मैंने ऐसा कभी नहीं देखा था… कैसे हुई अतीक की हत्या, मौके पर मौजूद रिपोर्टरों की आंखोंदेखी

प्रयागराज में कल रात हुए अतीक अहमद और अशरद की हत्या के बाद पूरे देश में माहौल गर्म है। यूपी में सुरक्षा के लिहाज से धारा-144 लागू कर दी गई है। जिस समय ये घटना हुई उस वक्त वहां कई पत्रकार मौजूद थे। उन पत्रकारों ने घटना की आंखों देखी बताई है।

 
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नई दिल्ली: माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अरशद का चैप्टर क्लोज हो चुका है। शनिवार रात प्रयागराज में तीन हमलावरों ने पुलिस की मौजूदगी में दोनों की हत्या कर दी। जब हमलावरों ने अतीक और अरशद पर अटैक किया, तब वो मीडिया से बात कर रहे थे, इस दौरान मौके पर तमाम मीडिया कर्मी और पुलिस वाले मौजूद थे। घटना का वीडियो भी सामने आया है। इस हत्याकांड के बाद पूरे प्रदेश में पुलिस अलर्ट मोड पर है। मौके पर मौजूद पत्रकारों ने पूरी आपबीती बताई है। आइए बताते हैं घटना के वक्त वहां मौजूद रिपोर्टरों ने क्या कहा?
‘मेरे हाथ को छूकर निकली गोली’
टाइम्स नाउ के रिपोर्टर शिव मौर्या बताते हैं कि घटना के वक्त वो मौके पर मौजूद थे। शिव अतीक और अरशद की बाइट अपने कैमरे में रेकॉर्ड कर रहे थे। तभी वहां गाड़ी रुकती है और फायरिंग शुरू होने लगती है। शिव ने कहा, ‘वहां ताबड़तोड़ फायरिंग हो रही थी। मेरे हाथ को छूकर भी एक गोली निकली। अतीक के पीछे कोई पुलिस वाला नहीं था, इसका हमलावरों ने फायदा उठाया। वहीं हॉस्पिटल के बाहर भी ज्यादा लोग नहीं थे। मैंने अपने एक साथी की जान बचाई, मैं उन्हे लेकर जमीन पर लेट गया और अपनी और उनकी जान बचाई।’
‘ऐसा लगा जैसे किसी ने पटाखे फोड़ दिए हों’
एक अन्य निजी न्यूज चैनल के रिपोर्टर ने बताया, ‘मैंने अपने लंबे करियर में ऐसा शूटआउट कभी नहीं देखा। हम हॉस्पिटल के बाहर अतीक और अरशद का आधे घंटे तक इंतजार कर रहे थे। जैसे ही अरशद और अतीक ने मीडिया के सामने बोलना शुरू किया, वहां तड़तड़ाती हुई आवाज आती है। ऐसा लगता है जैसे किसी ने पटाखे फोड़ दिए हों। अतीक के सिर पर पिस्टल से फायर होता है। गोलियों की आवाज सुनकर सब लोग पीछे कदम बढ़ाते हैं। पुलिस भी तितर-बितर हो जाती है। एक हमलावर लेफ्ट, दूसरा राइट और तीसरा सामने से हमला करता है। हमला करने के बाद हमलावर अपनी पिस्टल फेंक देते हैं और सरेंडर सरेंडर की आवाज लगाने लगते हैं।

‘पुलिस ने भी चलाई थी गोली’
एक अन्य पत्रकार शिवकुमार बताते हैं कि हमले के बाद पुलिस ने भी गोली चलाई, लेकिन निशाना चूक गया। पुलिस की फायरिंग से पहले ही तीनों हमलावरों ने हाथ खड़े करके सरेंडर कर दिया। हमले के बाद सब अपनी जान बचाने में लग गए, वो नहीं देख पाए कि पुलिस ने कितनी गोलियां दागी। उन्होंने कहा कि गोलियों की आवाज सुनकर वो पीटीआई के रिपोर्टर को सीने से छिपकाकर जमीन पर लेट गए। पीटीआई के रिपोर्टर बच्चों के पिता हैं इसलिए उनका बचना ज्यादा जरूरी है। वह खुद कुंवारे हैं इसलिए उन्हें गोली लग भी जाती है तो कोई बात नहीं।

‘मेरे साथी ने धक्का देकर मेरी जान बचाई’
घटना स्थल पर मौजूद पीटीआई पत्रकार पंकज श्रीवास्तव बताते हैं कि मेरे एक साथी ने मुझे नीचे धकेला और मेरी जान बचाई। उन्होंने कहा, ‘हम और कुछ और पत्रकार बाइट ले रहे थे। उसी वक्त कई राउंड फायरिंग हुई। अतीक और अशरफ जमीन पर गिर गए और मौके पर ही उनकी मौत हो गई। हम लोगों की भी चोट लगी है। कम से कम 15-20 राउंड गोली चली। मेरे सहयोगी शिव ने मुझे धकेल दिया, जिससे गोली मेरे ऊपर से निकल गई और मेरी जान बच गई।’