देश की राजधानी दिल्ली में समोसे खूब खाए जाते हैं. हलवाइयों की दुकानों और खाने-पीने के आउटलेट पर आपको समोसे और कचौड़ी ज़रूर मिल जाएंगी. इनके साथ आलू की चटपटी सब्जी और मीठी-तीखी चटनी मिलना आम है. लेकिन, आज हम आपको खास समोसा खिलाने के लिए ले चल रहे हैं. इस समोसे में भरे गए ड्राई फ्रूट्स व मसालेदार आलू एक अलग ही स्वाद बनाते हैं. साथ में स्पेशल लाल व हरी चटनी समोसों के स्वाद में और इजाफा कर देती हैं. यहां की कचौड़ी भी शाही है. उसका स्वाद छोले की सब्जी के साथ बनता है. अपनी इस डिश के कारण ये दुकान खासी फेमस है. जहां यह दुकान है, वह इलाका भी खास है. लोग इनके समोसे-कचौड़ी पैक करवाकर ले जाते नजर आ जाएंगे.
नेताओं, अफसरों को खूब भाता है यह समोसा
नॉर्थ दिल्ली में दिल्ली विधानसभा विशेष मशहूर है. यहां दिल्ली सरकार के विधानसभा सेशन लगातार चलते रहते हैं. इस इलाके के आसपास दिल्ली सरकार के कई कार्यालय भी मौजूद हैं, जिस कारण यहां चहल-पहल रहती है. इसी विधानसभा के पीछे कॉर्नर पर ‘उत्तम समोसा जंक्शन’ नाम से यह मशहूर दुकान है. कोरोना काल से पूर्व तो इस दुकान पर हमेशा मजमा लगा रहता था, अब थोड़ा कम है लेकिन समोसा चाहने वाले कम नहीं हुए हैं. जब विधानसभा का सेशन होता है तो नेता और अधिकारी इसी दुकान से समोसा मंगवाते हैं. आसपास के कार्यालयों में जब कोई कार्यक्रम होता है तो मैन्यू में ये समोसा शामिल रहता है. शाम को जब कार्यालय छूटते हैं तो सरकारी लोग यहां से समोसा पैक करवाकर ले जाते हुए नज़र आते हैं.
काजू, बादाम, किशमिश और भी बहुत कुछ है समोसे में
मतलब साफ है कि इनका समोसा खास है. खास हो भी क्यों न, इसमें ड्राई फ्रूट्स के अलावा मसालेदार आलू का स्टफ भी भरा जाता है, जिसमें साबुत कुटा धनिया भी अपनी रंगत जमाता है. ड्राई फ्रूट्स में कटे हुए काजू, बादाम, किशमिश और कुतरे गए सूखे छुहारे और नारियल शामिल हैं. इस दुकान की विशेषता यह है कि यहां समोसे एकदम गरमा-गर्म ही मिलेंगे. उतने ही समोसे तले जाते हैं, जितनी मांग होती है, इसलिए कड़ाही हर वक्त गर्म रहती है. समोसों के साथ लाल चटनी में कुटे हुए मसाले, अनारदाना व केले के टुकड़े डाले जाते हैं तो हरी चटनी को हरा धनिया, पुदीना, टमाटर, हरी मिर्च व दही डालकर बनाया जाता है. 40 रुपये का एक गर्म समोसा और ये दो तरह की चटनी मजा बांध देती है.
गरमा-गर्म कचौड़ी और रसगुल्ले का भी लें मजा
इनकी दुकान की कचौड़ी भी खासी मशहूर है. उसमें उड़द की दाल की मसालेदार पिट्ठी भरी जाती है. मंदी आंच पर देर तक तलने के बाद जब यह कचौड़ी छोले की सब्जी और चटनी के साथ परोसी जाती है तो दिल और जुबान को सुकून पहुंचा देती है. इसकी कीमत 30 रुपये प्रति पीस है. अगर चटपटा खाकर अगर आपको मीठा खाने का मन है तो गरमा-गर्म गुलाब-जामुन भी खा सकते हैं. काले और मक्खन की तरह मुलायम 25 रुपये का रसगुल्ला मुंह में मीठी-मीठी तरावट फैला देगा. दुकान के ये आइटम कनोला ऑयल में फ्राई किए जाते हैं.
इन व्यंजनों का 28 साल से लोग ले रहे हैं लुत्फ
इस दुकान को करीब 28 साल पहले विनेश अग्रवाल ने शुरू किया था. वह शामली (पश्चिमी उत्तर प्रदेश) के खानदानी हलवाई थे. दिल्ली आए तो समोसे और अन्य सामान तलकर बेचना शुरू कर दिया. कुछ साल बाद सिर्फ ड्राई फ्रूट समोसा, कचौड़ी और गुलाब जामुन पर नज़रें टिका लीं. अब सालों से यही आइटम बिक रहा है.
आज उनके साथ तीन बेटे मधुराज, अश्विनी व रवि भी हाथ बंटाते हैं. उनका कहना है कि ताजा और गर्म माल ही हमारी पहचान है, इसलिए सरकारी अधिकारी भी हमारे माल को पसंद करते हैं. इन आइटम में 40 तरह के मसाले कूटकर डाले जाते हैं, जिससे स्वाद बन पड़ता है. सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक यहां मजमा लगता है. रविवार को अवकाश रहता है.