‘हथियार बेचते हैं तो रखरखाव भी हमारी जिम्मेदारी’, पाकिस्तान के साथ F16 डील पर अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन की सफाई

Antony Blinken Pakistan: भारत और अमेरिका के विदेश मंत्री ने मंगलवार को मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद दोनों नेताओं ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस की। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से प्रेस कॉन्फ्रेंस में पाकिस्तान के साथ F16 डील से जुड़ा सवाल पूछा गया। इस पर उन्होंने कहा कि हम जिसे हथियार बेचते हैं उसका रखरखाव भी करते हैं।

वाशिंगटन: अमेरिका ने पाकिस्तान को एफ-16 लड़ाकू विमान के बेड़े के रखरखाव के लिए 45 करोड़ डॉलर की वित्तीय सहायता को मंजूरी देने के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि ‘‘स्पष्ट’’ आतंकवादी खतरों से निपटने की इस्लामाबाद की क्षमता बढ़ाने के लिए विमानों का ‘रखरखाव’ सुनिश्चित करने के वास्ते सैन्य उपकरण उपलब्ध कराना ‘‘हमारा दायित्व’’ है। इस महीने की शुरुआत में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसले को पलटते हुए पाकिस्तान को एफ-16 लड़ाकू विमान के बेड़े के रखरखाव के लिए 45 करोड़ डॉलर की वित्तीय सहायता को मंजूरी दी थी।

अमेरिका की यात्रा पर आए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस फैसले पर सवाल उठाया था। अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने इस मुद्दे पर सवालों के जवाब में कहा, ‘‘यह पाकिस्तान के पास लंबे समय से मौजूद एफ-16 के लिए रखरखाव से संबंधित है। इनमें कुछ नया नहीं है, बल्कि उसके (पाकिस्तान के) पास जो मौजूद है उसे बरकरार रखा जा रहा है। हमारी जिम्मेदारी और दायित्व है कि हम जिसे सैन्य उपकरण उपलब्ध कराएं, उसका रखरखाव भी किया जाए। यह हमारा दायित्व है।’’

बातचीत से हल हों मतभेद- अमेरिका
जयशंकर के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में ब्लिंकन ने कहा, ‘‘पाकिस्तान से ही पैदा होने वाले आतंकवाद के स्पष्ट खतरे हैं और चाहे तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान हो, चाहे आईएस या अल-कायदा, मुझे लगता है कि खतरे स्पष्ट हैं और यह सुनिश्चित करने में हम सभी का हित है कि हमारे पास उनसे निपटने के साधन हों।’’ ब्लिंकन ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी से बातचीत करने के एक दिन बाद कहा कि अमेरिका अपने मित्रों को अपने मतभेद कूटनीति, संवाद के जरिये हल करने के लिए प्रेरित करता है।

ऊर्जा कीमतें भारत की कमर तोड़ रहा
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संयुक्त प्रेस कॉनफ्रेंस में ऊर्जा का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि ऊर्जा का बाजार बहुत महंगा है। इसे कम करने की जरूररत है। उन्होंने कहा कि विकासशील देशों के लिए ऊर्जा की आपूर्ति करना एक बड़ी समस्या बनता जा रहा है।