ताव को ख़ारिज करने के पक्ष में मतदान किया, वे सभी एमडीपी के थे. वहाँ के एक अख़बार ने इन सभी 33 सांसदों को सार्वजनिक रूप से लानतें भेजीं. उसी दिन प्रोग्रेसिव कांग्रेस कोअलिशन (पीसीसी) और प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव ने नुपूर शर्मा की टिप्पणी की निंदा करते हुए बयान जारी किया. इस बयान में कहा गया कि नूपुर शर्मा के बयान से साफ़ है कि भारत में इस्लामोफ़ोबिया बढ़ रहा है.
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मालदीव की दो और राजनीति पार्टियां अधालथा पार्टी और मालदीव रिफॉर्म मूवमेंट ने भी नूपुर शर्मा को लेकर भारत की आलोचना करते हुए बयान जारी किया. ये दोनों पार्टियां सत्ताधारी गठबंधन का हिस्सा हैं. इसके बाद वहाँ की सरकार भी दबाव में आ गई और उसने भी नूपुर शर्मा की विवादित टिप्पणी की निंदा करते हुए बयान जारी कर दिया.
मालदीव के मीडिया और सोशल मीडिया पर संसद में प्रस्ताव पास नहीं होने पर सोलिह सरकार की आलोचना शुरू हो गई. बाद में एमडीपी संसदीय ग्रुप ने संसद में प्रस्ताव ख़ारिज होने का बचाव करते हुए कहा कि इस्लाम को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल होने की अनुमति नहीं दी जाएगी. इस ग्रुप ने कहा कि संसद में आपातकालीन प्रस्ताव एक राजनीतिक हथियार था, जिसका मक़सद मालदीव के लोगों को सरकार के ख़िलाफ़ खड़ा करना था.
विपक्षी पार्टियों के गठबंधन पीसीसी के नेता यामीन अतीत में एमडीपी सरकार को इस्लाम विरोधी कह चुके हैं. मालदीव में 2023 में राष्ट्रपति चुनाव है. एमडीपी के नेताओं को उम्मीद है कि भारत की हेट स्पीच यामीन के भारत विरोधी अभियान का हिस्सा नहीं बने.
मोदी सरकार के लिए अपना राष्ट्रपति बनाना कितना आसान?
हिन्दी अख़बार दैनिक भास्कर ने भारत में राष्ट्रपति चुनाव की तारीख़ घोषित होने की ख़बर आज पहले पन्ने की लीड बनाई है. भास्कर ने अपनी रिपोर्ट लिखा है, निर्वाचन आयोग ने गुरुवार को 16वें राष्ट्रपति चुनाव की तारीख़ें घोषित कर दीं. 29 जून तक नॉमिनेशन, 18 जुलाई को मतदान और 21 जुलाई को नतीजे आएंगे.
पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी भी कराई जाएगी. मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि 15 जून को चुनाव की अधिसूचना जारी होगी. गौरतलब है कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए कुल वोट वेटेज 10,80,131 है. जिस उम्मीदवार को 5,40,065 से ज्यादा वेटेज मिलेगा, वही जीतेगा. एनडीए के पास 5,32,139 का वेटेज है यानी सिर्फ़ 7926 और चाहिए. 10 जून के राज्यसभा चुनाव भी असर डालेंगे.
समझें पूरा गणित; इसलिए एनडीए मज़बूत
767 सांसद (540 लोकसभा, 227 राज्यसभा) और कुल 4033 विधायक राष्ट्रपति चुनेंगे. हर सांसद के वोट का वेटेज 700 है यानी कुल वेटेज 3,13,600 होता है. विधायकों के वोट का वेटेज राज्य की आबादी और कुल विधायकों की संख्या से तय होता है. यूपी में प्रति विधायक 208 और सिक्किम में सिर्फ़ 7 है.
कुल 4033 विधायकों का वेटेज 5,43,231 है. इस तरह चुनाव के लिए कुल वेटेज 10,80,131 होता है. जीतने के लिए 50% यानी 5,40,065 से ज्यादा चाहिए. एनडीए के 448 सांसदों और 1737 विधायकों का वेटेज 5,32,139 है. 7926 वेटेज की और ज़रूरत होगी. ध्यान रहे कि राज्यसभा सांसदों के आंकड़े 9 जून तक के हैं. 10 जून को 16 सीटों के नतीजों के बाद इस गणित में बदलाव होगा.
नूपुर, नवीन जिंदल और ओवैसी के ख़िलाफ़ एफ़आईआर
हिन्दी अख़बार जनसत्ता ने पहले पन्ने की दूसरी ख़बर लगाई है- नूपुर, नवीन, यति, ओवैसी समेत कई पर एफ़आईआर. अख़बार ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है, दिल्ली पुलिस ने नफ़रत फैलाने और धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में दो एफ़आईआर दर्ज की हैं.
एक एफ़आईआर में बीजेपी की पूर्व राष्ट्रीय प्रवक्ता नूपुर शर्मा को अभियुक्त बनाया गया है जबकि दूसरी एफ़आईआर में एआईएमआईएम के प्रमुख और हैदराबाद से लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी के अलावा यति नरसिम्हानंद समेत 31 लोगों को नामज़द किया गया है.