Dollar News: नाइजीरिया और सोमालिया जैसे देशों में मजबूत डॉलर की वजह से लोग भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं. डॉलर की मजबूती से खाने पीने की चीज, इंधन और दवाइयों का आयात महंगा हो गया है.
नई दिल्ली: अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने महंगाई पर काबू पाने के लिए ब्याज दरों में लगातार वृद्धि करने का सिलसिला जारी रखा है. फेडरल रिजर्व के ब्याज दरें बढ़ाने से अमेरिकी डॉलर मजबूत हो रहा है, लेकिन दुनिया के दूसरे देशों का दर्द बढ़ रहा है. उन्हें कर्ज या ब्याज के रूप में चुकाई जाने वाली रकम बढ़ानी पड़ रही है और पूरी दुनिया में आर्थिक मंदी का खतरा बढ़ने लगा है.
अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने से डॉलर की वैल्यू बढ़ रही है. डॉलर दुनियाभर में ट्रेड और ट्रांजैक्शन के लिए यूज किया जाता है. अमीर और गरीब दोनों देशों में मजबूत डॉलर मुसीबत पैदा कर रहा है. ब्रिटेन और यूरोप के अन्य देशों में डॉलर की मजबूती की वजह से महंगाई और बढ़ी है.
सोमवार को ब्रिटिश करेंसी पाउंड रिकॉर्ड निचले लेवल पर पहुंच गई है. ब्रिटेन में सरकार ने टैक्स रेट में कटौती की है और स्पेंडिंग प्लान बनाया है. चीन अपनी मुद्रा पर काबू पाने के लिए दुनिया के सबसे सख्त देशों में माना जाता है. चीन की मुद्रा युआन पिछले 2 साल के निचले स्तर पर आ गई है. अब चीन को भी अपनी मुद्रा को संभालने के लिए कदम उठाना पड़ रहा है.
अगर बात नाइजीरिया और सोमालिया जैसे देशों की करें तो यहां लोग भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं. डॉलर की मजबूती से खाने पीने की चीज, इंधन और दवाइयों का आयात महंगा हो गया है.
डॉलर की मजबूती अर्जेंटीना और कीनिया जैसे देशों को डिफॉल्ट के कगार पर पहुंचा चुकी है. इसके साथ ही डॉलर की मजबूती की वजह से भारत और दक्षिण कोरिया जैसे उभरते देशों में विदेशी निवेश हतोत्साहित हुआ है.
एक इकोनॉमिस्ट ने इस बारे में कहा कि अमेरिका के लिए डॉलर की मजबूती बेहतर है, लेकिन दुनिया के लिए यह मुसीबत बन गया है. अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के पास महंगाई पर काबू पाने के लिए कोई चारा नहीं बचा है, इसलिए वह ब्याज दरों में बार-बार वृद्धि कर रहा है. अगर अमेरिका महंगाई पर काबू पाने के लिए समय पर कदम नहीं उठाता तो उसकी स्थिति बहुत विकराल हो सकती है.
अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन में पॉलिसी डिसीजंस में बार-बार बदलाव हो रहा है. अमेरिका एक सुपर पावर है, इसके साथ ही यह दुनिया की सबसे बड़ी इकोनामी है. इसके पास ऑयल और नेचुरल गैस का विशाल भंडार है. इस वजह से जब ग्लोबल फाइनेंस या ट्रेड की बात आती है तो अमेरिका का महत्व समझ आता है.
डॉलर दुनिया की रिजर्व करेंसी है. दुनिया में कोई भी एमएनसी या वित्तीय संस्थान डॉलर में लेन-देन से मना नहीं कर सकता. इसके साथ ही सामान और सेवाओं के साथ अकाउंट सेटेलमेंट के लिए भी डॉलर एक महत्वपूर्ण मुद्रा है. दुनिया भर में एनर्जी और फूड का कारोबार डॉलर में किया जाता है.
विकासशील देशों पर काफी कर्ज है और डॉलर की मजबूती की वजह से उनका उन्हें अधिक ब्याज चुकाना पड़ रहा है. इसके साथ ही कर्ज की रकम भी स्थानीय मुद्रा में बढ़ रही है जिससे उन देशों के सामने डिफॉल्ट करने का खतरा पैदा हो गया है.