विराट कोहली, रोहित शर्मा और केएल राहुल को रन मशीन बने रहना है तो सूर्यकुमार यादव से कुछ सीख लें

भारतीय टीम के टॉप-3 बल्लेबाजों विराट कोहली, रोहित शर्मा और केएल राहुल के लिए 2022 बहुत अच्छा नहीं रहा, लेकिन सूर्यकुमार यादव के रूप में एक शानदार बल्लेबाज मिला। वह अपनी बेखौफ बैटिंग से विश्व पटल पर छा गए।

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नई दिल्ली: इंग्लैंड ने ब्रेंडन मैकुलम के कोच बनते ही टेस्ट खेलने के अप्रोच को भी बदला। रिजल्ट ये रहा कि बेन स्टोक्स की कप्तानी में टीम नए मुकाम हासिल कर रही है। कुछ ऐसा ही करने की तैयारी टीम इंडिया की भी थी। कप्तान रोहित शर्मा लगातार कहते रहे कि टीम आक्रामक खेलने की कोशिश कर रही है। इस चक्कर में वह कई बार जल्दी आउट भी हुए तो केएल राहुल की रफ्तार पर कभी कोई असर नहीं दिखा। विराट कोहली ने जरूर कुछ धमाके किए, लेकिन जो काम सूर्यकुमार यादव ने किया उससे टीम इंडिया के टॉप-3 बल्लेबाजों को सीखने की जरूरत है।

सूर्यकुमार यादव की बैटिंग में एक निडरता दिखी, जिसके लिए कभी रोहित शर्मा और विराट कोहली जाने जाते थे। आईसीसी इवेंट 2019 वनडे वर्ल्ड कप में रोहित शर्मा ने कमाल का प्रदर्शन किया था। रिकॉर्ड 5 शतक जड़े थे, वह भी ऐसे कि दुनिया देखते रह गई थी। लेकिन पिछले वर्ष जो कुछ हुआ वह एक तरह से उनके कद का पतन था। विराट कोहली, रोहित शर्मा और केएल राहुल कभी फुटवर्क से जूझते दिखे तो कभी वो माइंडसेट का शिकार बने। तकनीक के जमाने में गेंदबाजों के आगे एक्सपोज हुए।

सूर्यकुमार यादव की बात करें तो उनके टीम में आने से एक नई तरह की एनर्जी दिखी। वह किसी भी क्रम पर किसी भी परिस्थिति में किसी भी गेंदबाज पर हावी होना जानते हैं। वह एक ही गेंद पर कई तरह के शॉट खेल सकते हैं। यह उनका सबसे बड़ा हथियार है। यह बात गेंदबाज भी जानता है तो उस पर अतिरिक्त दबाव होता है। दूसरी ओर, विराट कोहली ऑफ स्टंप से बाहर निकलती गेंद पर एक्सपोज हुए तो रोहित शर्मा अपने पसंदीदा पुल शॉट को मारने में कई बार आउट हुए। केएल राहुल का हाल भी कुछ ऐसा ही रहा।

सूर्या की बैटिंग में बैलेंस है। उनके हर शॉट में विश्वास दिखता है। अधिकांश भारतीय खिलाड़ियों के विपरीत सूर्या मैदान में अपनी मुस्कराती मुस्कान और स्वागत करने वाला आकस्मिक व्यवहार लेकर आते हैं। उनका आत्मविश्वास कभी गिरता नहीं दिखा। न तो केएल राहुल की तरह उनके कंधे झुके दिखे। बड़े टूर्नामेंट में भारत को ऐसे खिलाड़ियों की जरूरत है, जो सफलता और असफलता को एक समान मान सकें और अतीत को मिटाकर आगे देखने की क्षमता रखते हों।
सूर्या का खेल के प्रति दार्शनिक रवैया काफी हद तक उनके 2010 में रणजी में पदार्पण के बाद से किए गए संघर्ष से जुड़ा हुआ है। उन्हें भारतीय ड्रेसिंग रूम तक पहुंचने में एक दशक लग गया। उन्हें कई बार बताया कि नेशनल टीम में वह जल्द एंट्री मारेंगे, लेकिन एक समय वह भी आया जब उन्होंने इस पर विश्वास करना बंद कर दिया। घरेलू क्रिकेट की गुमनामी को समाप्त करते हुए अपने ठोस प्रथम श्रेणी ग्राउंडिंग के बाद उन्होंने 14 शतक बनाए हैं। यह आईपीएल ही था जिसने सूर्यकुमार यादव को आज का SKY बना दिया।

अब जब वह विश्व पटल पर छाए हुए हैं तो उनसे भारत के टॉप-3 बल्लेबाज बहुत कुछ सीख सकते हैं। हालांकि, ऐसा नहीं कि वे सूर्यकुमार के स्ट्रोक्स को फॉलो करें। कोई बल्लेबाज ऑफ स्टंप के बाहर पिच की गई गेंदों को लेग की ओर उनके जैसा नहीं खींच सकता और न किसी बेहतरीन गेंद को उनकी तरह सफाई से स्कूप कर सकता है। हां, यह जरूर सीख सकता है कि सूर्य की तरह पहली गेंद को स्वीप करना शुरू नहीं करना चाहिए या कवर के ऊपर से ऊपर की ओर दुस्साहसी तरीके से लिफ्ट करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।

सूर्या ने एक-दो दिन में यह कला नहीं सीखी है। इसके लिए वह कई बार चोटिल हुए हैं। घंटों नेट पर उन्हीं कलात्मक शॉट्स की प्रैक्टिस की है। सबसे बड़ी बात यह है कि वह रिस्क लेते हैं, लेकिन जब कोई बल्लेबाज टी-20 को टेस्ट की तरह खेलेगा तो टीम का बेड़ा गर्क हो ही जाएगा। नए वर्ष में रोहित को पुराने दिनों की तरह मैदान पर कूल रहना चाहिए तो विराट को और अधिक निश्चिंत होना चाहिए। केएल राहुल को खुद पर से दबाव को खत्म करना चाहिए। अगर ऐसा हुआ तभी वे सूर्या की तरह चमक सकेंगे और एक बार फिर रन मशीन बन सकेंगे।