उड़ीसा (Odisha) के पुरी पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी का पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को लेकर एक बड़ा बयान सामने आया है। जगतगुरु शंकराचार्य ने संकेत देते हुए कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी कूटनीति में तो माहिर हैं, लेकिन दो बातों में अभी वे कमजोर हैं। नरेंद्र मोदी के पास अभी तक गौ रक्षा और हिंदू धर्मांतरण को मिल रहे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष प्रोत्साहन के खिलाफ कोई प्रकल्प नहीं है।
अगर नरेंद्र मोदी गौ रक्षा का मार्ग प्रशस्त करने के साथ-साथ धर्मांतरण करने वालों को मानवाधिकार की सीमा में दंड का पात्र समझते हैं तो निश्चित तौर पर वे एक बार फिर भारत (India) के प्रधानमंत्री होगें। स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने अपने मंडी (Mandi) जिला के तीन दिवसीय प्रवास के दौरान सुंदरनगर में आयोजित प्रेसवार्ता में कहा कि नरेंद्र मोदी ने शपथ ग्रहण करने से पूर्व उनके पास पुरी में बैठ कर कम से कम बार भूल करने का आशीर्वाद मांगा था। गौ हत्या के काले कलंक को प्रोत्साहन और हिंदू धर्मांतरण के खिलाफ कड़ी कार्रवाई को लेकर कार्य योजना बनाकर नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री के तौर पर माने जाएंगे।
स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि शासन तंत्र की शालीनता के कारण हिंदुओं का धर्मांतरण किया जाता है। शासन तंत्र की हिंदुओं का धर्म परिवर्तन कर उन्हें अल्पसंख्यक बनाने की कूटनीति होती है। उन्होंने कहा कि सनातन सिद्धांत दर्शन, विज्ञान और व्यवहार की दृष्टि से परम उत्कृष्ट है। सनातन धर्म में पाई जाने वाली विभिन्न समाजिक व्यवस्थाएं इतनी उत्तम है कि कोई भी समझदार व्यक्ति सनातन सिद्धांत को छोड़कर धर्म परिवर्तन नहीं करना चाहेगा।
स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि विवाह पर ही देश की संस्कृति के साथ आदर्श और अस्तित्व निर्भर करता है। समलैंगिक विवाह देश के अस्तित्व को विलुप्त करने वाला षड्यंत्र के अलावा मनोवैज्ञानिक दृष्टि से भी एक विसंगति है। समलैंगिक विवाह के पक्षधर न्यायाधीश से एक प्रश्न उठता है कि क्या उनका भी विवाह समलैंगिक हुआ है। अगर उनका विवाह समलैंगिक नहीं हुआ है तो वे दूसरों को इसकी चपेट में लाकर देश की संस्कृति को विकृति का रूप दे रहे हैं। शंकराचार्य ने कहा कि समलैंगिक विवाह संबंध को लेकर कहीं से भी कोई बात उठती है तो वह अनुचित और दिशाहीनता की परिकाष्ठा है।
देश में स्मार्ट सिटी के बढ़ रहे प्रचलन पर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि महायंत्रों द्वारा ही महानगरों की संरचना होती है और महानगर में शुद्ध मिट्टी, पानी, हवा सहित अन्य समाजिक जरूरतों की पहुंच नहीं है। उन्होंने कहा कि स्मार्ट सिटी से विकास के नाम पर मनुष्य को सिर्फ भोजन करने और संतान उत्पन्न करने का यंत्र बना देना दिशाहीनता की परिकाष्ठा है। शंकराचार्य ने कहा कि स्मार्ट सिटी से वन,गांव और संयुक्त परिवार की समाप्ति मनुष्य जीवन की सार्थकता ही विकास के नाम पर विलुप्त करने का षड्यंत्र है।