कहते हैं शुरुआत कैसी भी हो. लेकिन लाइफ़ आपको कहां से कहां ले जाएगी ये कोई नहीं जानता. और ये बात IAS दीपक रावत पर बिल्कुल फ़िट बैठती है. फ़ेसबुक पर फ़ैन क्ल्बस, यूट्यूब पर 4 मिलियन से ज़्यादा सबस्क्राइबर्स और अकसर न्यूज़ हेडलाइन्स में बने रहते हैं IAS दीपक रावत (IAS Deepak Rawat). उत्तराखंड में पला-बढ़ा एक आम लड़का जो आज असंख्य लोगों को मोटिवेट कर रहा है.
पिता ने पॉकेटमनी देना बंद कर दिया था
जनसत्ता के एक लेख के अनुसार, दीपक रावत का जन्म 24 सितंबर, 1977 को हुआ था. वे बारलोगंज, मसूरी, उत्तराखंड के रहने वाले हैं. दीपक रावत का जीवन संघर्षों से भरा रहा. उन्होंने मसूरी के सैंट जॉर्ज कॉलेज से स्कूली शिक्षा पूरी की और दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज से ग्रैजुएशन किया. एक लेख के अनुसार, जब वे 24 साल के थे तब पिता ने उन्हें खुद कमाने को कहा और पॉकेटमनी देना बंद कर दिया. जेएनयू से MPhil कर चुके रावत को 2005 में जेआरएफ के लिए सेलेक्शन हुआ और 8000 रुपये महीने मिलने लगे.
कबाड़ीवाला बनना चाहते थे
कहा जाता है कि जब दीपक 11वीं-12वीं में थे तब अधिकांश छात्र, इंजीनियरिंग या डिफ़ेंस में जाने की तैयारी कर रहे थे. दीपक की इन सब परिक्षाओं में रूचि नहीं थी. एक YouTube चैनल को दिए इंटरव्यू में दीपक रावत ने बताया कि उन्हें डिब्बे, खाली टूथपेस्ट के ट्यूब आदि जैसी चीज़ों में काफ़ी रूचि थी. जब लोग उनसे पूछते कि वो आगे चलकर क्या बनेंगे तो वो कहते, ‘कबाड़ीवाला’. दीपक रावत को लगता था कि कबाड़ीवाला बनने से अलग-अलग चीज़ों को एक्सप्लोर करने का मौका मिलेगा.
तीसरे अटेम्प्ट में UPSC क्लियर किया
पढ़ाई के दिनों में दीपक की मुलाकात कुछ बिहार के छात्रों से हुई. इन्हीं छात्रों से मिलने के बाद उन्होंने UPSC की तैयारी करने का निर्णय लिया. वे दो बार असफ़ल हुए लेकिन सिर पर सिविल सर्विसेज़ की धुन सवार हो चुकी थी. तीसरे प्रयास में उन्होंने UPSC क्लियर किया. साल 2007 में वे उत्तराखंड कैडर के IAS अफसर बने.