मानवाधिकार आयोग: शिमला के डाउनडेल से बच्चे उठाने वाले आदमखोर तेंदुए को सारी उम्र कैद में रखें

राज्य मानवाधिकार आयोग ने सुनीता ठाकुर बनाम वन विभाग सू मोटो मामले में हिमाचल प्रदेश वन विभाग को कड़े इस संबंध में मानवाधिकार आयोग ने संस्तुति की है कि संबंधित तेंदुए को पूरी उम्र बंद रखा जाए।
राज्य मानवाधिकार आयोग ने सुनीता ठाकुर बनाम वन विभाग सू मोटो मामले में हिमाचल प्रदेश वन विभाग को कड़े इस संबंध में मानवाधिकार आयोग ने संस्तुति की है कि संबंधित तेंदुए को पूरी उम्र बंद रखा जाए। एक महीने के अंदर जहां पर मानव बस्तियां और वन्य जीव रहते हैं, सीसीटीवी कैमरे और इस तरह के ट्रैप लगाए जाएं। ऐसे क्षेत्रों में वन तार की बाड़ भी लगाई जाए। ऐसे क्षेत्रों को एक महीने के भीतर संरक्षित बफर जोन बनाया जाए। ऐसे क्षेत्रों में तमाम तेंदुओं को एक महीने के भीतर टैग किया जाए। एक महीने के भीतर हिमाचल प्रदेश वन विभाग एक महीने के भीतर आयोग को एक्शन टेकन रिपोर्ट भेजेंगे। उप अरण्यपाल वन शिमला को तय समय के भीतर एक सत्यापित प्रति भेजी जाए। राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति पीएस राणा ने संस्तुति आदेश जारी किए हैं।   

आयोग ने इस बारे में अपने अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक को जांच करने को भी कहा था। जांच अधिकारी की रिपोर्ट के बाद तमाम तथ्यों को जानने के बाद आयोग ने कहा है कि यह साबित हुआ है कि चार नवंबर 2021 को आठ बजे डाउनडेल शिमला में केदारनाथ का पांच वर्षीय पुत्र योगराज को एक तेंदुए ने उठाया। इसे बाद में इस तेंदुए ने उसे मारा। यह तथ्य साबित हो चुके हैं। इसमें मानवाधिकार अधिनियम की अवहेलना हुई। भारत के संविधान के अनुसार मानव जीवन का अधिकार मौलिक अधिकार है। मानवाधिकार आयोग की मानव जीवन के संरक्षण की भी कानूनी बाध्यता है। यह मानव जीवन और वन्य जीवन के बीच टकराव का भी मामला है। यह भी रिकॉर्ड में साबित हो चुका है कि चार लाख रुपये की धनराशि वन विभाग की ओर से बच्चे की मां को दी जा चुकी है। यह भी रिकॉर्ड में साबित हो चुका है कि जिस तेंदुए को वन विभाग की ओर से दो शावकों के साथ पकड़ा जा चुका है और राहत तथा पुनर्वास के लिए टूटीकंडी भेजा जा चुका है। वन विभाग की ओर से रिहाइशी इलाकों से 50 मीटर की दूरी तक झाड़ियां काटी जा चुकी हैं।