आजम खां ने कहा कि उपचुनाव हारें या जीतें, सरकार नहीं बदलेगी लेकिन इस चुनाव से यह मालूम हो जाएगा के रामपुर के लोगों की हिस(चेतना) जिंदा है या मर चुकी है।
सपा नेता आजम खां ने कहा कि 42 साल के राजनीतिक सफर में वो दस बार विधायक, एक-एक बार राज्यसभा व लोकसभा सदस्य रहे, चार बार प्रदेश सरकार में मंत्री बने तो नेता प्रतिपक्ष भी रहे लेकिन, दो माह में ही उनके और उनके अपनों के खिलाफ तमाम मुकदमे कायम कर दिए गए।
शाहबाद में सपा प्रत्याशी के समर्थन में सभा के दौरान आजम खां ने सभा में आए हुए एक बच्चे की ओर इशारा करते हुए कहा कि यही हमारी लड़ाई है कि यह बच्चा इस वक्त यहां नहीं होना चाहिए था। इसे मां की शिफक्त के साए में सोना चाहिए था। ताकि यह कल सुबह तैयार होकर स्कूल जाता। लेकिन यह बच्चा बेफिक्र बैठा हुआ क्योंकि इसकी उम्र नहीं है, फिक्र करने की। न इसके मां बाप को फिक्र है इसकी। यह बच्चा अपनी बर्बादी के लिए मौजूद है। मां-बाप इसकी बर्बादी को यहीं कहीं बैठे हुए देख रहे होंगे।
आजम खां ने कहा कि तिनके की हैसियत से बस मैंने इस नस्ल के हाथ मे कलम देने की कोशिश की। ताकि ये सड़को पर झाड़ू न लगाएं, टायर पंचर न जोड़ें, यह मोटरसाइकिल के मैकेनिक न बनें, यह लकड़ी के दस्तकार न बनें। हो सके तो यह डॉक्टर बने, इंजीनियर बने, साइंसदार बने एक अच्छे हिंदुस्तानी बनें।
आजम खां ने जेल का जिक्र करते हुए कहा कि वो सियाह रातें थीं। हम, हमारी बीवी और बेटा अब्दुल्ला तन्हा कोठरी में अलग-अलग थे। जेल की कोठरी की एक रात एक इतनी लंबी थी कि एक बरस की लगती थी। कहा कि उत्तर प्रदेश के दो लोकसभा सीटों के उपचुनाव हारे या जीते सरकार नहीं बदलेगी लेकिन, इस चुनाव से यह मालूम हो जाएगा के रामपुर के लोगों की हिस(चेतना) जिंदा है, या मर चुकी है।