प्रैशर हॉर्न लगवाना लीगल नहीं है, ऐसे में आपका चालान कट सकता है.
नई दिल्ली. इन दिनों गाड़ी में अलग अलग तरह के मॉडिफिकेशंस का चलन चल रहा है. लोग अपनी कारों व बाइक को अलग दिखाने के लिए लगातार एक्सपेरिमेंट्स कर रहे हैं. इसमें से कुछ एक्सपेरिमेंट्स या कहें मॉडिफिकेशंस ऐसे भी हैं जो कानूनी तौर पर वैध नहीं हैं. आसान भाषा में ऐसे मॉडिफिकेशंस कर आप अपनी गाड़ी को रोड लीगल नहीं रहने देते हैं. आरटीओ और ट्रैफिक पुलिस इन गाड़ियों का चालान कर सकते हैं. साथ ही इसमें अलग अलग सजा का प्रावधान भी है.
इन दिनों देखने में आया है कि लोग अपनी गाड़ियों में प्रैशर हॉर्न का इस्तेमाल करने लगे हैं. ये हॉर्न नॉइस पॉल्यूशन बढ़ाते हैं, साथ ही आरटीओ की तरफ से ये बैन भी हैं. इसके लिए जरूरी है कि हम जान लें कि ऐसा करने पर क्या सजा के प्रावधान हैं और इनसे बचने के लिए हम क्या कर सकते हैं.
क्या होता है प्रैशर हॉर्न
प्रैशर हॉर्न तेज आवाज क्रिएट करते हैं. देश में नॉइस लेवल को लेकर लगातार चर्चा चलती रही है. वहीं इसको लेकर नियम भी बना हुआ है. ये 40 डेसिमल से ज्यादा नहीं होना चाहिए. वहीं प्रैशर हॉर्न का डेसिमल पॉइंट 120 से ज्यादा जाता है. ये न केवल ध्वनी प्रदूषण करता है, बल्कि किसी व्यक्ति की तबियत भी खराब कर सकता है. ऐसे में इन हॉर्न को लगवाना न केवल आपके लिए भारी पड़ेगा बल्कि दूसरों की सेहत को भी नुकसान पहुंचाएगा.
क्या है प्रावधान
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प्रैशर हॉर्न लगाने पर आपका 1 हजार रुपये का चालान कट सकता है.
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रेग्युलर ऑफेंडर का लाइसेंस भी सस्पेंड किया जा सकता है.
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वहीं आपकी कार या मोटरसाइकिल को जब्त किया जा सकता है.
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मामला कोर्ट तक पहुंचने पर 3 महीने तक की सजा भी हो सकती है.