कोरोना वायरस और ब्लैक फंगस के बीच अब मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम संक्रमण भी हिमाचल में आ गया है। आईजीएमसी में अब तक इस बीमारी से 18 बच्चे एडमिट हाे चुके हैं। सभी बच्चे पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट में एडमिट किए गए हैं। रोजाना इस संक्रमण के केस आईजीएमसी पहुंच रहे हैं। चिकित्सक इन बच्चाें पर लगातार निगरानी बनाए हुए है। बार-बार इनकी सैंपलिंग की जा रही है कि संक्रमण किस तरह से बढ़ रहा है। ये संक्रमण बच्चों में ही फैल रहा है और इसकी चपेट में वाे बच्चे आ रहे हैं जाे पहले काेराेना पॉजिटिव हाे चुके हैं। सभी बच्चे कोरोना संक्रमण होने के चार से छह सप्ताह बाद बच्चे इस बीमारी से संक्रमित हाे रहे हैं। बच्चे के संक्रमित हाेने के बाद यह उनके हार्ट, गुर्दे और लीवर पर प्रभाव पड़ रहा है। आईजीएमसी के प्रशासनिक अधिकारी डाक्टर राहुल गुप्ता ने इसकी पुष्टि की है।
काेविड वाले बच्चाें में हाे रहा संक्रमण
मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम उन्हीं बच्चाें काे अपनी चपेट में ले रहा है जिन्हें पहले भी कोविड हाे चुका है। आईजीएमसी में एडमिट इन 18 बच्चों में ऐसे बच्चे भी हैं जिन्हें कोविड के लक्षण आए थे, मगर परिजनाें ने टेस्ट नहीं करवाया। ऐसे में वह भी संक्रमित हुए हैं । आईजीएमसी में जब परिजनों से बच्चों की हिस्ट्री पूछी गई ताे उन्होंने इसके बारे में बताया। हालांकि किसी एक क्षेत्र से यह बच्चे नहीं आए हैं, अगल-अलग क्षेत्रों से इन बच्चाें काे यहाँ रेफर किया गया है। मगर मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम की पुष्टि आईजीएमसी में टेस्ट के बाद ही हुई है।
यह है लक्षण
मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम बच्चों में लगातार बुखार आ रहा है। इसमें आंखें लाल होना, शरीर में चकत्ते निकलना, चेहरे पर सूजन होना, होठों पर सूजन, हाथों की उंगलियों में सूजन, पेट में दर्द होना अाैर सांस लेने में तकलीफ इसके मुख्य लक्षण है। यह शरीर के अंदर भी हार्ट, लीवर, गुर्दे को बुरी तरह से प्रभावित करता है। ऐसे में अगर किसी भी बच्चे में इस तरह के लक्षण दिखाई दें ताे उसे तुरंत चिकित्सकाें के पास दिखाएं, क्योंकि इस बीमारी से बच्चाें काे बचाने का एक ही उपाय है कि उन्हें समय पर अस्पताल लाया जाए । चिकित्सकाें के अनुसार यह कहना मुश्किल है कि मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम कितना खतरनाक है, लेकिन यह बच्चों को बुरी तरह से प्रभावित करता है। बच्चों के हृदय, गुर्दे और लीवर तक में सूजन हाे रही है और उसे रिकवर होने में कई सप्ताह लग रहे हैं।