हिमाचल प्रदेश में 29 मई को HRTC के पहियों की रफ्तार थम जाएगी. दरअसल, मांगें पूरी ना होने से नाराज परिवहन निगम के चालकों ने 29 मई को चक्का जाम करने का निर्णय लिया है. 31 मई को शिमला में पीएम मोदी केंद्र सरकार के 8 साल के कार्यक्रम को लेकर आने वाले हैं और इससे दो दिन पहले अब एचआरटीसी कर्मियों ने हड़ताल पर जाने का फैसला लिया है.
दरअसल, 12 मई से परिवहन निगम के चालक लगातार गेट मीटिंग कर अपनी मांगों से सरकार को अवगत करवा रहे हैं, मगर अभी तक इनकी मांगों की तरफ कोई गौर नहीं किया गया है. नाहन में चालकों की गेट मीटिंग के बाद मीडिया से बात करते हुए परिवहन निगम चालक यूनियन के प्रदेश कोषाध्यक्ष धर्मेंद्र शर्मा ने बताया कि गेट मीटिंग का आज अंतिम दिन है और सरकार को चालक यूनियन की तरफ से अल्टीमेटम दिया गया है कि 29 मई से पहले उन्हें वार्ता के लिए बुलाया जाए और यदि वार्ता सफल नहीं रहती है तो 29 मई को निगम के कर्मचारी काम छोड़ो आंदोलन शुरू कर देंगे.
क्या हैं कर्मचारियों की मांगें
HRTC कर्मियों का कहना है कि हिमाचल प्रदेश में अधिकतर विभागों में छठा वेतन आयोग लागू हो चुका है, मगर एचआरटीसी महकमे में कर्मचारियों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है. वहीं, उनका यह भी कहना है कि पिछले करीब 36 महीनों से परिवहन निगम के चालक परिचालकों को नाइट ओवरटाइम का पैसा नहीं मिल पा रहा है. साथ ही मेडिकल बिलों का भुगतान भी लंबित है. परिवहन निगम के चालकों का कहना है कि एचआरटीसी वर्कशॉप में बसों की रिपेयरिंग नहीं हो पा रही है, क्योंकि एचआरटीसी की वर्कशॉप सामान की कमी से जूझ रही है और यही कारण है कि बस से कई बार ब्रेकडाउन हो जाती है.
शिमला में एचआरटीसी ड्राइवर यूनियन ने पीएम दौरे से एक दिन पहले हड़ताल करने का ऐलान किया और कहा कि 29 मई की रात 12 बजे से 30 मई की रात 12 बजे तक कोई भी बसें नहीं चलेंगी. शिमला में गेट मीटिंग के आठवें दिन ड्राइवर यूनियन ने यह घोषणा की कहा कि 2006 से डीए का साल लंबित पड़े एरियर के भुगतान किया जाए और वरिष्ठ चालकों के पद सृजित किया जाए. साथ ही नया वेतनमान भी उन्हें दिया जाए. हिमाचल प्रदेश में 3200 के करीब सरकारी बसें हैं.