पत्नी ढूंढ रहा हूं मैं’ मंत्री जी का वायरल ट्वीट, Shaadi.com ने पूछा- ‘हम कर दें मदद?’

इंसान कुछ भी अच्छी उपलब्धि हासिल करता है या कुछ बुरा करता है, लोग इंटरनेट पर उसके बारे में जानकारी तलाशना शुरू कर देते हैं. नागालैंड में बीजेपी सरकार में शिक्षा और जनजातीय मामलों के मंत्री तेमजेन इम्ना अलॉन्ग (Temjen Imna Along) भी इस वक्त ऐसे लोगों की लिस्ट में शुमार हैं, जिनके बारे में इंटरनेट पर लोग जांच-पड़ताल में जुटे हैं. इसी सर्च में लोगों को तेमजेन की हाज़िरजवाबी के एक नहीं कई उदाहरण देखने को मिल गए.

तेमजेन की हाज़िरजवाबी के एक नहीं कई उदाहरण देखने को मिल गए. (Credit- Twitter)

पूर्वोत्तर के लोगों की छोटी आंखों को लेकर दिए गए एक होशियारी भरे जवाब के बाद लोग तेमजेन की बुद्धिमत्ता के कायल हो गए थे. फिर क्या था उनका जन्म, उम्र, कद, वजन, पढ़ाई-लिखाई और शादी के बारे में भी गूगल (Google Search for Temjen Imna Along) पर लोगों ने ढूंढना शुरू कर दिया. जब खुद नागालैंड के शिक्षा मंत्री की नज़र गूगल सर्च पर पड़ी तो उन्होंने एक और मज़ाकिया बातचीत शुरू कर दी, जो सुर्खियों में है.

‘मैं भी ढूंढ रहा हूं अपनी पत्नी’
दरअसल तेमजेन (Nagaland Minister Looking For Wife) ने अपने ट्विटर अकाउंट पर एक ट्वीट करते हुए बताया कि गूगल सर्च में उनका नाम डालने पर उनकी पत्नी के लिए भी सर्च रिजल्ट दिखा रहा है. अभी तक अविवाहित तेनजेन ने दिलचस्प कमेंट करते हुए लिखा कि वे खुद ‘पत्नी की तलाश’ में हैं.

तेमजेन के इस ट्वीट के बाद लोगों को पता चला कि वे अब तक शादीशुदा नहीं है. फिर क्या था इस Shaadi.com के संस्थापक अनुपम मित्तल ने मौके का फायदा उठाया और उन्होंने मंत्री जी के ट्वीट पर रिप्लाई करते हुए लिखा – अब ShaadiDotCom को ही कुछ करना पड़ेगा. ये दिलचस्प मामला यहीं नहीं रुका एक बार फिर नागालैंड के मंत्री जी अपने जवाब से लोगों का दिल जीत गए.

जनसंख्या दिवस पर कहा ‘Stay Single’ आंदोलन में शामिल हों
नागालैंड के मंत्री जी यूं ही ट्विटर के फेवरेट नहीं बने हैं. उन्होंने जनसंख्या दिवस के मौके पर भी लोगों को ओवर पॉपुलेशन से बचने का बेहद मजेदार समाधान दिया था. उन्होंने ट्वीट किया कि या तो आप जनसंख्या वृद्धि को लेकर संवेदनशील हो जाएं या फिर मेरी तरह सिंगल रहने के आंदोलन में शामिल होकर भविष्य के लिए अपना योगदान दीजिए. आज ही इस आंदोलन में शामिल हो जाएं.

तेमजेंग ने इससे पहले पूर्वोत्तर के लोगों की छोटी आंख को लेकर कहा था कि उनकी आंखें ज़रूर छोटी होती हैं, लेकिन साफ और दूर तक देख सकते हैं. उनकी आंखों में धूल भी कम जाती है और लंबे कार्यक्रम के दौरान आराम से सो भी सकते हैं और कोई जान नहीं पाता.