कोरोना के खिलाफ देश और दुनिया ने दो साल तक जंग लड़ी और अब भी जारी है। लेकिन देश की राजधानी दिल्ली हर साल दिवाली के आसपास प्रदूषण से जंग लड़ती है। इस बार दिवाली के दूसरे दिन भले ही प्रदूषण कम रहा हो पर जानकार बता रहे हैं कि असली लड़ाई अभी बाकी है।
नई दिल्ली: इस बार दिवाली के दूसरे दिन दिल्लीवालों के लिए थोड़ी राहत रही। जी हां, राजधानी की दिवाली आठ साल में सबसे साफ रही है। हालांकि इसे यह मानने की भूल न करें कि प्रदूषण (DELHI POLLUTION) का खतरा टल गया है। एक्सपर्ट्स के अनुसार, नवंबर अभी बाकी है। नवंबर में हालात काफी खराब हो सकते हैं। सीआरईए के सुनील दहिया ने बताया कि इस बार दिवाली जल्दी आ गई है, इसलिए अनुमान भी था कि दिवाली पिछले कुछ वर्षों से साफ रहेगी। नवंबर इस बार अधिक परेशान कर सकता है। आकलन के अनुसार अभी पराली जलाने का काम तेजी से होगा। साथ ही, तापमान अब गिरने शुरू हुए हैं। इसकी वजह से हवाओं की दिशा बदलेगी और वह धुआं राजधानी पहुंचेगा। आज सुबह की बात करें तो
डीपीसीसी के अनुसार प्रदूषण की मॉनिटरिंग चल रही है। कदम भी उठाए जा रहे हैं। उधर, आईआईटीएम पुणे के अनुसार 26 से 28 अक्टूबर तक प्रदूषण बेहद खराब स्थिति में बना रहेगा। इसके बाद अगले छह दिनों तक प्रदूषण का स्तर खराब से बेहद खराब रहेगा। वहीं, सफर के पूर्वानुमान के अनुसार 26 और 27 अक्टूबर को हवाओं की गति 6 किलोमीटर प्रति घंटे तक रहेगी। अधिकतम तापमान 31 और न्यूनतम 15 डिग्री के आसपास रहने की संभावना है। ऐसे में 26 और 27 अक्टूबर को प्रदूषण स्तर में सुधार हो सकता है और यह खराब स्थिति पर आ सकता है।
सफर एजेंसी के अनुसार, दिल्ली में आज सुबह 6 बजे के आसपास वायु गुणवत्ता 349 रही, जो बहुत खराब स्थिति होती है। शून्य से 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा’, 51 से 100 को ‘संतोषजनक’, 101 से 200 को ‘मध्यम’, 200 से 300 को ‘खराब’, 301 से 400 को ‘बहुत खराब’ और 401 से 500 को ‘गंभीर’ माना जाता है।
323 एक्यूआई अभी चिंताजनक है और हमें बताता है कि आने वाले दिनों में कम तापमान के बीच वायु प्रदूषण बढ़ेगा।
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा है कि राजधानी में दिवाली पर पटाखे जलाने की घटनाओं में पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत की कमी आई और शहर में दिवाली के अगले दिन वायु गुणवत्ता पांच साल बाद सबसे ठीक रही। उन्होंने मंगलवार को 150 एंटी-स्मॉग गन की शुरुआत की। ये एंटी-स्मॉग गन उन इलाकों में पानी का छिड़काव करेंगी जहां वायु प्रदूषण ज्यादा है।
वायु गुणवत्ता खराब होने के लिए नागरिक और दिल्ली सरकार बराबर जिम्मेदार हैं। प्रदूषण पर रोक के नियमों का दिल्ली के अधिकतर हिस्सों में नागरिकों ने उल्लंघन किया। जब जिम्मेदार नागरिक बनने और समाधान का हिस्सा बनने की बात आती है तो वे ऐसा नहीं करते हैं। पटाखा जलाने वाले अधिकतर लोग अपने बच्चों या बुजुर्गों की या अपने जीवन तक की परवाह नहीं करते हैं।