IAS उमाकांत उमराव: मध्य प्रदेश के देवास में 16000 तालाब बनवाकर किसानों की ज़िन्दगी बदल दी

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के किसान, पोप सिंह जब लोन लेने के लिए बैंक पहुंचे तो उन्हें बैंक से लगभग धक्के देकर ही बाहर कर दिया गया. पोप सिंह तालाब खुदवाना चाहते थे और इसी सिलसिले में बैंक लोन के लिए आवेदन करना चाहते थे. भारत में तालाब खुदवाने के लिए लोन कौन लेता है? मजबूर किसान करता भी तो क्या, इलाके में ऐसा भयंकर सूखा पड़ा हुआ था कि किसानों की फसल अक़सर बर्बाद ही हो जाती थी. किसान दाने-दाने का मोहताज हो गया था.

कभी बैंक से धक्के देकर निकाले गए पोप सिंह और सैंकड़ों अन्य किसानों की कहानी राज्य के लोगों के मुंहज़बानी याद हो गई है. लोगों के गपशप का दिलचस्प टॉपिक बन गई है.

और भला ऐसा क्यों न हो एक दशक में देवास, मध्य प्रदेश (Dewas, Madhya Pradesh) का सूखाग्रस्त क्षेत्र में अब हरियाली से भर गया है. जहां कभी लोग पीने के पानी के मोहताज थे वहां अब फसल लहराती है. और ये सबकुछ संभव हुआ है सिर्फ़ एक शख़्स की बदौलत, IAS अफ़सर उमकांत उमराव (IAS Officer Umakant Umrao)

पानी की बचत के लिए तालाब खोदना शुरु किया

IAS Umakant Umrao Dewas Model of Water Conservation

IAS अफ़सर उमाकांत उमराव ने पानी बचाने के लिए देवास में तालाब खोदना शुरु किया. IAS उमाकांत उस समय देवास के कलेक्टर थे. उन्होंने बरसात के पानी को जमा करने के लिए तालाब खुदवाना शुरु किया.

देवास में आज 60-80 एकड़ में 16000 से ज़्यादा तालाब हैं.

IAS umakant umrao dewas water conservation model

 से बात-चीत में IAS उमराव ने बताया, “जब मैं देवास का ज़िला कलेक्टर बनकर पहुंचा तो मुझे किन क्षेत्रों पर ज़्यादा फ़ोकस करना है इसका प्लान तैयार था. देवास पहुंचकर पता चला कि इलाके में एक बड़ी समस्या व्याप्त है. बीते तीन सालों से बारिश कम हुई थी. पहले हफ़्ते में मेरी जितनी मीटिंग हुई सबमें पानी की कमी पर ही चर्चा हुई. देवास शायद देश का पहला ज़िला था जहां ट्रेन से पानी पहुंचाया गया. ये लातूर से काफ़ी पहले की बात है.”

IAS उमराव के पास सबसे बड़ी चुनौती थी कम लागत में ज़्यादा मुनाफ़ा वाला प्लान लाना. उन्हें इसका हल भी मिल गया और उसी की बदौलत

आज देवास में 16000 से ज़्यादा तालाब हैं जिनसे 1000 से ज़्यादा किसान सालाना 25 लाख से ज़्यादा की कमाई कर रहे हैं.

देवास में सिंचित भूमि भी 18000 हेकटेयर से बढ़कर 4 लाख हेकटेयर से ज़्यादा हो गई है.

IAS उमराव का देवास मॉडल

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IIT रुड़की ग्रैजुएट IAS उमराव ने अर्थशास्त्र की भी शिक्षा प्राप्त की है. 2006 में IAS उमराव ने 40 किसानों के साथ देवास प्लान शुरु किया. इंजीनियर और किसान के बेटे IAS उमराव किसानों की समस्या को ज़मीनी स्तर पर समझ रहे थे. इसलिए अपने प्लान को अमल में लाते समय उनके दिमाग़ में ये बात भी थी कि तालाब से भी किसानों को मुनाफ़ा हो. उनका आईडिया था कि बड़े किसान अपनी ज़मीन के 1/10वें या 1/20वें भाग में तालाब बनवाएं. इन तालाबों में इकट्ठा किया गया पानी से न सिर्फ़ बड़े किसानों को बल्कि छोटे किसानों को भी लाभ होगा. पानी की लागत का अनुमान लगाने के बाद उन्होंने किसानों के सामने तालाब बनवाने का प्रस्ताव रखा.

IAS उमराव ने जल बचाओ, जीवन बचाओ के नारे को बदलकर जल बचाओ, मुनाफ़ा कमाओ किया

IAS umakant umrao

IAS उमराव ने कहा, “बड़े किसान क्षेत्र का 90 प्रतिशत पानी इस्तेमाल कर लेते हैं और उन्हें भूमिजल स्तर बढ़ाने के लिए प्रेरित करना पानी बचाने का बहुत सटीक तरीका है. ये कुछ ऐसा ही है कि जिस भूमि से वो बरसों से पानी लेते आ रहे हैं अब वो वापस भूमि को लौटाया जाए. बड़े किसान तालाब बनाने में निवेश कर सकते थे और छोटे किसानों के लिए रोल मॉडल भी बन सकते थे.”

रास्ते में आई कई मुश्किलें

IAS Officer Umakant Umrao Dewas Water Conservation Model

IAS उमराव ने बताया कि उनके रास्ते में कई मुश्किलें भी आईं और सबसे पहली समस्या थी बैंक लोन की. पोप सिंह को उन्होंने ही बैंक से लोन लेने के लिए भेजा था. बाद में एक बैंक 17-18 प्रतिशत बयाज पर लोने देने के लिए तैयार हो गया. पोप सिंह ने कुछ सालों में न सिर्फ़ लोन चुका दिया बल्कि उसे सालाना 40 लाख तक का मुनाफ़ा भी हुआ.

IAS उमराव की कोशिशों की बदौलत किसानों की क़िस्मत बदल गई. कच्चे मकानों की जगह पक्के घर बन गए. इसके साथ ही इलाके की जलवायु भी पहले से बेहतर हो गई. देवास की सफ़लता को मध्य प्रदेश राज्य और यहां तक कि UN ने भी पहचाना.