अमरनाथ यात्रा से पहले आईईडी और हथियारों की तस्करी ने बढ़ाई चिंता – प्रेस रिव्यू

सुरक्षाबल

इमेज स्रोत,GETTY IMAGES

अमरनाथ यात्रा से पहले जम्मू-कश्मीर में विस्फोटक उपकरण (आईईडी) और पिस्तौलों की तस्करी ने सुरक्षा बलों की चिंता बढ़ा दी है.

जम्मू-कश्मीर में यूं भी बीते कुछ दिनों से पुलिसकर्मियों, सुरक्षाबलों, अल्पसंख्यक समूह के लोगों और सोशल मीडिया यूज़र्स पर हमले बढ़े हैं.

द इकोनॉमिक टाइम्स की ख़बर के अनुसार, आईईडी और पिस्तौलों की तस्करी को संभावित ख़तरे के रूप में देखा जा रहा है. ख़ासतौर पर तब, जब जून के अंतिम सप्ताह में अमरनाथ यात्रा शुरू होने जा रही है.

कोरोना काल के बाद एक बार फिर यात्रा शुरू हो रही है. यह यात्रा 43 दिनों की होगी.

इकोनॉमिक टाइम्स की ख़बर के अनुसार, उम्मीद जताई जा रही है कि इस बार यात्रा में छह से आठ लाख तीर्थयात्री हिस्सा लेंगे. ये संख्या अमरनाथ यात्रा के इतिहास में सर्वाधिक हो सकती है.

इकोनॉमिक टाइम्स ने अधिकारियों के हवाले से लिखा है कि अमेरिका में बनी कैनिक-टीपी9 समेत पिस्तौलों की एक बड़ी खेप की घाटी के अलग-अलग हिस्सों में तस्करी की गई है और इसका मक़सद ख़ौफ़ पैदा करना है.

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के हवाले से अख़बार लिखता है कि अल्पसंख्यक समुदाय, ऑफ़-ड्यूटी पुलिस वालों और सोशल मीडिया पर मशहूर लोगों पर हमले से, चरमपंथियों को सरकार के ‘घाटी में शांति’ के नैरेटिव को प्रभावित करने में मदद मिल रही है.

अख़बार के मुताबिक़, सुरक्षाबलों ने इस साल 94 से अधिक चरमपंथियों को मारा है. इसके अलावा कई चरमपंथी नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ़्तार किया गया है. इस दौरान 17 आम लोग भी मारे गए हैं.

कश्मीरी पंडित

इमेज स्रोत,ANI

छोड़कर पॉडकास्ट आगे बढ़ें

पॉडकास्ट
पॉडकास्ट
ड्रामा क्वीन

बातें उन मुश्किलों की जो हमें किसी के साथ बांटने नहीं दी जातीं…

ड्रामा क्वीन

समाप्त

जम्मू-कश्मीर : प्रशासन और कश्मीरी पंडितों के बीच झड़प

जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडित शिक्षिका की हत्या के बाद से तनाव का माहौल है. जम्मू-कश्मीर में विरोध कर रहे कश्मीरी पंडितों और प्रशासन के बीच बुधवार को झड़प की ख़बरें हैं.

द हिंदू अख़बार की ख़बर के अनुसार, घाटी में कश्मीरी पंडित लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

अख़बार के मुताबिक़, कश्मीरी पंडितों को सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं थी. साथ ही साल 2008 के प्रधानमंत्री पुर्नवास पैकेज के तहत नियुक्त किए गए कश्मीरी पंडितों को घाटी छोड़कर जाने से रोक दिया गया. जिसके बाद प्रशासन और प्रदर्शन कर रहे लोगों के बीच झड़प हो गई.

द हिंदू की ख़बर के अनुसार, चार हज़ार से अधिक कश्मीरी पंडितों ने घाटी छोड़कर जाने की धमकी दी है. उन्होंने बड़े-बड़े जत्थों में घाटी छोड़कर जाने का फ़ैसला किया है. उनके इस फ़ैसले की घोषणा अलग-अलग ट्रांज़िट कैंप के नेताओं ने की है.

श्रीनगर के इंदिरा नगर इलाके में रहने वाले एक कश्मीरी पंडित कर्मचारी ने अख़बार को बताया, “मंगलवार को पुलिस ने किसी भी कश्मीरी पंडित कर्मचारी को अपनी जगह छोड़कर जाने से रोक दिया.”

द हिंदू की ख़बर के अनुसार, कश्मीरी पंडित बीते कुछ दिनों से लगातार सुरक्षा की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

प्रोफ़ेसर ख़ालिद

इमेज स्रोत,ANI

अलीगढ़ के कॉलेज प्रोफ़ेसर को खुले में नमाज़ पढ़ने के कारण छुट्टी पर भेजा गया

अलीगढ़ के एक प्राइवेट कॉलेज के प्रोफ़ेसर को खुली जगह पर नमाज़ पढ़ने के ‘आरोप’ में छुट्टी पर भेज दिया गया है.

इंडियन एक्सप्रेस ने अधिकारियों के हवाले से लिखा है कि कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें प्रोफ़ेसर एसके ख़ालिद को श्री वार्ष्णेय कॉलेज में एक खुले बगीचे में नमाज़ अदा करते देखा जा सकता है.

अख़बार के मुताबिक़, वीडियो जब सोशल मीडिया पर वायरल हुआ उसके बाद कॉलेज के अधिकारियों ने इस पर संज्ञान लेते हुए एक एक पैनल का गठन कर दिया.

इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के अनुसार, जैसे ही वीडियो वायरल हुआ, भारतीय जनता पार्टी और युवा मोर्चा समेत कई दक्षिणपंथी संगठनों ने प्रोफ़ेसर ख़ालिद और कॉलेज के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन किया.

कॉलेज के प्रिंसिपल एके गुप्ता ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि जिस समय का यह मामला है, उस समय वह छुट्टी पर थे.

उन्होंने अख़बार को बताया, “जिस समय यह घटना हुई मैं छुट्टी पर था. छुट्टी से वापस आकर मैंने मामले के बारे में जानकारी ली. प्रोफ़ेसर ख़ालिद ने बताया कि वो लेट हो रहे थे और इसलिए उन्होंने कॉलेज के पार्क में ही नमाज़ पढ़ ली. मामले की पूरी जानकारी के लिए जांच शुरू हो रही है. इसके लिए एक पैनल का गठन किया गया है और पैनल की जांच के आधार पर ही कार्रवाई की जाएगी.”

रविवार को पैनल का गठन किया गया और उम्मीद है कि इस सप्ताह ही पैनल अपनी रिपोर्ट सौंप देगा.

एके गुप्ता ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि पैनल तय करेगा कि इस मामले में माफ़ी की ज़रूरत है या नही.

वही दक्षिणपंथी संगठनों का कहना है कि कॉलेज परिसर का उपयोग नमाज़ आदि धार्मिक गतिविधियों के लिए नहीं किया जाना चाहिए.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक़ इस संबंध में कोई एफ़आईआर दर्ज नहीं की गई है.