#HP_Election : क्या CM पद के दावेदार “सुक्खू” लगा पाएंगे जीत का चौका..?

शिमला, 18 अक्तूबर : हमीरपुर की नादौन विस सीट इस समय सबसे हॉट सीट मानी जा रही है। यहां से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुखविंदर सिंह सुक्खू चुनाव मैदान में डटे हुए हैं। सुक्खू को सीएम पद का भी दावेदार माना जा रहा है। हालांकि हमीरपुर की सदर व सुजानपुर सीट भी चर्चाओं में है। मगर नादौन पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं।

इस सीट पर ज्यादातर कांग्रेस का ही कब्ज़ा रहा है। यहां से कांग्रेस  के स्वर्गीय नारायण चंद पराशर तीन बार जीते हैं। वह प्रदेश सरकार में शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय के मंत्री भी रहे। उनकी मृत्यु के बाद सुक्खू भी तीन दफा यहां से विधायक चुने गए।

 सुक्खू 2003, 2007 व 2017 में इस क्षेत्र से विजयी हुए। उन्हें 2012 में यहां से हार का मुंह देखना पड़ा। भाजपा के विजय अग्निहोत्री ने हार का स्वाद चखाया। 2012 में सुक्खू को हराने के लिए कांग्रेस के ही कुछ लोगों ने अपनी भूमिका निभाई। इसका कारण तत्कालीन कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता को माना जाता है।

2012 में भी सुक्खू सीएम पद की दौड़ में थे। मगर उन्हें विधानसभा में जाने से रोक दिया गया। हार से सबक लेकर सुक्खू ने अपने विधानसभा क्षेत्र पर पूर्ण रूप से फोकस किया, जिसके परिणामस्वरूप वह भाजपा की लहर में 2017 में चुनाव जीतने में सफल रहे।

इस मर्तबा वह कांग्रेस चुनाव कैंपेन कमेटी के अध्यक्ष हैं। जिसके चलते वह नादौन के अलावा प्रदेश की अन्य सीटों पर भी अपनी पसंद के उम्मीदवारों को टिकट दिलवाने के लिए प्रयासरत हैं। वहीं, भाजपा फिर से विजय अग्निहोत्री को चुनाव मैदान में उतारेगी। दोनों में सीधी टक्कर होगी। देखना है कि नादौन की जनता क्या फैसला सुनाती है। क्या मुख्यमंत्री के दावेदार को फिर से विधानसभा के लिए चुनती है या फिर उनके रास्ते में अवरोध बनकर खड़ी होती है।

नादौन के राजनीतिक इतिहास पर नजर दौड़ाई जाए तो यहां 1967 व 1972 में कांग्रेस के बाबूराम विधायक बने। 1977 में नारायण चंद पराशर कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने। 1982 में भाजपा के धनीराम चुनाव जीते। 1985 में कांग्रेस के प्रेम दास पखरोलवी विजयी रहे। 1990,1993 में नारायण चंद पराशर कांग्रेस के टिकट पर फिर जीते। 1998 में बाबू राम मंडयाल भाजपा के टिकट पर विधानसभा पहुंचे।

नादौन विस की खासियत यह रही है कि यहां अधिकतर सत्तारूढ़ सरकार के विपरीत ही विधायक चुना जाता है। देखना है कि इस बार नादौन की जनता क्या निर्णय लेती है। इस परिपाटी को बदलती है या फिर उसी पर चलकर विपक्ष का विधायक चुनती है।