अगर इंसान चाहे तो सब कुछ संभव है.लक्ष्य को पाने की ललक इंसान को हर मुश्किल से लड़ जाने की ताकत देती है.जब ठान लिया जाए तो हर मुश्किल आसान और हर कठिनाई छोटी लगने लगती है लेकिन कठिनाई अगर अपने ही घर वाले खड़ी करने लगें तब इंसान समझ नहीं पाता कि आखिर वह सुने किसकी, अपने मन की या घर वालों की.निधि सिवाच भी तब समझ नहीं पाई थीं जब उनके और उनके लक्ष्य के बीच उनका परिवार खड़ा हो गया था.अपनी इस दुविधा का निवारण करने के लिए निधि ने अपनी जी तोड़ मेहनत को अपना हथियार बनाया.आइए जानते हैं कि कैसे निधि अपनी मुश्किलों से लड़ कर आईएएस बनी :
हरियाणा की छोरी IAS Nidhi Siwach
हरियाणा के गुरुग्राम में जन्मी निधि सिवाच ने 10 वीं के बाद इंजीनियरिंग में जाने का मन बनाया.इसके लिए इन्होंने खूब मेहनत की.इंटर के बाद निधि का दाखिला मैकेनिकल इंजीनियरिंग में हुआ.माना जाता है कि मैकेनिकल इंजीनियरिंग केवल लड़कों के लिए होती है लेकिन निधि ने इस बात को गलत साबित करते हुए मैकेनिकल में डिग्री प्राप्त की.इसके बाद उन्हें हैदराबाद की एक कंपनी में जॉब मिल गई.निधि हैदराबाद रह कर जॉब करने लगीं.जॉब में 2 साल का समय बिताने के बाद निधि के मन में आया कि वह इस जॉब के लिए नहीं बनी हैं उन्हें कुछ अलग करना है.निधि को देश की सेवा करनी थी, यही वजह रही कि उन्होंने एएफसीएटी की परीक्षा देने का मन बनाया.निधि ने परीक्षा दी और इसकी लिखित परीक्षा में पास भी हुईं.हालांकि जब निधि एसएसबी इंटरव्यू में पहुंची तब उन्हें कहा गया कि उन्हें डिफेंस की जगह सिविल सर्विसेज में जाने के बारे में सोचना चाहिए.निधि का सलेक्शन तो नहीं हुआ लेकिन यहां से उनकी ज़िंदगी को एक नई राह ज़रूर मिली, जो उन्हें आईएएस के पद तक ले जाने वाली थी.
जी जान से लग गईं तैयारी में
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अपने जीवन का सही लक्ष्य दिखते ही निधि पूरी मेहनत के साथ यूपीएससी की तैयारी में जुट गईं लेकिन जैसा कि हम सभी जानते हैं यह परीक्षा इतनी आसान नहीं है.तब तो यह परीक्षा और कठिन हो जाती है जब पता हो कि इसकी तैयारी बिना कोचिंग लिए खुद से ही करनी है.निधि भी खुद से ही इस कठिन परीक्षा की तैयारी कर रही थीं.दो बार वह इसमें नाकामयाब रहीं.निधि के हौसले तो अब भी मजबूत थे लेकिन उनके परिवार वालों का सब्र अब खत्म होने लगा था.उन्हें बेटी की शादी की चिंता सताने लगी.ऐसे में निधि पर शादी करने का दबाव भी डाला गया लेकिन उनके बार बार मनाने पर घर वाले इस शर्त पर माने तीसरा प्रयास उनका अंतिम प्रयास होगा.इसके बाद वह अगर सफल नहीं होतीं तो उन्हें शादी करनी पड़ेगी.निधि के पास दूसरा कोई रास्ता नहीं था.उन्होंने इस शर्त को मान लिया.
झोंक दी सारी ताकत
घर वालों की शर्त मानने के बाद निधि को यह बात पता थी कि उनके पास अब ज़्यादा समय नहीं है.इसी वजह से उन्होंने तैयारी में अपनी जान लगा दी.आपको यह जानकर हैरानी होगी कि यूपीएससी की तैयारी के लिए निधि ने खुद को 6 महीने तक अपने कमरे में बंद रखा.घर में रहते हुए भी उनका घर वालों से संवाद नहीं था.वह मानती हैं कि ऐसे समय में पारिवारिक बातें उनका ध्यान भटका रही थीं.वह सारा समय अपनी किताबों के साथ गुज़ारने लगीं.इस दौरान ना ही उन्होंने किसी तरह की कोई कोचिंग ली और ना ही सोशल ग्रुप में शामिल हुईं.आखिरकार निधि की मेहनत रंग लाई और उन्होंने अपने तीसरे प्रयास में ऑल इंडिया 83वां रैंक प्राप्त कर लिया.इसके साथ ही निधि का सपना पूरा हुआ और वह आईएएस बन गईं.