How to increase heart pumping: हार्ट की पंपिंग बढ़ाने के 5 असरदार तरीके, शरीर में तेजी से दौड़ेगा खून

How can I strengthen my heart pump: दिल के बेहतर कामकाज के लिए इसकी पंपिंग पावर का कंट्रोल होना जरूरी है। बहुत तेजी या कम पंपिंग होने से दिल की सेहत खतरे में आ सकती है। दिल में दो चैंबर होते हैं लेफ्ट और राइट। यह दोनों बराबर रूप से काम करते हैं। इनमें से एक के भी खराब होने से आपका दिल मुश्किल में आ सकता है।

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How to increase heart pumping: हार्ट की पंपिंग बढ़ाने के 5 असरदार तरीके, शरीर में तेजी से दौड़ेगा खून

आपका दिल कैसे पंप कर रहा है, दिल को कितनी तेजी से पम्पिंग कानरी चाहिए, दिल की पंपिंग पावर कैसे बढ़ाएं? यह ऐसे सवाल हैं जिनसे आपका शायद ही कभी वास्ता पड़ता हो। लेकिन दिल की सेहत के लिए इन सवालों का जवाब मालूम होना बहुत जरूरी है। क्योंकि दिल कैसे काम करता है इस पर नजर रखने से न केवल आपके डॉक्टर को आपको अधिक प्रभावी ढंग से इलाज करने में मदद मिलती है बल्कि बेहतर परिणाम भी मिलते हैं।

दिल के बेहतर कामकाज के लिए इसकी पंपिंग पावर का कंट्रोल होना जरूरी है। बहुत तेजी या कम पंपिंग होने से दिल की सेहत खतरे में आ सकती है। दिल के पंपिंग करने को मेडिकल भाषा में इजेक्शन फ्रैक्शन (ejection fraction) कहते हैं। चलिए समझते हैं कि इजेक्शन फ्रैक्शन क्या होता है और दिल को स्वस्थ रखने में इसका क्या रोल है।

इजेक्शन फ्रैक्शन (ejection fraction) क्या है? दिल में दो चैंबर होते हैं लेफ्ट और राइट। यह दोनों बराबर रूप से काम करते हैं। इनमें से एक के भी खराब होने से आपका दिल मुश्किल में आ सकता है। राइट चैंबर ऑक्सीजन प्राप्त करने के लिए फेफड़ों में रक्त पंप करना है जबकि लेफ्ट चैंबर का काम आपके पूरे शरीर में ऑक्सीजन युक्त रक्त पंप करता है।

क्या होता है जब दिल सही से पंपिंग नहीं करता है

जब दिल नॉर्मल तरीके से पंपिंग करता रहता है, तो दिल को पर्याप्त ऑक्सीजन मिलता रहता है और हार्ट रेट भी स्थिर रहती है लेकिन कम इजेक्शन होना परेशानी पैदा करता है। कम इजेक्शन का मतलब है कि दिल से पर्याप्त रक्त पंप नहीं हो रहा है और ऐसा होने का मतलब दिल में कुछ गड़बड़ी का संकेत है।

दिल की विफलता तब होती है जब हृदय की मांसपेशी रक्त को उतनी अच्छी तरह पंप नहीं करती जितनी उसे करनी चाहिए। रक्त अक्सर बैक अप लेता है और फेफड़ों और पैरों में तरल पदार्थ का निर्माण करता है। तरल पदार्थ का निर्माण सांस की तकलीफ और पैरों की सूजन का कारण बन सकता है।

दिल के पंपिंग करने की सामान्य दर

नॉर्मल इजेक्शन फ्रैक्शन (50% से 70%) होना चाहिए इसका मतलब है कि आपका दिल काम कर रहा है। सामान्य से थोड़ा नीचे (41% से 49%) का मतलब है कि आपको लक्षण नहीं हो सकते हैं, आपका दिल पूरे शरीर में पर्याप्त ऑक्सीजन युक्त रक्त पंप करने के लिए संघर्ष करना शुरू कर देता है। सामान्य से मामूली नीचे (30% से 40%) में मरीजों को कम लक्षण महसूस हो सकते हैं जबकि सामान्य से कम (30% से कम) में मरीजों में हृदय ताल की गड़बड़ी का खतरा बढ़ जाता है।

डॉक्टर के पास जाएं

अगर आपको दिल से जुड़े कोई भी लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो आपको बिना देरी किये डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। दिल की विफलता को मैनेज करने के लिए डॉक्टरों के पास कई तरीके हैं। दवाओं से लेकर इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफाइब्रिलेटर्स तक, उनका हार्ट फेल्योर टूलकिट आपके हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए प्रभावी विकल्पों से भरपूर है।

फिजिकल एक्टिविटी भी है जरूरी

फिजिकल एक्टिविटी, विशेष रूप से एरोबिक एक्सरसाइज आपके दिल को स्वस्थ करहने में सहायक है। इससे शरीर को दिल से मिलने वाले ऑक्सीजन का सही तरीके से उपयोग करने में मदद मिलती है।

वजन पर कंट्रोल रखें

वजन कम करने से सीधे रूप से दिल की पंपिंग करने की पावर में सुधार नहीं होता है लेकिन यह आपको बेहतर महसूस करा सकता है। वजन कंट्रोल रखने से आपको और आपके डॉक्टर को यह समझने में मदद मिलेगी कि असामान्य हृदय क्रिया के कारण द्रव का निर्माण हो रहा है या नहीं।

नमक का कम सेवन करें

सोडियम का अधिक सेवन आपके दिल के लिए खतरनाक है। नमक के अधिक सेवन शरीर में तरल पदार्थ का अधिक निर्माण हो सकता है जो सीधे रूप से दिल के कामकाज को प्रभावित करता है। अतिरिक्त द्रव फेफड़ों, पैरों, लीवर और पेट में चला जाता है, जिससे सामान्य हृदय विफलता के लक्षण होते हैं, जैसे सांस की तकलीफ, थकान और सूजन।

शराब और कैफीन से कर लें तौबा

अपनी डाइट से ऐसे खाद्य पदार्थों को हटा दें जो आपके दिल को अधिक नुकसान पहुंचा सकते हैं, जैसे शराब, कोकीन, एम्फ़ैटेमिन और सिगरेट। ये सभी आपके दिल की पंपिंग पावर को कम करते हैं और आपके लक्षणों को और ज्यादा बिगाड़ सकते हैं।

डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।